-नगर निगम के टैक्स कलेक्टर अपने पास ही रखते थे रसीदें

-रसीद बुकों की नहीं होती थी ऑडिट

-लेखा परीक्षक ने कई बार किया था आगाह

GORAKHPUR: नगर निगम में टैक्स कलेक्टर की जालसाजी का मामला बड़ा होता जा रहा है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है घोटाले की राशि बढ़ रही है। सूत्रों के अनुसार, अभिलेखागार जारी रसीद बुकों का नियमित आडिट नहीं होने से सामने आया 15 लाख का घोटाला करोड़ों के आंकड़ें तक पहुंच सकता है। नगर निगम में टैक्स वसूली के लिए रसीद बुक तो जारी कर दी जाती थी, लेकिन नियमों को दरकिनार कर जमा करते समय उनका न तो मिलान किया जाता था और न आडिटिंग होती थी। कर्मचारियों को रसीद बुक जारी करते समय इसकी कोई पूछताछ नहीं की जाती थी कि पहले जारी रसीदों का भुगतान हुआ है या नहीं।

लेखा परीक्षक करते रहे आगाह

निगम में टैक्स की राशि में हुए घोटाले को टाला जा सकता था। मुख्य लेखा परीक्षक ने निर्माण, रेंट टैक्स विभाग व नगर आयुक्त को पिछले वित्तीय वर्ष में ही कई बार पत्र लिखकर रसीदों की आडिटिंग नहीं होने से घोटाले की आशंका जाहिर की थी। यही नहीं उन्होंने एक दर्जन से अधिक पत्र लिखकर 2015 के बाद से जारी रसीद बुकों की जांच करने के लिए मांगा था। इसके लिए विभागाध्यक्षों को कई बार पत्र लिखने के बाद उन्होंने 4 जनवरी 2017 को पत्र लिखकर बुक नहीं जारी करने को कहा था। लेकिन अधिकारियों ने इन पत्रों को गंभीरता से नहीं लिया, जिसका नतीजा अब सामने अा रहा है।

अभिलेखागार में नहीं है कोई रसीद

रकम की वसूली के लिए जारी रसीद बुक की नियमानुसार नियमित जांच होनी चाहिए। कर्मचारी रसीद जारी कराने के बाद से वसूली करते हैं और भर जाने के बाद काटे गए रसीद की रकम का भुगतान करते हैं। जिसका बाद में लेखा परीक्षक द्वारा आडिट किया जाता है। अंतर होने पर कर्मचारी से वसूली की जाती है। अभी तक निगम में एक भी रसीद बुक की प्रति जमा नहीं की गई है। टैक्स कलेक्टर रकम जमा करने के बाद अपने पास ही रसीद बुक को रख्ा लेते थे।

कर्मचारियों के पास सैकड़ों रसीद बुक

निगम के अभिलेखागार में रसीद बुक को रखने की जगह ही नहीं हैं। इस वजह से यहां से रसीद बुक तो जारी की जाती थी लेकिन उसे जमा नहीं कराया जाता था। घोटाले का मामला सामने आने के बाद अब निगम अभिलेखागार में रसीद बुक रखने का इंतजाम कर रहा है। आरोपी टैक्स कलेक्टर को 2014 के बाद से 40 रसीद बुक जारी किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, कई टैक्स व रेंट कलेक्टर के पास 100 से भी अधिक रसीदें हैं।

वर्जन

रसीदों की जांच नहीं होने से घोटाले की आशंका पहले से ही थी। कई पत्र लिखकर रसीदों की नियमानुसार जांच को कहा गया था। यदि पहले कार्रवाई की गई होती निगम को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सकता था।

इसरार अंबिया अंसारी, मुख्य लेखा परीक्षक

Posted By: Inextlive