- मेरठ पहुंचे वायलिन वादक पंडित डॉ। संतोष नाहर

- कहा पूरे उत्तर भारत में नहीं है आज कोई अच्छा वायलिन वादक

Meerut : मेरठ में पहुंचे वायलिन वादक पंडित डॉ। संतोष नाहर जो बिहार के सुप्रसिद्ध संगीत परिवार भागलपुर के मिश्र घराना में जन्मे हैं। भारतीय संगीत जगत में एक प्रख्यात वायलिन वादक के रूप में उन्होंने अपनी एक अपनी जगह बना ली है। डॉ। संतोष नाहर ने वायलिन वादक की प्रारंभिक शिक्षा अपने पिता पंडित प्रहलाद प्रसाद मिश्र दासपिता से प्रारंभ की। पंडित संतोष के पिता को संगीत से इतना प्यार था कि उन्होंने अपने बच्चों के नाम भी संगीत से ही जुड़े हुए रखे। उनके बड़े भाई का नाम पं। संगीत कुमार नाहर और छोटे भाई का नाम पं। साहित्य कुमार नाहर है। पंडित नाहर ने बताया कि पूरे नॉर्थ में कोई अच्छा वायलनिस्ट नहीं बचा है। अब फिल्मों में भी वादन को मिला जुलाकर ही परोसा जाता है।

रावण के वाद्य की तरह वायलिन

पंडित संतोष ने बताया कि वायलिन को लाने में रावण का भी रोल माना जा रहा है। वो इसलिए क्योंकि रावण हत्ता एक वाद्य है जो लकड़ी का है और रावण के पास रहा करता था। रावण के इसी वाद्य से मिलता जुलता ही वायलन है। इसलिए कह सकते हैं वायलन भले ही जर्मनी का हो, लेकिन उसे भारत में लाने में रावण का रोल है। पंडित नाहर ने बताया कि भोजपुरी फिल्मी जगत व सिंगर में उनके पसंदीदा भिखारी ठाकुर, शारदा सिन्हा, भरत व्यास, मनोज तिवारी जैसे लोग उनके फेवरेट है।

कलाकारों को सच्चाई समझनी होगी

पंडित संतोष नाहर ने कहा कि हम कलाकारों को आने वाली पीढ़ी को भी आगे बढ़ने देने का मौका देना चाहिए। हमें सोचना होगा कि पहलवानी और संगीत दोनों ही ऐसी चीज है जो जवानी में अच्छी की जा सकती है। इसलिए हमें दूसरों को आने का मौका देना चाहिए।

बदलाव आज की जरुरत है

उन्होंने आज के बदलते दौर में म्यूजिक में आने वाले बदलाव के बारे में कहा कि आज बदलाव की जरुरत को देखते हुए संगीत के साथ कई तरह के छेड़छाड़ किए जाते हैं। यह बदलाव भी आज की मजबूरी है, क्योंकि युवा ऐसा बदलाव चाहते हैं। पंडित ने कहा कि वायलिन केवल क्लास लेवल के बीच होना चाहिए। क्योंकि यह हर किसी की समझ में नहीं है।

Posted By: Inextlive