चीन की राजधानी बीजिंग में 28 अक्तूबर को एक कार अचानक लोगों की भीड़ से टकरा गई थी जिससे पांच लोगों की मौत हुई और 38 ज़ख़्मी हो गए. लेकिन जहां ये घटना हुई वो चीन में सबसे ज़्यादा संवेदनशील जगह मानी जाती है.


ये घटना राजनीतिक तौर पर बहुत ही संवेदनशील समय में हुई क्योंकि कुछ ही हफ़्तों में चीन की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी एक अहम बैठक करने वाली है जिसमें कम्युनिस्ट पार्टी नए सुधारों का ख़ाका पेश करेगी.आधिकारिकर तौर पर इस बैठक को 18वी पार्टी कांग्रेस की तीसरी बैठक कहा जा रहा है. इसी बैठक के साथ ही चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, जिन्होंने पिछले साल के आख़िर में सत्ता संभाली थी, दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश की कमान पूरी तरह से संभालेंगे.चूंकि ये घटना तियेनएनमेन चौक के सामने हुई थी इसलिए इस घटना ने एक राजनीतिक कहानी की शक्ल ले ली. ऐसा तियेनएनमेन चौक के राजनीतिक अहमियत की वजह से हुआ.'स्वर्गीय शांति नहीं'


ये लोगों के लिए आराम करने या एक दूसरे से मिलने-जुलने की जगह नहीं है. न यहां कोई बेंच है, न पेड़ और न ही धूप या बारिश से बचने के लिए कोई जगह. यहां कोई टॉयलेट भी नहीं है.कम्युनिस्ट पार्टी ने इस चौक को नया आकार इसीलिए दिया था ताकि ये सिर्फ़ राजनीतिक काम में इस्तेमाल किया जा सके.

अगर ऐसा कोई वीडियो कैमरा होता जो तियेनएनमेन चौक में साल 1949 से अब तक हुई घटनाओं को रिकॉर्ड कर सकता तो ये चीन में तब से हुई घटनाओं का भी पूरा और विस्तृत रिकॉर्ड होता क्योंकि इतिहास का हर मोड़ या तो यहां देखा गया या महसूस किया गया.लेकिन तियेनएनमेन चौक पूरी दुनिया में एक ऐसी घटना की वजह से मशहूर हुआ जो यहां साल 1989 में हुई थी.चार जून 1989 को चीन की सरकार ने यहां सैनिक और टैंकों को भेजा ताकि छात्रों की अगुवाई वाले एक लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन को कुचला जा सके.इसका अंत कई लोगों की मौत और ज़ख़्मी होने के साथ हुआ.समस्या ज़ाहिर करने की जगहतियानेमन चौक, बीजिंगतियानेमन चौक पूरी तरह से खुला हुआ है, धूप-बारिश से बचने के लिए कोई जगह नहीं है.पहले ये काफ़ी खुला हुआ था और बीजिंग के निवासी यहां शाम में आया करते थे. कुछ लोग यहां पतंग उड़ाया करते थे. लेकिन अब इसे क़िले की तरह बना दिया गया है. अब इसे लोहे की दीवारों से घेर दिया गया है और इसके चार कोनों में बनी अंडरग्राउंड सुरंगों से ही यहां पहुंचा जा सकता है. यहां सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं. और पुलिसकर्मी चौबीसों घंटे इसकी निगरानी करते हैं.

तियेनएनमेन चौक ने ऐसी भूमिका हासिल कर ली है जिसकी न तो योजना थी और न ही कम्युनिस्ट पार्टी ने कभी ऐसी इच्छा की थी.ये लोगों के लिए अपनी समस्याएं ज़ाहिर करने की जगह बन चुका है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कम्युनिस्ट पार्टी के विरोधियों ने इस जगह का इस्तेमाल पार्टी को खुली चुनौती देने के लिए किया है.ऐसे समय जब कम्युनिस्ट पार्टी अपने राज की वैधता को लेकर संकट से जूझ रही है, उस पर सामाजिक स्थिरता को बनाए रखने की धुन सवार है.कम्युनिस्ट पार्टी को डर है कि तियेनएनमेन चौक में अगर कोई प्रदर्शन या विरोध होता है तो उसे पार्टी की कमज़ोरी के तौर पर समझा जाएगा. इसीलिए वो इस चौक पर प्रदर्शन रोकने के लिए सभी तरीक़े आज़माने को तैयार है.ये साफ़ नहीं है कि तियेनएनमेन चौक में जो घटना हुई वो हादसा थी या किसी तरह का राजनीतिक संदेश देने की कोशिश. एक चीज़ ज़रूर साफ़ है, तियेनएनमेन चौक में सुरक्षा और बढ़ा दी जाएगी.

Posted By: Subhesh Sharma