रांची का बुराड़ी कांड! आखिर क्या कुसूर था इन दोनों मासूमों का!
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RANCHI : रविवार की आधी रात को जब पूरा शहर नींद के आगोश में था, तब कांके के अरसंडे में एक ऐसा खूनी खेल खेला जा रहा था, जिसके शिकार लोगों को यह तक मालूम नहीं था कि आज की रात उनकी आखिरी रात होगी। घटना के 48 घंटे बीत चुके हैं, लेकिन स्थानीय लोगों के मन में अब भी तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। लोगों में सबसे ज्यादा अफसोस उन दो मासूमों की मौत का है, जिन्हें जहर देकर उनके पिता ने ही मार डाला। सुसाइड नोट और स्थानीय लोगों की बातों से अब तक जो तथ्य सामने आये हैं, उसके मुताबिक दीपक झा अपने परिवार के सदस्यों से बेइंतहा प्यार करता था। वह अपने परिवार की हर खुशी को यादगार बनाना चाहता था। लेकिन, आर्थिक तंगी और घपले में फंसने की आशंका ने उसे इस कदर तनाव में डाल दिया था कि वह कुछ भी सोचने-समझने की स्थिति में ही नहीं था।
चार को मनाया था जन्म दिन
दीपक की छह साल की बेटी कांके में ही एक स्थानीय स्कूल में क्लास वन में पढ़ती थी। चार जुलाई को उसका जन्मदिन था। स्थानीय लोग बताते हैं कि उसने अपनी बेटी का जन्मदिन धूमधाम से मनाया था। इसके अलावा 13 मार्च को उसने शादी की सालगिरह मनाई, 25 मार्च को पत्नी सोनी झा का जन्मदिन मनाया, नौ जून को बेटे जंगू झा का पहला जन्मदिन मनाया। सबकुछ सामान्य तरीके से चल रहा था। दीपक ने कभी पड़ोसियों को यह जाहिर नहीं होने दिया कि वह आर्थिक तंगी का शिकार है। दरअसल, वह सारे आयोजन कर्ज के पैसों स करता था। अब लोग यह पूछ रहे हैं कि अपने परिवार से टूट कर प्यार करने वाला एक शख्स इस कदर बेरहम कैसे हो सकता है कि अपने दो मासूमच्बच्चों को भी अपने हाथों से जहर खिला दे। लोग इसे शहरी चकाचौंध की त्रासदी के रूप में देख रहे हैं और बार-बार यही कह रहे हैं कि भगवान कभी किसी को इस स्थिति में न पहुंचाए, जहां अपने ही हाथों अपने परिवार को खत्म करने की नौबत आ पड़े।
घर से मिली परिजनों के साथ संध्या कुमारी की भी तस्वीर
पुलिस को घर से उस बेटी और बहन की तस्वीर मिली, जो बेटी उस बाप को कंधा देने के लिए तो क्या? उसकी बॉडी को देखने तक नहीं आई। उसी बेटी की तस्वीर उन परिवारों के साथ है, जिनसे वह नफरत करती थी। पुलिस को शुरुआती दौर में तो यह पता लग चुका है कि अंतरजातीय विवाह और परिजनों के तिरस्कार के कारण ही वह नहीं आई।