GORAKHPUR : मैं भलोटिया मार्केट हूं। क्97भ् में मेरा जन्म हुआ। मैं दवाओं के कारोबार में देश की सबसे तीसरी सबसे बड़ी थोक मार्केट हूं। मेरे यहां होने वाले बिजनेस से प्रदेश सरकार के खजाने में डेली क्0 लाख रुपए का इजाफा होता है, हजारों घरों का चूल्हा जलता है, लाखों मरीजों की जान बचाने वाली 'संजीवनी' यहीं से ले जाई जाती है। दर्जनों शहर के लोग यहीं से मरीजों के लिए दवाएं ले जाते हैं, मगर आज मैं खुद बीमार हूं। इतना बीमार कि मेरे पास आने के लिए लोगों को कीचड़ के दलदल से गुजरने के बाद ही इंट्री मिलती है। प्रॉब्लम यहीं खत्म नहीं होती, इसके बाद लोगों को अपने कनवेंस को सही जगह खड़ा करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। उसके बाद सामना होता है दुकानों के आसपास बिखरे कूड़े के ढेर से, जिसकी बदबू यहां आने वालों के लिए न सिर्फ परेशानी का सबब बनती है, बल्कि उन्हें खुद बीमार बना देती है। मेरे पास आने वाले देर रात तक तो यहां खरीद-फरोख्त कर ही नहीं सकते, क्योंकि बिजली विभाग की भी मेहरबानी यहां पर कम नहीं है। मार्केट की ब्00 दुकानों के लिए महज फ् पोल लगाए गए हैं, जहां पर अपनी दुकान का तार ढूंढना किसी जंग लड़ने से कम नहीं है। एक दुकान की बत्ती गुल हुई तो उसे सही करने में कई जगह और की बिजली गुल होना तय है। इसके बाद जब और आगे बढ़ते हैं तो पान की पीक का भी सामना हो ही जाता है। सरकार ने तो यहां से मुंह फेर ही रखा है वहीं यहां के कुछ जिम्मेदार भी भारी मुसीबत आने पर ही दिखाई पड़ते हैं। कुल मिला-जुलाकर करोड़ों जिंदगी बचाने के बाद भी आज मेरा अपना मर्ज दूर करने वाला कोई नहीं है।

भलोटिया मार्केट

मार्केट ऑफ - दवाओं का थोक बाजार

एरिया - 7भ्000 स्क्वॉयर फिट एरिया में फैला

नंबर ऑफ कॉम्प्लेक्स - क्ख्

शॉप की तादाद - ब्00

मंथली बिजनेस - म्0 करोड़

हर दिन आवाजाही - भ्000 लोग

इन जगहों से आते हैं लोग- पूर्वाचल, लखनऊ और बिहार

यहां से आती है दवाएं - दिल्ली, मुंबई, सूरत, अहमदाबाद

प्रॉब्लम्स -

- क् पोल पर लगभग क्भ्0 से ज्यादा बिजली कनेक्शन हैं इस वजह से दुकानों में लो वोल्टेज रहता है।

- ख् पोल पर पूरे भलोटिया मार्केट का लोड है, इस वजह से खराबी होने पर उसे दुरुस्त करने में समय लगता है।

- रोड की हालत बिलकुल खराब है। लोग मार्केट आने से पहले क्0 बार सोचते हैं लोग।

- पूरी मार्केट में पार्किंग फैसिलिटी नहीं है, लोगों को मजबूरन रोड पर ही खड़ी करनी पड़ती है।

- टॉयलेट की कोई व्यवस्था न होने से दवा खरीदने आने वाली महिलाओं को और प्रॉब्लम फेस करनी पड़ती है।

- पूरे मार्केट में कहीं पर पीने के पानी की कोई सुविधा नहीं है।

- मेन एंटे्रंस से अंदर तक कई जगहों पर वॉटर लॉगिंग रहती है जिससे लोगों को कीचड़ के दलदल को पार कर आना पड़ता है।

- स्ट्रीट लाइट न होने से रात में मार्केट आना एक्सीडेंट को न्योता देने जैसा है।

- सिक्योरिटी की कोई फैसिलिटी नहीं है, ये हाल तब है जब यहां डेली करोड़ों का ट्रांजेक्शन होता है।

बिजली विभाग भी यहां पर अनदेखी कर रहा है। पूरे भलोटिया मार्केट में ब्00 से ज्यादा दुकानों की बिजली सप्लाई के लिए महज फ् पोल लगाए गए हैं। इसमें अगर फॉल्ट हो जाता है तो काफी प्रॉब्लम झेलनी पड़ती है।

- अवनीश चंद्र श्रीवास्तव, चंद्रा डिस्ट्रिब्यूटर

जबसे मेरी यहां दुकान है, तब से यहां पर प्रॉब्लम ही प्रॉब्लम रहा करती है। इन दिनों सफाई कराई गई है, लेकिन उससे और गंदगी हो गई है। दुकान के सामने ही कीचड़ हो गया है, जिससे वॉटर लॉगिंग की प्रॉब्लम झेलनी पड़ रही है।

- नरसिंह पांडेय, निशी फॉर्मा

मार्केट में सफाई के नाम पर कोरम भी पूरा नहीं किया जाता था। काफी भाग-दौड़ करने और नगर आयुक्त को ज्ञापन देने के बाद कुछ दिन पहले सफाई शुरु हुई है। यहां पर रेग्युलर सफाई व्यवस्था की जरूरत है।

- योगेंद्र नाथ दुबे, अमर मेडिकल एजेंसी

भलोटिया मार्केट मैं जबसे देख रहा हूं, तब से ऐसे ही है। प्रॉब्लम की ओर किसी का ध्यान ही नहीं जाता। वॉटर लॉगिंग, पार्किंग, टॉयलेट कोई भी बेसिक फैसिलिटी यहां पर मौजूद नहीं है।

डॉ। एके तिवारी, अरना क्लीनिक

मार्केट की कंडीशन काफी खराब है, कोई भी जिम्मेदार इस ओर नजरें नहीं डालता। सरकार को सबसे ज्यादा टैक्स देने के बाद भी यहां फैसिलिटी के नाम पर कुछ भी नहीं है।

- नरेंद्र त्रिपाठी, आशीर्वाद मेडिकल एजेंसीज

यहां पर अंदर रास्ता इतना खराब है कि रिक्शेवाले आना नहीं चाहते हैं। हल्की सी बरसात में वॉटर लॉगिंग हो जाती है। दवा लेने आते हैं तो काफी प्रॉब्लम हो जाती है।

- इशरत इकबाल लारी, रिटेलर, मऊ

यहां पार्किंग की फैसिलिटी सबसे खराब है। पार्किंग फैसिलिटी न होने की वजह से कुछ मंथ पहले मेरी गाड़ी गायब हो चुकी है।

- मुरारी विश्वकर्मा, रिटेलर, बशारतपुर

भलोटिया मार्केट क्97भ् की है। इस दौरान सिर्फ भ्-7 दुकानें थी। मैं यहां पर क्979 में आया और अपनी शॉप ओपन की। भलोटिया मार्केट में लगभग ब्00 से ज्यादा शॉप्स हैं।

- सत्येंद्र सिंह, अध्यक्ष, दवा विक्रेता समिति, गोरखपुर

Posted By: Inextlive