RANCHI ; माह-ए-रमजान की मुबारक घडिय़ां बीतने के साथ ही रमजान मुबारक के तीसरे और सबसे कीमती असरे मगफेरत में शब-ए-कद्र की रातें बीतनी शुरू हो गई हैं. शब-ए-कद्र की एक रात गुजर चुकी है और दूसरी रात थर्सडे को गुजरी. मगफेरत का असरा रमजान के महीने का सबसे कीमती और बेहतर असरा है. इस असरे को जहन्नम से आजादी का असरा कहा जाता है. मौलाना असगर मिसबाही बताते हैं कि जो बंदा भूख और प्यास सहकर रोजा रखता है उस पर अल्लाह मेहरबान हो जाता है. उसके बाद उसकी सारी गलतियों और गुनाहों को माफ कर देता है. फिर उस बंदे को जहन्नम से आजादी का सर्टिफिकेट भी मिल जाता है. इसलिए इस असरे को जहन्नम से आजादी का असरा भी कहा जाता है.


इसी असरे में उतरा था कुरआनइसी असरे में अल्लाह का मुकद्दस कलाम कुरान उतारा गया। इसी असरे में एक रात ऐसी है, जो एक हजार महीनों से बेहतर है। इस रात को शब-ए-कद्र कहते हैं। माह-ए-रमजान की 21, 23, 25, 27 और 29 इन पांच रातों में से कोई एक रात शब-ए-कद्र हो सकती है। शब-ए-कद्र की पहचान यह है कि जिस दिन शब-ए-कद्र होता है, उस दिन सूरज में रोशनी बहुत कम होती है। मौलाना असगर मिसबाही ने बताया कि शब-ए-कद्र में खुदा का जो बंदा अल्लाह की इबादत करता है, उसे एक दिन में 83 साल की इबादत करने का शवाब मिलता है। इस समय आसमान से फरिश्ते आते हैं। रमजान के अलविदा जुम्मे की नमाज फ्राइडे को अता की जाएगी।

Posted By: Inextlive