RANCHI: ऐसे लोगों की कमी नहीं है जिनकी जिंदगी योग ने बदल दी। किसी को लंबी उम्र मिली तो किसी को शारीरिक लाचारी से मुक्ति, तो किसी को खुद को समझने और मन से जुड़ने का मौका मिला है। योगा के लिए ना तो ज्यादा साधनों की जरूरत होती हैं और न ही अधिक खर्च करना पड़ता है। इसलिए पिछले कुछ सालों से योगा की लोकप्रियता और इसका नियमित अभ्यास करने वालों की संख्या लगातार बढ़ी है। रांची में भी कई ऐसे लोग हैं जिनकी जिंदगी योग ने बदल कर रख दी है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर पेश है कुछ ऐसे ही लोगों की दास्तान, जिनकी जिंदगी में योगा से एक बड़ा सकारात्मक बदलाव आया है।

योगा से लौटी खोई हुई आवाज

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिर्वसिटी के रजिस्ट्रार डॉ एनडी गोस्वामी के मुताबिक उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी ही योग के नाम कर दी है, वो बताते हैं 2008 में मैं रांची यूनिर्वसिटी में क्लास ले रहा था। एकाएक मेरा गला चॉक हुआ और आवाज बंद हो गई। मैं दिल्ली, वेल्लोर, कोलकाता हर जगह डॉक्टरों से मिला, सभी ने सलाह दी कि ऑपरेशन करा लें। मुझे कुछ लोगों ने बताया कि आप कुछ दिन मेडिसीन छोड़कर योग कर सकते हैं। मैं भी परेशान था, मैंने योग करना शुरू किया। हर दिन एक घंटे योग करने लगा, इसका परिणाम यह हुआ कि तीन महीने के अंदर मुझे कुछ राहत महसूस होने लगी। एक साल योग करते-करते मेरी आवाज वापस आ गई। अब आम लोगों की तरह बोल लेता हूं। योग मेरी आदत हो गई है।

ज्वाइंट पेन से मिली निजात

मेन रोड की रहने वाली मोनिका अग्रवाल की जिंदगी भी योग ने बदल दी है। दर्द के इलाज के बाद भी जब दर्द खत्म नहीं हुआ तो मोनिका लगातार योग करके दर्द से राहत पाई। मोनिका बताती हैं मुझे आठ साल पहले साइक्रोईलाइटिस हो गया था। पूरे ज्वाइंट पेन से मैं परेशान रहती थी। कई डॉक्टरों से मिली लेकिन दर्द से निजात नहीं मिली। लगातार योग करने के कारण मुझे अब दर्द से राहत मिल गई है। अब मैं बच्चों को योग सिखाती हूं। मेरा मकसद है खासकर बच्चों को योग करने की आदत डालना, ताकि वो मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत रहें।

ब्लड कैंसर से था परेशान, योगा का रिकवरी में बड़ा योगदान

मेरा जिंदगी से मोह कम होने लगा था। समझ नहीं पाता था कि जिंदगी का मकसद क्या है। 2003 में मैं ब्लड कैंसर से परेशान था। मुम्बई के जसलोक अस्पताल से डॉ एसएच आडवाणी का इलाज चल रहा था। मैं जब पहली बार डॉक्टर से मिला तो डॉक्टर भी मेरी स्थिति देखकर नर्वस थे। मुम्बई में मेरा इलाज शुरू हुआ, मेडिसीन के साथ-साथ मैंने योगा करना शुरू किया। कुछ सालों के अंदर मैं तेजी से रिकवरी करने लगा। बाद के दिनों में डॉक्टर एसएच आडवाणी ने मुझे बताया कि तुम्हारी रिकवरी में योगा का बहुत बड़ा योगदान है। उसके बाद से मैं प्रतिदिन आदत बनाकर योगा करता हूं।

नियमित योगा से कम हुआ मोटापा

मोटापे के कारण मैं अपनी जिंदगी से परेशान हो गया था। हर तरह के प्रयास के बाद भी जब मोटापा कम नहीं हो रहा था। उस समय मेरे एक दोस्त ने सुझाव दिया कि योगा करके मोटापा को कम कर सकते हैं। मैंने हर दिन योगा करना शुरू कर दिया। छह महीने में ही इसका नतीजा दिखने लगा। मेरा मोटापा कम होने लगा। मुझे एनर्जी मिलने लगी, अब यह मेरी आदत में शुमार है।

सिटी के सभी बच्चों को सिखाना है योगा

शहर की चर्चित युवा योगा टीचर राफिया नाज चार साल की उम्र से ही योगा कर रही हैं। राफिया बताती हैं घर से ही मुझे योगा करने का माहौल मिला। मेरे पिताजी ने बचपन से ही मुझे योगा करने को प्रेरित किया। आज राफिया नाज शहर की चर्चित योगा टीचर हैं। उनका सपना है कि शहर के सभी बच्चों को योगा सिखाना है, ताकि वो शरीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहें।

Posted By: Inextlive