रघुराम राजन को रिजर्व बैंक का नया गवर्नर बनाने के फैसले से नौकरशाहों को इस पद पर नियुक्त करने का सिलसिला एक बार फिर से टूटा है. दस साल बाद किसी गैर नौकरशाह की इस पद पर वापसी हुई है. वित्त मंत्रालय में सचिव रह चुके मौजूदा गवर्नर डी सुब्बाराव भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर हैं. उनसे पूर्व गवर्नर रहे वाईवी रेड्डी भी आइएएस अधिकारी थे. हां रेड्डी से पहले इस पद पर आए बिमल जालान और सी रंगराजन जरूर अर्थशास्त्री थे.


22 गवर्नरों में से 14 भारतीय प्रशासनिक सेवा सेअब तक सुब्बाराव समेत रिजर्व बैंक के 22 गवर्नरों में से 14 भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े रहे हैं. 1935 में जब रिजर्व बैंक की स्थापना हुई थी तो पेशेवर बैंकर सर ऑसबर्न स्मिथ को इसका पहला गवर्नर नियुक्त किया गया था. मगर उन्होंने साढ़े तीन साल का अपना कार्यकाल पूरा किए बगैर जून, 1937 में पद से इस्तीफा दे दिया. इसका बाद केंद्रीय बैंक में प्रशासनिक अधिकारियों के आने का लंबा सिलसिला चला. 1937 से 1975 तक आरबीआइ की कमान दस प्रशासनिक अधिकारियों ने संभाली. इनमें से सात इंडियन सिविल सर्विस (आइसीएएस) से जुड़े थे.1975 से 1985 तक आइएएस रहे दूर


इस दौरान गवर्नर बने पीसी भट्टाचार्य इंडियन ऑडिट एवं अकाउंट सेवा से ताल्लुक रखते थे. 1975 से 1985 तक आइएएस अधिकारी इस पद से दूर रहे. यही वह समय था जब इस पद पर मशहूर अर्थशास्त्री और बैंकर काबिज रहे. 1977 में गवर्नर बने एम नरसिम्हन पहले और आखिरी ऐसे अधिकारी थे जो रिजर्व बैंक कैडर से आए थे. इसके बाद आइजी पटेल और मौजूदा प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस पद को सुशोभित किया, जिन्हें अर्थशास्त्री के तौर पर जाना जाता था. 2003 में फिर से नौकरशाह की वापसी

1985 में आरएन मल्होत्रा की आइएएस के रूप में फिर से इस पद पर वापसी हुई. उनके बाद आए एस वेंकटरमणन भी भारतीय प्रशासनिक सेवा से थे. 1992 में आइएएस अधिकारियों के बजाय फिर से अर्थशास्त्री सी रंगराजन को गवर्नर बनाया गया. 2003 में वाइवी रेड्डी के तौर पर फिर से नौकरशाह की रिजर्व बैंक में वापसी हुई. अब फिर राजन के रूप में कोई गैर नौकरशाह और अर्थशास्त्री इस पद की कमान संभालने जा रहा है. अब तक बने 22 गवर्नरों में से 12 वित्त मंत्रालय के साथ काम कर चुके हैं. वहीं, महज दो ने योजना आयोग के साथ काम किया है.

Posted By: Satyendra Kumar Singh