ढल चुकी दोपहर के बाद शाम की रफ्ता-रफ्ता कमती लालिमा. आकाश में लहराती रंग-बिरंगी महावीरी पताकाएं. शक्ति का संचार करता जय श्रीराम का उद्घोष. उफान मारता जोश. युवा तो युवा..बच्चे और बूढ़े भी हर जयकारे के संग आवाज बुलंद कर साथ देते. इस बीच कोई तलवार लहरा कर अपने कौशल से सबको चौंका देता तो कोई भाले और लाठी का यूं संचालन करता कि चलती भीड़ के कदम बस कुछ पल को थम जाते. मौका रामनवमी के मौके पर मेन रोड में निकले महाजुलूस का था.


रामजी की लीला है न्यारीमहाजुलूस में शामिल हर शख्स भक्ति के आवेश में झूम रहा था। सड़कों पर उमड़े जनसैलाब के साथ ढोल और ताशों की गूंज जोश को दोगुना कर रही थी.वहीं लगातार बज रहे रामभक्ति के गाने माहौल में कुछ अलग ही समां बांध दे रहे थे। महावीरी पताका थामे हर शख्स भीड़ के लिए आकर्षण का केंद्र था। श्रीराम के हर जयकारे के साथ उसके कदम बरबस आगे बढ़ जा रहे थे। रामजी की निकली सवारी, रामजी की लीला है न्यारी के गाने पर भीड़ में शामिल लोग झूमते नजर आए। ऐसा लग रहा था, मानो उल्लास, उमंग, मस्ती और भक्ति का अद्भुत नजारा फिर शायद ही कभी देखने को मिले। नहीं देखा ऐसा जोश, ऐसा जुनून
जब शाम चार बजे सिटी के विभिन्न अखाड़ों का जुलूस अल्बर्ट एक्का चौक पर पहुंचना शुरू हुआ, तो इक_ा हुई हजारों की भीड़ में एक नया जोश आ गया। मौके पर  मौजूद हर शख्स भीड़ का हिस्सा बनने को आतुर था। सभी एक-दूसरे से आगे निकलने और रामनवमी के इस जुलूस को और करीब से देखने के लिए बेताब थे। रंग-बिरंगे साफे और पगड़ी पहन कर लोग हाथों में तलवार लिए जुलूस की शोभा को दोगुना कर दे रहे थे। महाजुलूस जैसे-जैसे तपोवन मंदिर जाने के लिए आगे बढ़ रहा था, वैसे-वैसे छतों पर चढ़कर देखनेवालों की भीड़ भी बढ़ रही थी.  जगह-जगह श्रीराम के कटआउट संडे को पूरी सिटी में रोड किनारे भी लाल, पीली, नीली और नारंगी रंगों की महावीरी पताकाएं बजरंग बली और श्रीराम के कट आउट के साथ माहौल को खास बना रही थीं। हर किसी को इस बात की जल्दी थी कि वह तीन बजे से पहले मेन रोड पहुंच जाए। शाम चार बजे सबसे पहले महावीर मंडल जेपी नगर का जुलूस जयश्री राम के नारे लगाते, झूमते-नाचते अलबर्ट एक्का चौक पहुंचा.  इसके बाद तो अखाड़ों के एक के बाद एक आने का सिलसिला शुरू हो गया, जो कि रात आठ बजे तक जारी रहा।

Posted By: Inextlive