- रोजा के पहले जुमा पर हुई इबादत

-इफ्तार में हर जाति-धर्म के लोग हुए शामिल

ALLAHABAD: पाक एवं रहमतों के महीने रमजान का पहला शुक्रवार को पड़ने से रोजे का महत्व काफी बढ़ गया। जिससे रोजेदार खासे प्रसन्न आए। मस्जिदों में रोजेदारों ने अल्लाह की इबादत कर कुशलक्षेम की कामना की। मुस्लिम बाहुल इलाकों में शाम को मगरिब की नमाज अदा करने के बाद इफ्तार का आयोजन हुआ, जिसमें सभी धर्मो के लोगों ने शामिल होकर सामाजिक एकता की कामना की।

गुलजार रहीं मस्जिदें

तीन अशरा वाले रमजान में जुमा का विशेष महत्व होता है। रोजे की बरकत से तमाम मस्जिदें नमाजियों से भरी नजर आई। चौक स्थित जामा मस्जिद, जीरो रोड, कीडगंज, करेली, चकिया, राजरूपपुर, दारागंज, बैरहना सहित हर मुहल्ले की मस्जिद रोजेदारों से गुलजार रही। मस्जिद के इमाम ने रमजान की फजीलतें बयां की। पहला अशरा की खासियत बताते हुए लोगों को रहमत के बारे में विस्तार से जानकारी दी। भोर चार बजे अजान के बाद फजर की नमाज हुई। दोपहर जोहर जबकि शाम को असर की नमाज अदा की गई। इसके बाद मगरिब की नमाज अदा करने के बाद इफ्तार हुआ। नयाब शहर काजी मौलाना मुजहिद हुसैन रजवी का कहना है पहला रमजान बहुत दिनों के बाद इतनी सख्त गर्मी में पड़ा है, जो सुबह तीन से शाम सात बजे तक चलेगा। गर्मी की शिरकत में इतने लंबे वक्त तक भूख-प्यास की परेशानी को बर्दास्त करना बहुत मुश्किल काम है। लेकिन सच्चे मुसलमान अपने रब पर साबित ईमान और पक्का इरादा रखना इस काम को आसान बना देता है। शायद यही वजह है कि अल्लाह ने रोजेदारों के लिए स्वर्ग में एक विशेष गेट बनाया है जिसका नाम ही रय्यान है। हाजी मंजर कर्रार कहते हैं रमजान के महीने में इबादत का सत्तर गुना ज्यादा शबाब मिलता है। रोजा रखने पर इंसान को आंख, हाथ, दिल और मुंह से कुछ भी बुरा करने से परहेज करना चाहिए। रोजा रखे हुए इंसान को हमेशा तौबा करते रहना चाहिए।

Posted By: Inextlive