-रामगंगा मित्र की पहली मीटिंग में 5 साल का रखा गया टारगेट

-डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के साथ अन्य विभाग व सेक्टर के लोग बचाएंगे रामगंगा को

BAREILLY: रामगंगा को बचाने के लिए मास्टर प्लान तैयार हो गया है। डीएम ने डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और बरेली के अलग-अलग डिपार्टमेंट व सेक्टर से जुड़े लोगों की हेल्प से भ् साल में रामगंगा का स्वरूप बदलने का टारगेट फिक्स किया है। तालाब, नाला या फिर छोटी नदियों को प्रदूषण मुक्त बनाने का प्रयास किया जाएगा, ताकि रामगंगा को स्वच्छ किया जा सके। फ्राइडे को आईवीआरआई के सभागार में आठ गांवो में बने 'रामगंगा' मित्र की पहली मीटिंग आयोजित की गई।

88 परसेंट ग्राउंड वाटर दूषित

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया के सुदेश बाबू ने बताया कि रामगंगा के लिए जीवन या जीवन के लिए रामगंगा दोनों को मानकर वर्क करना होगा, तभी हम अपने मकसद में कामयाब हो सकेंगे। बरेली के 88 परसेंट एरिया में ग्राउंड वाटर दूषित हो गया है। रामगंगा के किनारे पालेज की खेती खूब हो रही है। इसमें फर्टिलाइजर का काफी यूज हो रहा है। गांवों में नालों की हालत काफी खराब है।

गायब हो गई महाशय

बीसीबी के जूलॉजी विभाग के एचओडी डॉक्टर डीके गुप्ता ने बताया कि बरेली में पॉल्यूशन बोर्ड में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ कागजों में दर्ज हैं। कुछ समय पहले रामगंगा में क्भ्0 किलो की महाशय मछली पायी जाती थी, लेकिन अब ब्0 किलो की महाशय मिलना मुश्किल है।

पब्लिक का सहयोग जरूरी

डीएम संजय कुमार ने बताया कि आम लोगों के जुड़े बिना रामगंगा को बचाना काफी मुश्किल है। इसलिए लोगों को गंदगी न करने के बारे में रामगंगा मित्र समझाएंगे। मित्र को ऐसा काम करना होगा कि उनके काम को देखकर अन्य गांव के लोग इसमें जुड़ें और एक लहर चल जाए।

स्कूली बच्चे जाएंगे रामगंगा के किनारे

डीएम संजय कुमार ने डीआईओएस और बीएसए को डिस्ट्रिक्ट के करीब ख्भ्0 स्कूलों के बच्चों को रामगंगा के किनारे ले जाकर उन्हें इसके बारे में जानकारी देने के निर्देश दिए। इसके लिए वो डब्ल्यूडब्लयूएफ की हेल्प लें सकते हैं।

ग्रीन बेल्ट होगी तैयार

पेड़ों और जल दोनों में जीवन होता है। रामगंगा के किनारे क्0 किमी तक क्0 हजार पेड़ लगाकर ग्रीन बेल्ट तैयार की जा रही है। नदी के किनारे पेड़ होने से शुद्ध वायुमंडल के साथ नदी का कटान रूकेगा जिससे हजारों किसानों को फायदा मिलेगा।

रामगंगा के किनारे बनेंगी टटर्ल हैचरी

रामगंगा के जल को शुद्ध बनाने में कछुओं का अहम योगदान होता है। यह रामगंगा के महत्वपूर्ण सफाइकर्मी हैं। इसलिए रामगंगा के किनारे टर्टल हैचरी बनायी जाएंगी। इसके लिए दो गांवों का चयन किया जा चुका है।

तालाबों और झीलों का होगा संरक्षण

डीएम ने माना कि शहर और गांवों के ज्यादातर तालाबों और झीलों पर कब्जा हो चुका है, लेकिन अब इनका भी संरक्षण किया जाएगा। क्योंकि इन्हीं से पानी छोटी नदियों और फिर रामगंगा में जाता है।

पालेज की खेती होगी पूरी तरह से बैन

रामगंगा नदी के किनारे पालेज की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। इसमें किसान केमिकल का जमकर यूज कर रहे हैं। रामगंगा से कुछ दूरी तक पालेज की खेती पूरी तरह से बैन कर दी जाएगी।

चालू होगा सीवर ट्रीटमेंट प्लांट

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हर हाल में चालू कराया जाएगा। इसके लिए सीएम लेवल पर भी वार्ता की जाएगी। उन्होंने इंडस्ट्रीज से भी अपने लेवर पर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने की अपील की। इसके अलावा शहर में सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट गर्वनमेंट आफ इंडिया को भेजी जाएगी।

क्00 होंगे मास्टर ट्रेनर

रामगंगा की सफाई के लिए लोगों को ट्रेनिंग देनी होगी ताकि वो लोगों को एक सीख दे सकें। इसके लिए डिस्ट्रिक्ट में क्00 मास्टर ट्रेनर बनाए जाएंगे। इनमें गर्वनमेंट टीचर्स को भी शामिल किया जाएगा।

आईवीआरआई भी करेगा रामगंगा की सफाई

रामगंगा स्वच्छता अभियान में आईवीआरआई भी जुड़ गया है। आईवीआआई के डाइरेक्टर डॉक्टर आर के सिंह से डीएम ने अपने प्रोजेक्ट में शामिल होने की बात कही। इसके लिए आईवीआरआई के प्रोफेसर, रिसर्चर और स्टूडेंट की टीमें रामगंगा के किनारे जाकर सफाई अभियान में शामिल होंगी। वह रामगंगा के किनारे पालेज व अन्य तरह के किसानों को आर्गेनिक खेती के बारे में जानकारी देंगे। उन्हें केमिकल से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाएगा। जल्द ही आईवीआरआई में स्थित जू भी पब्लिक के लिए ओपन कर दिया जाएगा। मीटिंग में डीएम संजय कुमार, आईवीआरआई डाइरेक्टर डॉ आरके सिंह, एडीएम ई अरुण कुमार, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के प्रतिनिधि सुदेश बाबू समेत संबंधित अन्य विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive