RANCHI:सीटें नहीं मिलीं तो खड़े होकर नाटक देखा और समापन होते ही कलाकारों के सम्मान में दर्शकों ने जमकर तालियां बजाई, जिससे पूरा सभागार गूंजता रहा। मौका था भारत रंग महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को राजस्थानी व हिंदी के महान कथाकार विजय दान देथा की मूल कहानी पर आधारित नाटक नागिन तेरा वंश बढ़े के मंचन का, जिसका रूपांतरण वीके शर्मा का था। इस दौरान जीवंत प्रस्तुती देने वाले कलाकारों का टैलेंट देख ऑडियंस गदगद हो उठे, जिन्होंने सवा घंटे तक दर्शकों को अपने अभिनय से बांधे रखा। नाटककार वीके शर्मा व डायरेक्टर अवतार सहनी को भी बधाइयां दी। एक्टर्स रेप्रेट थिएटर, दिल्ली ने इसका संगीतमय मंचन किया, लेकिन नाटक की पृष्ठभूमि राजस्थानी थी। राजस्थानी बोली, गीत और सारंगी की धुन के साथ कोरस और नृत्य नाटक को बल प्रदान कर रहे थे। सेठ की भूमिका में सुफियान खान, हारमोनियम पर राजेश पाठक, तबले पर गगन रावत समेत पूरी टीम ने दिल जीत लिया। मौके पर मुख्य रूप से चीफ सेक्रेटरी सुधीर त्रिपाठी, रांची यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ रमेश कुमार पांडेय, प्रो-वीसी डॉ कामिनी कुमार, आयोजन के कॉर्डिनेटर डॉ अजय मलकानी, कमल बोस, अनिकेत भारद्वाज, दिलेश्वर लोहरा मौजूद थे।

क्या है कहानी

एक सेठ जिसके पास अकूत धन रहता है, लेकिन उसे भोगने वाला कोई नहीं। शादी के 25 साल बाद भी उसे संतान प्राप्त नहीं होता है। एक दिन पत्नी नाटक करती है कि वह मां बनने वाली है। पति फुला नहीं समाता। घर में बच्चे के जन्म का जश्न मना। वहीं, पत्नी अपनी दाई व पंडित से मिलकर तरकीब निकालती है कि सेठ 16 साल तक अपने बेटे का मुंह न देखे, नहीं तो अनर्थ हो जाएगा। 16 साल बाद डोली में मां बैठी होती है और आटे के लोथ से बना युवक। तभी नागिन का प्रवेश होता है। वह डोली में यह दृश्य देख हतप्रभ रह जाती है। इसके बाद नाग से आटे के लोथ में प्रवेश कर जीवन दान देने का हठ करती है। सो, कहानी आगे बढ़ती है। अंतत: नागिन भी उस घर की बड़ी बहू बन जाती है। इस तरह नागिन का वंश बढ़ने लगता है।

आज का नाटक

सोमवार को अग्निपरीक्षा नामक नाटक का मंचन होगा। हरिराम आचार्य द्वारा लिखित व दिलीप भट्ट द्वारा निर्देशित यह नाटक हिंदी में है।

Posted By: Inextlive