सप्लाई इंस्पेक्टर के 'लॉगिन' से हुआ राशन घोटाला
आई एक्सक्लूसिव
-राशन घोटाले में जांच की सुई सप्लाई इंस्पेक्टर पर घूमी, सभी के लॉगिन को खंगाला जा रहा, 42 कोटेदार निरस्त -विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर के लॉगिन से ही चेंज किया जा सकता है आधार आईडी, कोई दूसरा ऑप्शन ही नहीं -राशन घोटाले में कोटेदारों की मांगी गई डिटेल, सप्लाई इंस्पेक्टर्स को भी मामले की जांच में शामिल किया गया द्मड्डठ्ठश्चह्वह्म@द्बठ्ठद्ग3ह्ल.ष्श्र.द्बठ्ठयन्हृक्कक्त्र : सरकारी राशन वितरण प्रणाली में फर्जीवाड़े को रोकने के लिए प्रदेश सरकार ने ऑनलाइन व्यवस्था शुरू की। गरीबों के राशन पर कोई डाका न डाल सके, इसके लिए लाभार्थियों के आधार लिंक कराए गए। लेकिन, व्यवस्था को चलाने वाले सरकारी अफसरों ने ही कोटेदारों के साथ मिलकर व्यवस्था में छेद कर दिया और करोड़ों का घोटाला कर डाला। राशन घोटाले की तह तक जाने के लिए जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने पड़ताल की तो घोटालेबाज चेहरों से नकाब उठ गया। क्योंकि पूरे घोटाले को खाद्य आपूर्ति विभाग के सप्लाई इंस्पेक्टर्स ने ही अंजाम दिया है। इस साजिश में कोटेदारों और विभाग के अन्य कर्मचारियों ने भी 'आहुति' दी है। बता दें कि विभाग में 18 राशनिंग इंस्पेक्टर और 9 एआरओ हैं। कोटेदार इन्हीं के अंडर में होते हैं।
कंपनी के ऑपरेटर भी संदिग्धएनआईसी के विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक कानपुर के अलावा अन्य जिलों में भी कंपनी के ऑपरेटर, कोटेदार और सप्लाई इंस्पेक्टर इस घोटाले में शामिल पाए गए हैं। किसी प्राइवेट संस्था को विभागीय लॉगिन आईडी के राइट नहीं दिए जा सकते हैं। ऐसे में बिना विभागीय कर्मचारी के यह घोटाला करना संभव नहीं है। विभागीय वेबसाइट और कर्मचारी की आईडी सिर्फ एनआईसी सर्वर ही चल सकती है। वहीं प्राप्त जानकारी के मुताबिक घोटाले में संलिप्त सप्लाई इंस्पेक्टर छुट्टी पर जाने की तैयारी में लग गए हैं।
------------- ऐसे हुआ लॉगिन का मिसयूज सप्लाई इंस्पेक्टर की लॉगिन आईडी से राशन कार्ड से लिंक आधार आईडी को संशोधित कर कोटेदार आराम से दूसरे की आधार आईडी के जरिए राशन निकाल लेता था। वहीं ई-पीओएस मशीन भी चेंज किए गए संबंधित व्यक्ति के थंब इप्रेशन के जरिए आधार कार्ड को वेरिफाई कर देती थी। राशन निकाले जाने के बाद फिर से उसी लॉगिन के जरिए राशन कार्ड में आधार आईडी को चेंज कर दिया जाता था। ------------ जांच में किए गए शामिलपुलिस ने मामले में अपनी जांच तेज कर दी है। राशन घोटाले में शामिल 42 कोटेदारों का मोबाइल नंबर और एड्रेस पुलिस ने विभाग से मांगे हैं। पुलिस ने मामले में सप्लाई इंस्पेक्टर्स को शामिल करते हुए संबंधित एरिया के सप्लाई इंस्पेक्टर्स से जांच में सहयोग के लिए कहा है। डीएम के निर्देश पर कोतवाली, अनवरगंज, जूही, कैंट, कर्नलगंज, किदवई नगर थाने में एफआईआर लिखाई जा चुकी है। इसके साथ ही पुलिस ने उन 17 लोगों की तलाश तेज कर दी है, जिनका आधार आईडी यूज किया गया।
----------- यह हैं सबूत 1. राशन वितरण की ऑनलाइन व्यवस्था संभालने वाली प्राइवेट कंपनी इंटिग्रा के पास आधार आईडी चेंज करने का राइट नहीं है। 2. एनआईसी के सर्वर को हैक करने के बाद भी किसी की आधार आईडी में कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है। 3. आधार आईडी का पूरा डाटा यूआईडीएआई के पास ही है, अन्य किसी भी संस्था के पास इसके डाटा नहीं है। इसे हैक करना पॉसिबल नहीं है। 4. जिले स्तर पर सप्लाई इंस्पेक्टर की लॉगिन आईडी से ही किसी भी राशन कार्ड में आधार आईडी को संशोधित किया जा सकता है। 5. शासन से आई जांच रिपोर्ट में इस बात का खुलासा किया गया है कि राशन कार्ड में दर्ज आधार आईडी को बार-बार चेंज कर राशन निकाला गया है।6. सप्लाई इंस्पेक्टर पर इसलिए भी जांच की सुई घूम रही है कि कोटेदार और सप्लाई इंस्पेक्टर एक-दूसरे के सीधे संपर्क में रहते हैं
7. सप्लाई इंस्पेक्टर को कोटेदार के पास जाने वाले पूरे राशन की जानकारी होती है। -------------- आंकड़ों से घोटाला -9292 बार फर्जी आधार आईडी के जरिए निकाला राशन। -17 फर्जी आधार का यूज कर बार-बार राशन निकाला गया। -42 कोटेदारों के खिलाफ दर्ज हुई कई थानों में एफआईआर। -18 सप्लाई इंस्पेक्टर तैनात हैं जिला आपूर्ति विभाग में। -1393.80 कुंतल गेंहू फर्जी आधार के जरिए निकाला। -929.20 कुंतल चावल भी कोटेदारों ने फर्जी तरीके से निकाला। -------------- कंपनी के पास आधार अपडेट करने का कोई राइट नहीं है। ई-पीओएस मशीन सिर्फ सर्वर के जरिए यह बताती है कि मशीन में लगाया गया अंगूठा संबंधित व्यक्ति का है या नहीं। मशीन के जरिए आधार अपडेट नहीं किया जा सकता है। -आशीष, क्लस्टर हेड, इंटिग्रा माइक्रोसिस्टम, लखनऊ