इस शख्सियत को परिभाषित करने के लिए महान शब्द भी छोटा है. कवि साहित्यकार पेंटर रचनाकार... के अलावा वह भारत का गौरव हैं. बात हो रही है गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की जिनकी 150वीं वर्षगांठ इस वर्ष मनाई जा रही है. रविंद्रनाथ टैगोर का जन्म 1861 में कलकत्ता के जोरासंको गांव में हुआ था.


A tribute by RBIउन्हें उनके कविता संग्रह ‘गीतांजलि’ के लिए 1913 में साहित्य के नोबल प्राइज से नवाजा गया। ये पल भारत सहित पूरे एशिया को गौरवान्वित करने वाले थे, क्योंकि टैगोर पहले नॉन यूरोपियन और इंडियन थे, जिन्हें साहित्य के सबसे बड़े पुरस्कार से नवाजा गया। इस शख्सियत को उनकी 150 वीं बर्थ एनिवर्सिरी पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने पहली बार 150 रुपए का सिक्का जारी कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। ये सिक्का नौ माई को आरबीआई द्वारा जारी किया गया.  दून के शेख अमीर के पास है coin
गुरुदेव टैगौर की याद में आरबीआई द्वारा जारी किया गया ये खूबसूरत क्वाइन आई-नेक्स्ट को अवेलेबल करवाया है दून के फिलेटेलिस्ट और क्वाइन क्लेक्टर शेख अमीर अहमद ने। अमीर के पास यूं तो डिफरेंट टाइप्स के क्वाइंस का वास्ट क्लेक्शन है, लेकिन वह कहते हैं कि गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर उनके लिए प्रेरणास्रोत हैं। अमीर कहते हैं कि उनके लाइफ में उनके दो आइडल्स हैं। पहले हैं गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर और अल्लामा इकबाल। अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुए शेख बताते हैं कि उनके स्कूल के सिलेबस में गुरुदेव की एक कविता थी 'Where the mind is without fear and the head is held high'  इस कविता ने उन्हें लाइफ में पॉजीटिविटी दी। इसके बाद उन्होंने टैगोर की हर रचना को पढ़ा। आज टैगोर उनके आइडल हैं। जन गण मन के सौ साल इस साल जहां भारत गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर की 150वीं जयंती मना रहा है, वहीं 26 दिसंबर को जन गण मन के सौ साल भी पूरे हो गए। इतिहास की इसी तारीख को इंडियन नेशनल कांग्रेस की कलकत्ता मीटिंग में जन गण मन को पहली बार गाया गया था। 24 जनवरी 1950 को इसे भारत का राष्ट्रीय गान का दर्ज दिया गया। इसके अलावा टैगोर दुनिया के पहले ऐसे कवि हैं जिनकी रचना को दो देशों ने अपना नेशनल एंथम अडॉप्ट किया। टैगोर द्वारा ही ‘रचित अमार सोनार बांग्ला’ को बांग्लादेश ने अपना राष्ट्र गान बनाया।

Posted By: Inextlive