RANCHI: स्वच्छता में रांची सिटी क्लीन बोल्ड हो गई है। इस मामले में रांची देशभर के शहरों में 21वें पायदान से फिसल कर 46वें स्थान पर चली गई है। वहीं, इंदौर लगातार तीसरी नंबर वन रैंकिंग पर कायम रहा है। ऐसे में दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने सिटी में रियलिटी चेक किया, ताकि इंदौर में ऐसी क्या बात है जो वह नंबर वन बना रहा। वहीं रांची में ऐसी कौन सी कमी रह गई, जिसके कारण बुरी तरह रैंकिंग गिर गई।

8 साल से डिस्पोजल पर सिर्फ बात

राजधानी सहित राज्य के सभी शहरी निकायों में पिछले एक दशक में तेजी से आबादी बढ़ी है। इसके साथ कूड़ा की मात्रा भी बढ़ गई, लेकिन कूड़ा के निपटारे का साधन नहीं मिला। रांची नगर निगम ने पहली बार 2010 में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पर बात की पर अभी तक सफ लता नहीं मिली। रांची में वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाने की बात भी हवा-हवाई है। वहीं, दूसरी ओर इंदौर में देश का पहला डिस्पोजल फ्री मार्केट है, जिसकी शुरुआत 2018 में हुई।

फिर बढ़ गया प्लास्टिक का यूज

पिछले साल सरकार ने प्लास्टिक यूज करने पर पाबंदी लगा दी थी। लेकिन अब फिर से प्लास्टिक का यूज बढ़ गया है। जबकि इन्दौर में डिस्पोजल फ्री मार्केट बना है। जहां लोग अब वैसे सामान का यूज ही नहीं करते हैं जिसको डिस्पोज करने की जरूरत हो। जबकि रांची में हर गली-मुहल्ले और सड़क किनारे प्लास्टिक का यूज हो रहा है।

वेस्ट टू एनर्जी प्लांट हवा-हवाई

राजधानी से निकलने वाले कूड़े से बिजली का उत्पादन होगा। इसकी घोषणा सरकार ने आठ साल पहले की थी। झिरी स्थित नगर निगम के डंपिंग यार्ड में कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया है, लेकिन बिजली बनाने का काम शुरू नहीं हो पाया है। वेस्ट टू एनर्जी प्लांट लगाया जाएगा, इसकी घोषणा हुई थी। रोजाना 11 मेगावाट बिजली उत्पादन के लिए प्लांट लगाना था। लेकिन यह हवा-हवाई साबित हु‌ई्र।

बायो वेस्ट का भी डिस्पोजल नहीं

रांची में अस्पतालों से जो कचड़ा निकलता है उसके डिस्पोजल की भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है। शहर में ही इसे जहां-तहां फेंक दिया जाता है। इसके डिस्पोजल की कोई व्यवस्था ही नहीं है।

Posted By: Inextlive