RANCHI : टीबी को जड़ से मिटाने के लिए विभाग ने कमर कस रखी है। इसके लिए रेगुलर अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि टीबी को 2025 में पूरी तरह से खत्म किया जा सके। लेकिन टीबी के लिए काम करने वाले अधिकारी और स्टाफ्स को उनकी योग्यता के अनुसार पेमेंट नहीं दिया जा रहा है। स्थिति यह है कि अधिकारी के पद पर काम करने वाले लोगों को ड्राइवर से भी कम पेमेंट दिया जा रहा है। ऐसे में टीबी डिपार्टमेंट के स्टाफ्स ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से लेकर प्रिंसिपल सेक्रेटरी तक पेमेंट में सुधार करने की गुहार लगाई है।

प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पत्र

आरएनटीसीपी कार्यक्रम के तहत काम करने वाले कांट्रैक्चुअल स्टाफ्स को फाइनेंशियल इयर 2018-19 के तहत मानदेय में पिछले तीन सालों में टीबी प्रोग्राम में काम करने वालों का पेमेंट घटाया गया है। वहीं एनएचएम में क्वालिफिकेशन के हिसाब से पेमेंट देने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद इसकी अनदेखी की गई है। जहां मैट्रिक पास एक ड्राइवर को 17943 रुपए दिया जा रहा है जबकि डिस्ट्रिक्ट पीपीएम को-आर्डिनेटर को 16564 रुपए। वहीं बीकॉम पास डिस्ट्रिक्ट अकाउंटेंट को 12,796 रुपए दिया जा रहा है। जबकि मलेरिया विभाग में अकाउंटेंट को 22,891 रुपए मिल रहा है। इसके अलावा ग्रेजुएट पास डॉट्स प्लस सुपरवाइजर को 29733 मिल रहा है। जबकि एमबीए, पीजीडीएम डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-आर्डिनेटर को 21455 पेमेंट मिल रहा है। वहीं वीएसआरसी के समान क्वालिफिकेशन वाले डिस्ट्रिक्ट प्रोग्राम को-आर्डिनेटर को 42,587 रुपए दिया जा रहा है।

Posted By: Inextlive