न्यूमेरिक

- 12 सेक्टर हैं रामगंगा आवासीय योजना में

- 20 से पार्क हैं इन 12 सेक्टर में

- 1200 मकान बने हैं इस आवासीय योजना में

- 1577 फ्लैट्स हो चुके हैं कंप्लीट

- 800 मकान हो चुके हैं आवंटित

- 300 से अधिक परिवार रह रहे हैं यहां

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- पार्को पर कब्जा कर यहां के निवासियों और गा‌र्ड्स ने उगा दी सब्जियां

- बच्चे खेलते हैं सड़क पर, हमेशा रहता है हादसे का डर

BAREILLY :

रामगंगा आवासीय योजना में मुनीष गंगवार ने यह सोचकर घर लिया था कि बीडीए की इस सोसायटी में उन्हें हर सुख सुविधा मिलेगी। बच्चों के लिए पार्क, सुरक्षा और तमाम नागरिक सुविधाएं। लेकिन, यहां नागरिक सुविधाएं तो छोडि़ए चौकीदारों और निवासियों ने ही बच्चों के अधिकारों पर डाका डाल दिया। इन्होंने बच्चों के खेलने के लिए बनाए गए पार्क में सब्जियां उगा दीं। अब बच्चे सड़क पर खेलने को मजबूर हैं और पेरेंट्स उनकी चौकरीदारी में। पेरेंट्स को डर सताता है कि सड़क पर फर्राटा भरते वाहनों से कोई हादसा न हो जाए। और कई ऐसे परिवार भी हैं, जिनके बच्चे बाहर ही नहीं निकलते।

शहर के बदहाल पार्को की हकीकत उजागर करने के लिए शुरू किए गए कैंपेन के तहत दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने फ्राइडे को रामगंगा आवासीय योजना के पार्को का जायजा लिया।

तीन सोक्टरों में हैं चार पार्क

टीम जब यहां पहुंची तो पाया कि 300 परिवार वाले सेक्टर 5, 6 और 7 में 100 से अधिक बच्चे हैं। इनके लिए सेक्टर 5 में दो, सेक्टर 6 और 7 में एक-एक बड़ा पार्क है।

सेक्टर पांच में उगाई अरहर

सेक्टर-5 के दोनों पार्को में बड़ी-बड़ी झांडियां उगी मिलीं। पार्क के कुछ हिस्से को साफ कर कॉलोनी के लोगों ने उसमें अरहर और सब्जी उगा दी। वहीं, सेक्टर छह के पार्क में भी बड़ी-बड़ी झाडि़यों ने टीम का स्वागत किया।

सेक्टर सात के पार्क में मिले मूली, चुकंदर

सेक्टर सात की बात करें तो वहां पर लोगों ने पार्क ही नहीं छोड़ा। पार्क में क्यारियां बनाकर वहां सब्जियां उगा दी हैं। पार्क में गाजर, मूली, चुकंदर, पालक, धनिया, गोभी, प्याज, लहसुन और मिर्च की फसल लहलहा रही थी।

पार्क नहीं तो सड़क ही सही

यहां से टीम जब थोड़ा आगे बढ़ी तो पाया कि सेक्टर-6 के पार्क के बगल वाली रोड पर ही बच्चे क्रिकेट खेल रहे थे। पूछने पर बच्चों ने बताया, 'पढ़ाई के बाद घर में टीवी ही एकमात्र एंटरटेनमेंट का साधन है। बाहर आते हैं तो सड़क को ही मैदान बना लेते हैं.'

मोबाइल-टीवी को बना लिया दोस्त

पार्को के बारे में पूछने पर सेक्टर 5 और 6 की महिलाओं ने बताया, 'बच्चों को खेलने के लिए कहां भेजें? कुछ पार्क में झांडियां है तो कुछ में सब्जियां। कॉलोनी की रोड पर खेलने भेजो तो गेट पर बैठकर बच्चों की रखवाली करनी पड़ती है। ऐसे में बच्चे मोबाइल या फिर टीवी देखकर समय काटते हैं। क्या करें, बच्चे स्कूल से आने के बाद पूरा दिन पढ़ तो नहीं सकते हैं.'

झाडि़यां काटने वाला ही पार्क का मालिक

कॉलोनी के पार्को में सब्जियां किसी और ने नहीं, बल्कि वहीं के निवासियों और चौकीदारों ने ही उगाई है। घर में इस्तेमाल करने के साथ ये लोग सब्जियां बेचकर कमाई भी करने में जुटे हैं। जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने मुंह फेर लिया। नाम तक नहीं बताया। नाम न छापने की शर्त पर वहां के कुछ लोगों ने बताया कि जो झाडि़यां काटता, पार्क पर उसकी का कब्जा होता है।

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बच्चे बोले, पार्क नहीं जंगल कहिए

इसलिए सड़कों पर खेलते हैं

-कॉलोनी में पार्क तो हैं लेकिन इसे झाडि़यों का जंगल कहिए। इन्हें कभी साफ ही नहीं किया गया, इसलिए सड़कों पर खेलना पड़ता है।

अनुज,स्टूडेंट

पार्क तो हैं पर खेलने के लिए नहीं

स्कूल से आने के बाद हम घर में ही टीवी और मोबाइल गेम खेलकर समय काटते है। और अगर बाहर निकले तो सड़क पर खेल सकते हैं। पार्क तो हैं लेकिन खेलने के लिए नहीं।

अमित, स्टूडेंट

झूला तो सपना बनकर रह गया

कॉलोनी में आए चार वर्ष हो गए हैं लेकिन मैंने कभी नहीं देखा कि बीडीए ने झाडि़यां साफ कराई हों। झूला और अन्य सुविधाएं तो दूर की बात है।

विशाल,स्टूडेंट्स

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पैरेंट का दर्द, दूर ग्राउंड पर जाते हैं बच्चे

हादसे का लगता है डर

कॉलोनी में बच्चों के खेलने के लिए जगह नहीं मिलने से वे दूर खेलने के लिए जाते हैं। क्योंकि, जब कॉलोनी के रोड पर खेलते हैं तो एक्सीडेंट्स का खतरे का डर लगता है।

लाल करन, पैरेंट

कॉलोनी में तो यह सोचकर रहने आया था कि यहां पार्क और अन्य सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन यहां तो हाला बदतर हैं।

मुनीश गंगवार पैरेंट

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बच्चों के खेलने के लिए हैं पार्क

रामगंगा आवासीय कॉलोनी के सभी सेक्टरों में कम से कम एक पार्क है। पार्को को ठीक कराने के लिए अभी बजट जारी नहीं किया गया है। लेकिन उनकी सफाई आदि कराई जाती है। अगर पार्क में सब्जी उगाने की शिकायत है तो उसे बच्चों के खेलने के लिए ठीक करा दिया जाएगा।

सुरेन्द्र कुमार, बीडीए, वीसी,

Posted By: Inextlive