दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीडि़तों ने जताया संतोष

मिठाई बांट कर मनाई खुशी, सपा विधायक ने बंधाया ढांढस

Meerut। आखिर 31 साल बाद हाशिमपुरा कांड में 16 दोषियों को उम्रकैद की सजा के दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद पीडि़तों की आंखों में आंसू छलक आए। बुधवार को हाशिमपुरा में बुजुर्ग फैसले पर कोर्ट का शुक्रिया अदा कर रहे थे तो वहीं आगे की लड़ाई के लिए भी तैयारी में लगे थे। दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद दैनिक जागरण आई नेक्स्ट टीम ने बुधवार सुबह हाशिमपुरा का हाल जाना।

इंसाफ मिला पर सुकून नहीं

हाशिमपुरा इंसाफ कमेटी के अध्यक्ष जुल्फिकार नासिर ने बताया कि देर से इंसाफ मिला पर दिल को सुकून नहीं, उम्मीद थी कि दोषियों को फांसी की सजा होगी। जुल्फिकार नासिर इस नरसंहार के न सिर्फ चश्मदीद थे बल्कि उन्होंने पीएसी की गोलियां भी खाई। उन्होंने कहा कि 2015 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने गलत फैसला सुनाया था। इसलिए वह हाईकोर्ट में गए थे। उस वक्त जो सबूत मिटा दिए गए थे। उन्हें इकठ्ठा किया गया। उन्होंने कहा कि अगर दोषी सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो हम भी सुप्रीम कोर्ट में न्याय की लड़ाई मजबूती से लड़ेंगे।

चश्मदीदों के मुताबिक

फरवरी 1986 में राजीव गांधी सरकार के अयोध्या में विवादित ढांचे का ताला खोलने के बाद उत्तर भारत के कई बड़े शहरों में दंगा शुरू हो गया था। चश्मदीदों के मुताबिक 22 मई 1987 को अलविदा जुमे का दिन था, लोग हापुड़ रोड स्थित मस्जिद से घर पहुंचे थे। अभी लोग घरों पर बैठे ही थे पूरा हाशिमपुरा मिलिट्री, पुलिस और पीएससी के जवानों की बूटों से गूंज उठा। मिलिट्री घरों ने दाखिल हुई तो पुरुषों और बच्चों को शाहपीर गेट चौपले पर इकट्ठा किया गया। करीब 200 लोगों को यहां संगीन के साए में बैठाया गया। जिसके बाद देर शाम करीब 7 बजे पीएसी के ट्रक में करीब 50 लोगों को बैठा लिया गया। आरोप है कि देर रात्रि दिल्ली रोड पर मुरादनगर के समीप गंगनहर की पुलिया पर ट्रक से निकालकर 42 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई और शवों को नहर में फेंक दिया। इसके अलावा 5 लोग ऐसे भी थे जो गोली खाने के बाद भी किस्मत से जीवित रहे। उस्मान, बाबुद्दीन, मुजीबुल रहमान, जुल्फिकार नासिर, नईम इनमें शामिल हैं। घटनाक्रम के बाद 19 पीएसी के जवानों को हत्या, हत्या का प्रयास, साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ और साजिश रखने की धाराओं में आरोपी बनाया गया था। वर्तमान में मामले में आरोपी बनाए गए 16 लोग जीवित हैं। उत्तर प्रदेश की सीबीसीआईडी ने 161 लोगों को गवाह बनाया था।

ऐसे चली कोर्ट की कार्रवाई

21-22 मई 1987 को हुए इस कांड में 42 लोगों की मौत हुई।

7 लोगों को छोड़कर सभी को मुआवजा मिल चुका है।

पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने जांच सीबीसीआइडी से कराई।

6 साल बाद फरवरी 1994 में रिपोर्ट भी आई, पर सरकार ने दोषियों को सजा दिलाने के लिए कोई कार्य नहीं किया।

19 पीएसी जवानों के खिलाफ 1995 में सीबीसीआईडी ने गाजियाबाद के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) की कोर्ट में आरोपपत्र दाखिल किया

कोर्ट ने जनवरी 1997 से अप्रैल 2000के दौरान अभियुक्तों के खिलाफ 6 जमानती और 17 गैर जमानती वारंट जारी किए।

मई 2000 में 19 में से 16 अभियुक्त हाजिर हुए। जून-जुलाई में सबको जमानत मिल गई।

दंगा पीडि़तों के आवेदन पर सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 2002 में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में ट्रांसफर कर दिया।

2002-04 तक यूपी सरकार ने इस मामले में वकील नहीं किया।

मार्च 2004 से 2006 तक दो एसपीपी नियुक्त, पर दोनों विफल रहे।

21 मार्च 2015 में तीस हजारी कोर्ट ने सभी जवानों को बरी कर दिया था

दरभंगा, बिहार के ही मुजीबुल रहमान ने उस रात का वाक्या बयां करते हुए कि जैसे ही ट्रक से उतारकर एक युवक को गोली मारी गई, हमें समझ आ गया कि जान जाने वाली है। सभी ने चीखना चिल्लाना शुरू कर दिया तो आरोप है कि पीएसी के जवानों ने नीचे से ट्रक के अंदर गोलीबारी कर दी, जिससे ज्यादातर लोग घायल हो गए। और इसके बाद एक-एक कर ट्रक से लोगों को उतारकर गोली मारी गई और गंगनहर में फेंक दिया गया। मजदूर मुजीबुल का कहना है कि उस दिन के बाद परिवार बिखर गया है।

देखा है मौत का मंजर

पीडि़त पावरलूम मजदूर उस्मान पुत्र वसीर अहमद ने कहा कि मौत का वो मंजर मैंने देखा है। हर ओर चीख -पुकार थी, लोग रहम की भीख मांग रहे थे। आरोप है कि पीएससी के जवान ताबड़तोड़ गोलियां बरसा रहे थे। उस्मान को भी दो गोलियां लगी, एक कूल्हे को पार करती हुई निकल गई तो दूसरी पैर में लगी। नहर में झाडि़यों में छिपकर उन्होंने मौत का तांडव देखा। पीडि़त उस्मान हाशिमपुरा को छोड़कर अब लक्खीपुरा में परिवार के साथ बस गए हैं।

जिन्होंने खोए अपने

बुढ़ापे की छिनी लाठी

परचून की दुकान पर बैठे 85 वर्षीय बुजुर्ग जमालुद्दीन दास्तां बयां करते -करते फफक कर रो पड़े। उस रात जमालुद्दीन का बेटा कमरुद्दीन भी पीएसी की गोली का शिकार हुआ था। 5 बेटों में सबसे बड़े 19 वर्षीय कमरुद्दीन की 2 माह पहले ही शादी हुई थी। ग्राहकों को सामान देते-देते अपने आंसू छिपाने की नाकाम कोशिश भी बुजुर्ग जमालुद्दीन कर रहे थे। उन्होंने कहाकि सरकार जीने का सहारा दे दे। वाजिब मुआवजा मिल जाए और परिवार के एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी।

बेटा खोया पति हुए घायल

दिल में गमों का समंदर लिए बैठी बुजुर्ग हाजरा आने-जाने वालों का हुजूम देखकर दहाड़ें मारकर रो पड़ी। आरोप है कि हाजरा के बेटे मोहम्मद नईम का पीएसी के जवानों ने कत्ल कर दिया था जबकि बलवे के दौरान पति अब्दुल हमीद का सिर फाड़ दिया था। बेटे की तस्वीर को सीने से लगाए बुजुर्ग हाजरा हाईकोर्ट के फैसले से मुतमईन हैं।

ताकती रहीं निगाहें

जरीना पर तो मानों गमों का पहाड़ ही टूट पड़ा था। हाशिमपुरा कांड में जरीना के पति जहीर अहमद और एक बेटे जावेद को निगल लिया था। आरोप है कि दोनों को पीएसी के जवानों ने गोलियों से भून दिया था। शव नहीं मिले थे, गाजियाबाद में पति और पुत्र के खून से सने कपड़े ही पुलिस ने दिए थे। 31 सालों से आंखों से आंसू बनकर बह रहे गमों को हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद राहत मिली है।

बयां की दर्द की दास्तां

मोहम्मद इकबाल की मौत के बाद पत्‍‌नी जैबुन्निशा बेसहारा हो गई तो बेटियों के सिर से पिता का साया छिन गया। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद एकदूसरे को मिठाई खिलाते हुए दर्द जैबुन्निशा ने दर्द की दास्तां बयां की। बताया कि उस समय सबसे छोटी बेटी याशीन 2 दिन की थी। पति की मौत के बाद वे सड़क पर आ गई, कई रात परिवार भूखे पेट सोया तो मेहनत मजदूरी करके जैबुन्निशा ने 4 बच्चियों का पालन-पोषण किया। बड़ी बेटी नाजमीन का कहना है कि पिता होते तो वो भी पढ-लिख सकती थी।

हाशिमपुरा इंसाफ कमेटी इस केस को दिल्ली हाईकोर्ट लेकर गई

31 अक्टूबर 2018 को सभी 16 आरोपी पीएससी जवानों को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई।

आंखों देखी

मंजर को याद कर सिहर उठता हूं

बिहार के दरभंगा के मूल निवासी बाबूउद्दीन पुत्र खलील अंसारी ने बताया कि आज भी रात में कभी वो मंजर नजर के सामने आ जाता है सिहर उठता हूं। नींद काफूर हो जाती है। पावरलूम में मजदूरी कर रहे बाबूउद्दीन रोजगार की तलाश में परिवार के साथ 34 साल पहले मेरठ आए थे। आरोप है कि पीएसी के जवानों ने बाबूउद्दीन को दो गोली मारकर मरा समझकर गंग नहर में फेंक दिया था। हाईकोर्ट के फैसले पर उन्होंने संतोष जताया। बाबूउद्दीन की एक गोली सीने पर दाई ओर लगी थी जबकि नहर में फेंकते समय एक गोली पैर में लगी।

टूट गया परिवार

Posted By: Inextlive