DEHRADUN : सिटी के प्रेमनगर में रावण बनाने की अनोखी परंपरा वर्षों से चली आ रही है. रावण दहन को लेकर जितना एक्साइटमेंट इस एरिया में रहता है वह शायद ही कहीं और होता हो. यहां के लगभग हर घर में रावण का पुतला बनता है जिन्हें बच्चे अपने हाथों से बनाते हैं. कोई अपने रावण का कद ऊंचा बनाता है तो कोई उसकी बड़ी मूछों और आंखों को विकराल रूप देता है. हर किसी की कोशिश होती है कि वो अपने रावण को सबसे अलग बनाए. उसका रावण सबसे बेहतर हो. बच्चों की इस कोशिश को विजयादशमी के दिन दशहरा ग्राउंड में फिर एक साथ देखा जाता है जहां एक नहीं बल्कि सैकड़ों रंग बिरंगे रावण मौजूद होते हैं. इन सभी रावणों को एक साथ फिर उसी ग्राउंड में आग के हवाले कर दिया जाता है.


कुछ इस तरह हुई शुरुआत प्रेमनगर के घर -घर में रावण को बनाने की यह प्रथा कोई आज की या साल दो साल पुरानी नहीं है। यह प्रथा वर्ष 1948 से यहां चली आ रही है। दरअसल, धर्मशाला कमेटी ने सिटी में 65 साल पहले रावण दहन की परंपरा शुरू की। ठीक एक साल पहले 1947 में भारत पाकिस्तान का विभाजन भी हुआ था, जिसकी वजह से सन् 1948 में  पाकिस्तान से भारी संख्या में रिफ्यूजी प्रेमनगर आकर बस गए। फिर इन्हीं लोगों द्वारा उस साल विजयादशमी के दौरान हर घर में रावण बनाए गए, जिसके बाद विजयाशमी के रोज प्रेमनगर दशहरा ग्राउंड में पहला रावण दहन हुआ। इस रावण दहन के बाद ये परंपरा यूं ही चली आ रही है। 15 फुट ऊपर होगी आतिशबाजी


रावण दहन को इस बार भी बेहद भव्य बनाने की तैयारी की गई है। दहन के साथ ही  ग्राउंड में खूबसूरत आतिशबाजी के भी इंतजाम हैं। इसके लिए सुरक्षा का भी ध्यान रखा गया है, जिसके तहत बकायदा सुरक्षा घेरे के अंदर आतिशबाजी की जाएगी। सुरक्षा के मद्देनजर ही 15 फुट ऊपर आतिशबाजी करने का निर्णय लिया गया है ताकि बिना किसी प्रॉब्लम के लोग उत्सव का मजा ले सकें। नवरात्र पर हो जाता हूं शाकाहारी

पिछले 35 साल से बिजनौर निवासी शौकत अली पुतले बनाने का काम कर रहे हैं, जबकि बीते चार सालों से दशहरे के मौके पर दून आकर कमेटी के लिए पुतले तैयार कर रहे हैं। दशहरा के पुतले बनाना इन्हें बेहद अच्छा लगता है। इनकी टीम में आठ कारीगर शामिल हैं। शौकत का कहना है कि जिस दिन से पुतले बनाने का काम शुरू करता हूं। उस दिन से मांसाहारी खाना बंद कर देता हूं। भले ही मैं दूसरे धर्म का हूं, लेकिन सम्मान हिंदू धर्म का भी करता हूं और ये धर्म से जुड़ा कार्य है। मुझे दशहरा पर्व का पूरे साल इंतजार रहता है। हर साल अपने हाथों से रावण बनाता हूं। इस बार रंग-बिरंगे पेपर्स से रावण बना रहा हूं, मेरे बाकी फ्रेंड्स के रावण से बिल्कुल अलग है। सन्नी, स्टूडेंट भले ही प्रेमनगर सिटी के दूसरे छोर पर है, लेकिन देखने वालों की भीड़ यहां खूब जमा होता है। दशहरा ग्राउंड में पंडितवाड़ी, मेहूंवाला, शुक्लापुर, नत्थनपुर, श्यामपुर सहित आसपास के क्षेत्रों से लोग भारी संख्या में दशहरा उत्सव का आनंद लेने पहुंचते हैं।सूरज प्रकाश भाटिया, प्रेसीडेंट, धर्मशाला कमेटी

इस साल रावण के पुतले की लंबाई दस फुट बढ़ाई गई है। रावण के अलावा मेघनाद, कुंभकरण और आर्टीफिशियल लंका भी दहन के लिए बनाई गई है। दशहरे वाले दिन हजारों की संख्या में लोग दशहरा उत्सव देखने के लिए आते हैं। भूषण भाटिया, सदस्य, धर्मशाला कमेटीये पुतले करीबन डेढ़ लाख रुपए की लागत से तैयार किए जा रहे हैं। पिछले 45 साल से हमारा परिवार धर्मशाला कमेटी के लिए पुतले तैयार कर रहा है। इस बार इन रावण की हाइट रावण 65 फुट, मेघनाद की 60 फुट और कुंभकरण की लंबाई 55  फुट रखी गई है।गिरीश कुमार, कारीगर

Posted By: Inextlive