Allahabad : कल तक वह धर्म गुरु के रूप में जाने जाते थे. वह पादरी थे और उसके बाद बिशप बन गए. लेकिन अब कानून की नजर में वह फ्राड बन गए थे. करोड़ों रुपए गबन का उनपर आरोप था. मंडे को उन्हें सिविल लाइंस एरिया से अरेस्ट कर लिया गया. उनके खिलाफ इलाहाबाद ही नहीं बल्कि झांसी और कानपुर में भी फ्राड के कई मामले दर्ज हैं.


3 करोड़ 84 लाख का घपला डायसिस ऑफ लखनऊ के उपाध्यक्ष डेनियल सुभान ने मारिस एडगर दान के खिलाफ तीन करोड़ 84 लाख रुपए गबन करने का आरोप लगाया था। मारिस के साथ एचआर मल के खिलाफ फ्राड करके रुपए हड़पने का मामला 7 नवंबर 2013 को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन में दर्ज हुआ था। उपाध्यक्ष का कहना था कि कुछ सालों पहले इनकम टैक्स ने इलाहाबाद हाई स्कूल सोसायटी में छापा मारकर तीन करोड़ 64 करोड़ रुपए सीज किया था। बाद में हाईकोर्ट के आदेश पर सारे पैसे रिलीज करा लिए गए। कालेज के करोड़ों रुपए को दान ने एक दूसरे बैंक में एकाउंट खुलवाकर ट्रांसफर कर दिए और उसे हड़प गए। सिविल लाइंस पुलिस को थी तलाश
रिपोर्ट दर्ज करने के बाद सिविल लाइंस पुलिस ने दान की तलाश शुरू कर दी। जांच में क्लीयर भी हो गया कि दान ने फर्जी तरीके से रुपए हड़पे हैं। सिविल लाइंस इंस्पेक्टर अमरनाथ यादव और सब इंस्पेक्टर बीआर बिंद की टीम दान की तलाश करते हुए दिल्ली पहुंच गई। पुलिस को सूचना मिली थी कि दान दिल्ली में शरण लिए हुए हैं। मंडे की सुबह दान को सिविल लाइंस पुलिस स्टेशन के बाहर अरेस्ट कर लिया गया.शायद दान जैसे ही ट्रेन से बाहर निकला पुलिस ने उसे दबोच लिया।


सीधे कोर्ट में पेश कियादान के साथ पुलिस ने एक धर्म गुरु की तरह ही बिहैव किया। दान को पुलिस ने किसी गोपनीय जगह पर रखा। पुलिस लॉकअप तक उन्हें नहीं जाना पड़ा। दोपहर में सिविल लाइंस पुलिस उन्हें सीधे कोर्ट में पेश करने के लिए ले गई। शिकंजे में फंसाने की कोशिशएसपी सिटी राजेश यादव ने बताया कि दान के खिलाफ कई शहरों में फ्राड के मामले दर्ज हैं। अब तक जानकारी के मुताबिक उनके खिलाफ 10 मुकदमे विभिन्न डिस्ट्रिक्ट में दर्ज हैं, जिसमें छह मामले इलाहाबाद में सिविल लाइंस और कर्नलगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज हैं.  फ्राड के दो मामले बांदा और दो मामले कानपुर नगर व कानपुर देहात में दर्ज हैं। इसके अलावा अभी और कुछ और मामलों की जांच की जा रही है। पुलिस अब सभी मामलों में उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में जुट गई है।राम जेठ मलानी से मांगी मदद

पुलिस सोर्सेज की मानें तो मारिस एडगर दान को पता चल गया था कि उन्हें पुलिस अब छोडऩे वाली नहीं है। कई मामले में एफआईआर दर्ज थी लेकिन सिविल लाइंस वाले मामले में उनके खिलाफ पुलिस को पास ठोस एविडेंस थे। यहां से जमानत मिलना मुश्किल था। ऐसे में वह दिल्ली पहुंचे थे। दिल्ली में वह फेमस एडवोकेट राम जेठ मलानी से मिलकर अपने केस के बारे में डिस्कशन करने की तैयारी में थे। फिर क्या हुआ अभी इसके बारे में पुलिस को ज्यादा जानकारी नहीं है। 25 साल तक बने रहे पादरी धर्म के क्षेत्र में मारिस एडगर दान का कई वर्षों तक सक्रिय योगदान रहा। मारिस एडगर दान 25 साल तक इलाहाबाद और बनारस में बतौर पादरी रहे। इसके बाद वह बिशप चुने गए। बिशप बनकर उन्होंने अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर लिया था। चौथे साल में उनके सितारों की स्थिति बदल गई। आरोप-प्रत्यारोप के बाद वह छुट्टी पर चले गए। वापस लौटे तो यहां पर कहानी बदल चुकी थी। उसके बाद इलाहाबाद छोडऩे के अलावा दान के पास दूसरा कोई आप्शन नहीं बचा था।

Posted By: Inextlive