देहरादून

टिहरी के नैनबाग इलाके से तीन दिन पहले रेप पीडि़त 9 वर्ष की बच्ची को दून अस्पताल लाया गया था. बच्ची की हालत नाजुक थी,उसे ब्लीडिंग हो रही थी. मेडिकल कर उसे भर्ती करने की तैयारी थी, इसी बीच अस्पताल के बाहर मीडिया जुटने लगा तो पुलिस के होश उड़ गए. नरेन्द्र नगर सीओ ने डॉक्टरों पर दबाव बनाया कि बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया जाए, उसे गांव ले जाकर बयान दर्ज करने हैं. यहीं से पुलिस और डॉक्टर्स ने मिलकर बच्ची की जान के साथ खिलावाड़ शुरू कर दिया.

पुलिस दून अस्पताल के पिछले दरवाजे से गुपचुप बच्ची और उसकी मां को लेकर रवाना हो गई. यहां तक कि मासूम के पिता और गांव से आए अन्य लोगों को भी पुलिस ने मसूरी पहुंच कर कॉल किया कि डॉक्टर ने बच्ची को डिस्चार्ज कर दिया, उसे गांव ले जा रहे हैं. तब अन्य परिजन देहरादून से गांव गए, तीन दिन में पुलिस रेप पीडि़ता 9 वर्ष की मासूम को पहले देहरादून,फिर नैनबाग, वहां से सेंदूल ले गई. अगले दिन सुबह पांच बजे ही उसे टिहरी के लिए ले गई, रात एक बजे बच्ची घर पहुंची. मासूम की तबियत बिगड़ गई, उसे फिर दून महिला अस्पताल लाकर भर्ती कराया गया है. कुछ भी हो पर इस केस में पुलिस और दून अस्पताल के डॉक्टर्स ने अपना काम जिम्मेदारी से नहीं किया,जिसकी वजह से बच्ची अब मुश्किल में हैं.

रिटायर्ड जज पहुंचे बच्ची से मिलने:

रेप पीडि़ता मासूम को बयानों और जांच के नाम पर तीन दिन तक पहले देहरादून, फिर कैम्पटी,वहां से टिहरी घुमाने के दौरान उसकी तबियत बिगड़ी तो देहरादून लाकर फिर भर्ती कराना पड़ा. शाम को अस्पताल में पीडि़ता से मिलने और मामले की जानकारी करने पहुंचे रिटायर्ड हाईकोर्ट जज कांता प्रसाद ने बताया कि मासूम बच्चों को बयान और जांच के नाम पर यहां वहां लेकर भटकना कानून सम्मत नहीं है. पुलिस ने इस केस में जांच के नाम पर मासूम को प्रताडित किया है. फिर भी बच्ची के बयान दर्ज नहीं हो सके. ऐसे में अब मजिस्ट्रेट को अस्पताल में ही बुलाकर बयान दर्ज कराने चाहिए और पुलिस अफसरों के खिलाफ एक्शन होना चाहिए.

बाल आयोग की अध्यक्ष ने लगाई लताड़:

बाल आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने भी दून महिला अस्पताल पहुंचकर बच्ची के हालात जाने. उसके परिजनों से बात करने के बाद डॉक्टर्स को पहले बच्ची को डिस्चार्ज करने और पुलिस वालों के उसे लेकर यहां वहां भटकने पर सवाल-जवाब किया. दूसरी तरफ पुलिस वालों को भी लताड़ लगाई. बाल आयोग अध्यक्ष के सवालों का पुलिस जवाब नहीं दे पायी.उन्होंनें परिजनों को आश्वासन दिया है कि पुलिस की इस गंभीर लापरवाही पर उच्चाधिकारियों से बात करेंगी.

9 वर्ष की रेप पीडि़ता चार दिन में 600 किमी का सफर

मामले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि रेप पीडि़ता मासूम को पुलिस 30 मई को जिस दिन रेप हुआ तब से लेकर 2 मई तक 600 किमी का सफर करा चुकी. पहले गांव वालों ने थाने नहीं जाने दिया. मां कंधे पर बिठाकर आठ किसी पैदल चली,फिर किसी बाइक वाले ले लिफ्ट दी,तब थाने पहुंची. पुलिस ने इसके बाद भी मामला दर्ज नहीं किया. बच्ची और मां को लेकर फिर गांव गई. वहां जाकर पड़ताल की. फिर बच्ची के पिता की रात साढे 10 बजे रिपोर्ट दर्ज की. सुबह बच्ची को गांव से करीब 140 किमी दूर देहरादून लाया गया. रात में फिर उसे लेकर पुलिस गांव गई. सुबह होते-होते गांव पहुंचे. अल सुबह पांच बजे ही फिर बच्ची को लेकर टिहरी बयान कराने रवाना हो गई. इस सफर में आरोपी को सामने देख बच्ची डर गई और गाफिल हो गई. दिन भर टिहरी में रखने के बाद भी बयान नहीं हुए,रात डेढ़ बजे लाकर फिर गांव छोड़ दिया. संडे का तबियत इतनी बिगड़ गई कि बच्ची को पहले मसूरी फिर दून लाना पड़ा. अब मासूम दून महिला अस्पताल में भर्ती है.

एसएसपी और सीओ को हटाने की मांग:

इस मामले में बच्ची के साथ आए ग्रामीणों ने बाल आयोग की अध्यक्ष और विधायक खजान दास से पुलिस के खिलाफ लापरवाही के आरोप लगाते हुए एसएसपी टिहरी और सीओ नरेन्द्र नगर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. परिजनों व ग्रामीणों का आरोप है कि सीओ आरोपी पक्ष से मिला हुआ है वह मामले को जानबूझकर दबाने की कोशिश और बच्ची व उसके परिजनों को प्रताडि़त कर रहा है.

Posted By: Ravi Pal