बच्‍चा गोरा पैदा हो इसलिये लोग क्‍या कुछ नहीं करते हैं। गर्भावस्‍था के दौरान में मां को फल और मेवा खिलाई जाती है। जिससे घर में पैदा होने वाल बच्‍चे का रंग सफेद हो। वैसे क्‍या आप सोच सकते हैं कि कोई अपने बच्‍चे को सिर्फ इसलिये मार दे कि उसका रंग गोरा है। जी हां आप को यह कोई मजाक लग रहा होगा पर सच यही है।


जारवा जनजाति में मार देते हैं गोरा बच्चाजनाब हम बात कर रहे हैं जारवा जनजाति के लोगो की जो बच्चा गोरा पैदा होने पर मार देते हैं। केंद्र शासित प्रदेश अंडमान में परंपरा के नाम पर जारवा जनजाति के लोग अपने ही बच्चों को मार डालते हैं। वैसे तो यहां भी किसी घर में बच्चे की किलकारी गूंजते ही जश्न मनाए जाते हैं। अगर बच्चे का रंग काला न होकर थोड़ा सा भी साफ होता है तो उसे मार दिया जाता है। क्योंकि गोरा बच्चा दूसरे समुदाय का लगता है। अंडमान पुलस के सामने मुश्किल यह है कि वह शिकायत पर एक्शन ले या फिर ट्राइब की परंपरा को बनाए रखे। गर्भवती बच्चा काला पैदान करने के लिये पीती हैं खून
काला बच्चा पैदा करने के लिए यहां लोग जानवरों का खून पीते हैं। यहां मान्यता है कि अगर गर्भवती महिला को खून पिलाया जाए तो बच्चे का रंग गहरा हो जाता है। वो काला पैदा होता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस जनजाति की आबादी करीब 400 है। ये ट्राइब्स अंडमान आइलैंड के नॉर्थ इलाके में रहती है। जारवा जनजाति 55 हजार साल से यहां रहती है। 1990 में पहली बार बाहरी दुनिया के संपर्क में आई। जारवा ट्राइब्स इलाकों में विदेशी या बाहरी लोगों का आना बैन है। पिछले साल नवंबर में एक बच्चे की हत्या के बाद आई विटनेस ने पुलिस को पूरी जानकारी दी।

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Posted By: Prabha Punj Mishra