RANCHI : अल्लाह मेरे गुनाहों को माफ करना और मेरा रोजा कबूल करना. मुझे बुराईयों से बचाए रखना और इंसानियत की सीख देना. फ्राइडे को हाथ फैलाए रोजेदार अल्लाह से यही इबारत कर रहे थे. मौका था माह-ए-रमजान के पहले जुमे की खास नमाज अता करने का का. इस सिलसिले में सिटी के मस्जिदों में तरावीह व नमाज के लिए खास तैयारी की गई थी. मार्केट में भी चहल-पहल देखने को मिल रही थी.


मोहतरम उठ जाइएफ्राइडे की अहले सुबह घड़ी की सुई जैसे ही पौने चार बजे पर पहुंची, मस्जिदों से अस्सलाम अलैकुम मोहतरम जाग जाइए सेहरी का वक्त हो चुका है का एलान होना शुरू हो गया। हर 10-15 मिनट पर मस्जिदों में लगे माइक के जरिए रोजेदारों को जगाने की कवायद हो रही थी। फिर, सेहरी से अल्लाह की इबादत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह देर रात तक तरावीह की नमाज तक जारी रहा।

आकिल और बालिग का फर्ज
बड़ी मस्जिद मरकज में जुमे की नमाज पढ़ाते हुए शहर काजी और मस्जिद के इमाम मौलाना अबू बकर ने बताया कि रोजा मुसलमान मर्द व औरत, आकिल और बालिग पर फर्ज है। रोजा रखने से इंसान तमाम गुनाहों से पाक होकर जन्नत में जाने को मुश्तइक हो जाता है.    कुरआन अल्लाह का कलाम है और इसे पढऩे और सुननेवाले दोनों को वे महबूब रखते हैं.    तरावीह पढऩे और सुनने से रोजेदार का मन शुद्ध होता है और वे खुद को खुदा के करीब पाते हैं.  इधर, बड़ी मस्जिद स्थित मरकज मे करीब तीन हजार अकीदतमंदों ने जुमे की पहली नमाज अता की। इसके अलावे बरियातू  मस्जिद में भी नमाज पढऩे के लिए हजारों रोजेदार जुटे। सिटी के अन्य मस्जिदों में भी नमाज अता करने के लिए काफी संख्या में अकीदतमंद पहुंचे।

Posted By: Inextlive