रमजान के पाक महीने में रोजेदारों की दिनचर्या पूरी तरह से बदल जाती है। वहीं अब मुस्लिम समुदाय भूखे-प्यासे रह कर अल्लाह की इबादत के लिए बिल्कुल तैयार हैं...

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PRAYAGRAJ: रमजान के पाक महीने में मुसलमानों और रोजेदारों की व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों दिनचर्या पूरी तरह से बदल जाती है. अब जबकि माह-ए-रमजान शुरू होने को है तो मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भूखे-प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करने वाले रोजेदारों ने भी मुकम्मल तैयारियां कर ली हैं. सहरी के लिए सूर्योदय से दो-तीन घंटे पहले उठकर सहरी का भोजन बनाने के साथ उसका रोजेदारों को ग्रहण करना होगा. वहीं बुरी आदतों से दूर रहकर रोजेदार खुदा की इबादत में मशगूल हो जाएंगे.

महत्वपूर्ण तथ्य
रमजान के दौरान रोजेदार अपनी दिनचर्या में झूठ न बोलना, किसी की बदनामी न करना, पीठ पीछे किसी की बुराई न करना, झूठी कसम न खाना व लालच न करना जैसी बातों को शामिल करते हैं.

-रोजे के दौरान खुद की आंख, कान और जीभ का भी रोजा रखा जाएगा. यानी न बुरा देखेंगे, न बुरा सुनेंगे और न ही किसी के लिए बुरा कहेंगे.

-सहरी के लिए सूर्योदय से दो या तीन घंटे पहले उठकर मुस्लिम घरों में खाने की तैयारियां शुरू कर दी जाएगी. साथ ही इबादते इलाही में मशगूल हो जाएंगे. यह सिलसिला सूर्योदय व उसके बाद तक चलता रहेगा.

-रोजेदारों द्वारा पांच वक्त की नमाज के साथ रात के वक्त तरावीह पढ़ी जाएगी. सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक ज्यादा से ज्यादा कुरान पाक की तिलावत की जाएगी.

रहमतों और नेमतों का महीना
रमजान रहमतों और नेमतों का महीना होता है. इसकी आमद पर हर साहबे इमान को खुशी महसूस होती है. सभी अकीदतमंद बदली हुई दिनचर्या के हिसाब से काम करने लगते है. दरगाह मौला अली प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष सैय्यद अजादार हुसैन ने बताया कि पैगम्बरे इस्लाम की बेटी फातिमा का कहना है कि अगर रोजे दार जबान, आंख, कान व शरीर के तमाम हिस्सों को गुनाहों से ना बचाए तो उसका रोजा किसी काम का नहीं रह जाता है.

रमजान के दौरान सोने और खाने-पीने से लेकर व्यवहार तक में तब्दीली हो जाती है. एक महीने बस अल्लाह की इबादत में ज्यादा से ज्यादा तल्लीन होने की खुशियां मिलती है.

रुकइया, गृहिणी

हमारे घर में पहले से ही रमजान के दौरान होने वाले बदलाव को लेकर तैयारियां शुरू हो जाती है. जिससे कि भूखे-प्यासे रहने के दौरान मानसिक व शारीरिक रूप से मजबूत होने की आदत पड़ जाए.

जौफिशां, गृहिणी

दिनचर्या के अनुसार सबसे ज्यादा बदलाव सहरी से लेकर इफ्तारी तक के कार्यो में आता है. परिवार का प्रत्येक सदस्य सोना छोड़कर एक-दूसरे खुश रखने के लिए अच्छी-अच्छी बातें करेंगे.

इक्तेदार फातिमा, गृहिणी

पिछले तीन-चार वर्षो से रमजान के दौरान बहुत कुछ सीखने को मिला है. वर्किंग वुमन होने की वजह से जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ जाती है. इसलिए परिवार के सदस्यों का पूरा सहयोग मिलता है.

रफत नकवी, शिक्षिका

बॉक्स

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Posted By: Vijay Pandey