RANCHI : राज्य में बॉडी बिल्डर के एक्रिडिएशन नियमों के चक्रव्यूह में करीब 400 स्लीपर और एसी बसों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय मोटरयान नियमावली के तहत बसों की बॉडी बनाने के लिए ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया में एक्रिडिएशन जरूरी है। लेकिन, राज्य में अधिकांश बॉडी बिल्डरों को एआएआई क्या है इसकी जानकारी तक नहीं है। यहां के ज्यादातर बस बॉडी बिल्डर बिना नियमों के चल रहे हैं।

क्या है मामला

राज्य के तत्कालीन परिवहन सचिव राहुल शर्मा ने सभी डीटीओ को निर्देश दिया था कि किसी भी हाल में एआरएआई नियमों की अनदेखी कर बसों का निबंधन न करें। केन्द्रीय मोटरगाड़ी अधिनियम 1989 की धारा के नियम 36 के प्रावधान के तहत वाहन विक्रेता या बॉडी निर्माता को डीटीओ के सामने व्यापार प्रमाण पत्र देना होगा।

राज्य में पांच को ही एक्रिडिएशन

एआरएआई की वेबसाइट के अनुसार राज्य में मात्र पांच बॉडी बिल्डरों को एक्रिडिएशन मिला हुआ है। इसमें रांची में दो और जमशेदपुर के तीन बॉडी बिल्डर को एक्रिडिएशन है। जबकि, 400 से ज्यादा बॉडी बिल्डर बिना नियमों के चल रहे हैं। और इसी नियम के पेंच में करीब 400 लग्जरी और नॉन लग्जरी बसों का रजिस्ट्रेशन फंसा हुआ है।

राजधानी के दो बॉडी बिल्डरों को ही एक्रिडिएशन

ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया से रांची के मात्र दो बॉडी निर्माताओं ने ही एक्रिडिएशन ले रखा है। इनमें एक नागेन्द्र बॉडी है तो दूसरी तारणी बॉडी बिल्डर है। दोनों बॉडी निर्माताओं के अलावा जमशेदपुर के तीन बॉडी निर्माता ने एक्रिडिएशन लिया है। इसमें पेबको, सूरज और उत्कल बॉडी बिल्डर शामिल हैं। इसके अलावा किसी भी बॉडी निर्माता के पास एआरएआई का एक्रिडिएशन नहीं है।

डीटीओ को देना है सर्टिफिकेट

मामलों के जानकार अधिवक्ता विजय पांडेय के अनुसार केन्द्रीय मोटरयान नियमावली 1989 के नियम 36 के प्रावधान के तहत वाहन बिक्रेता या बॉडी निर्माता को डीटीओ के सामने प्रमाण पत्र देना होगा। इसके लिए जरूरी है कि बॉडी निर्माता को एआरएआई से एक्रिडिएशन लेना जरूरी है। परंतु बॉडी निर्माताओं के लिए एक्रिडिएशन लेना आसान नहीं है।

Posted By: Inextlive