अब शादी को बचाने के लिए कोई समझौता नहीं करना चाहता. उन्हें तलाक चाहिए फिर वो चाहे शादी के दो ही दिन हुए हों.


यही वजह है कि पिछले दो साल में न्यूली मैरीड कपल में डिसप्यूट और डिवोर्स के मामले की संख्या बढ़ी है और परामर्श केन्द्र में समझौते की फाइलों का आना तेजी से घटा है। अंकिता गुप्ता और वीरेन्द्र कुमार गुप्ता फैमिली कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। वे कोर्ट तलाक लेने के लिए नहीं बल्कि परामर्श केन्द्र में आते हैं। जहां से एक बार फिर दोनों को एक साथ रहने का मौका दिया गया है।


2009 से चल रहे तलाक के केस में काउंसिलिंग के बाद वो फिलहाल 21 मई से साथ रह रहे हैं और अपने रिश्ते को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। यह तस्वीर का खुशनुमा पहलू है लेकिन दूसरा पहलू जो आम तौर पर होता है वह कुछ अलग ही है। अब शादी को बचाने के लिए कोई समझौता नहीं करना चाहता। उन्हें तलाक चाहिए फिर वो चाहे शादी के दो ही दिन हुए हों। यही वजह है कि पिछले दो साल में न्यूली मैरीड कपल में डिसप्यूट और डिवोर्स के मामले की संख्या बढ़ी है और परामर्श केन्द्र में समझौते की फाइलों का आना तेजी से घटा है। रिश्ता तोडऩे में देर नहीं

'डोली में गये हैं अब अर्थी में ही वापस आएंगे' कभी यह लाइनें लड़की के विवाह से पहले कहीं जाती थीं और लड़कियां इस पर खरा भी उतरती थीं। कुछ भी हो जाए लेकिन अपने रिश्ते को बचाना ही है लेकिन अब ऐसा नहीं है। न ही लड़कियां और न लड़के कोई भी रिश्ता तोडऩे में देर नहीं करते। फैमिली कोर्ट की एक काउंसलर के अनुसार आज के मां बाप भी इसी में विश्वास करने लगे हैं। वो भी यही कहते हैं कि इससे अच्छा तो अलग ही हो जाओ। यही वजह है कि शादी को जितना भी वक्त गुजरा हो लोग अब तलाक लेने में देर नहीं करते और उसका उदाहरण हैं फैमिली कोर्ट में चल रहे केसेज।

विभा और वैभव दोनों ही मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करते हैं। वैभव विदेश में काम करता था और विभा लखनऊ की एक कम्पनी में। 2010 में दोनों की अरेंज मैरिज हुई। शादी के बाद दोनों हनीमून ट्रिप पर स्विटजरलैण्ड गये। पहली ही रात को लड़के ने कहा कि वो किसी और को पसंद करता है। दोनों वहां अलग अलग रूम में रहे और यहां आकर अलग हो जाने का फैसला किया। इसी मंथ, उनकी शादी का एक साल पूरा होते ही लखनऊ के फैमिली कोर्ट में डिवोर्स का केस फाइल हो चुका है। वहीं शादी की पहली रात नंदिनी ने अपने पति से कह दिया कि वो किसी और से प्यार करती है और बस दूसरे दिन दोनों अलग हो गये और दस दिन के बाद मामला फैमिली कोर्ट पहुंच गया।सिर्फ चार महीने का रिश्ताशहर में ही रहने वाले अपर मिडिल क्लास फैमिली के विनोद रस्तोगी सरकारी जॉब मे हैं। जनवरी में उनकी शादी शहर के बाहर हुई। शादी के चार महीने नहीं गुजरे थे कि विनोद ने फैमिली कोर्ट में डिवोर्स के लिए केस फाइल किया। विनोद ने वजह पूछने पर बताया कि उनकी पत्नी बिना वजह उनपर शक करके घर में बवाल करती हैं। फिलहाल केस चल रहा है और दोनों अलग अलग रह रहे हैं।
वहीं एक ही साल पहले शादी के बंधन में बंधे ऋषभ और श्वेता ने म्यूचुअली तलाक का केस एक महीना पहले फैमिली कोर्ट में फाइल किया है। हालांकि शादी के कुछ ही महीनों बाद दोनों में डिसप्यूट हो गया था और दोनों अलग रह रहे थे। क्योंकि दोनों ही एक साल पूरा होने का इंतजार कर रहे थे और मई में वक्त पूरा होते ही दोनों ने केस फाइल कर दिया। यह दोनों ही एमबीए और वर्किंग हैं, दोनों की अरेंज मैरिज हुई थी, लेकिन ऋषभ का कहना है कि श्वेता किसी से फोन पर बहुत बात करती है और यही वजह बनी दोनों में तलाक की। वकील भी सोच में पड़ जाते हैंफैमिली कोर्ट में जिस तरह से न्यूली मैरिड कपल अपनी शादी तोडऩे के लिए आ रहे हैं उससे कई बार वकीलों को भी सोचना पड़ जाता है कि कैसे केस लड़ा जाए क्योंकि शादी के एक साल बाद ही तलाक का केस फाइल हो सकता है। लेकिन यहां तो कई शादियां दस दिन में टूटीं तो कोई फस्र्ट नाइट को ही। ऐसे में अलग होने की बात को लेकर जब मामला कोर्ट पहुंचा तो पहले जूडिशियल सेपरेशन में केस फाईल करके वक्त का इंतजार किया गया और एक साल पूरा होने पर डिवोर्स के प्रोसेस को आगे बढ़ाया गया. 

(सभी नाम बदले हुए हैं)

Posted By: Inextlive