‘तलाक दे तो रहे हो गुरुर-ओ-कहर के साथ. मेरा शबाब भी लौटा दो मेरे महर के साथ.’ अक्सर इन लाइनों को गुजरे जमाने की अभिनेत्री मीना कुमारी की बता फनकार कमाल अमरोही और मीना के दर्द व तलाक का किस्सा बयां किया जाता है. पर वास्तव में ये लाइनें मीना कुमारी की हैं ही नहीं बल्कि सजनी भोपाली की हैं. उनके किस्सों को लेकर कमाल की पुत्री रुखसार अमरोही बुरी तरह आहत हैं. मिर्जा गालिब की जिंदगी पर आधारित उर्दू धारावाहिक ‘न होता मैं तो क्या होता’ के सिलसिले में अमरोहा पहुंचीं रुखसार सफाई देते-देते रो सी पड़ीं. हाथ जोड़ बोलीं ‘प्लीज मेरे पिता को बदनाम न कीजिए. मीना कुमारी की यादें अब मुझे टार्चर करती हैं.’


भूल जाना चाहती हैं मीना की यादेंबड़ा सा आंगन, खुला-खुला बरामदा, हवादार कमरों वाला करीने से बना और सजा सफेद मकान, जिसके आंगन में खेले थे, मशहूर फिल्मकार कमाल अमरोही. जहां उनकी हंसी व ‘पाकीजा’ फिल्म के गीत गूंजते थे, वहां अब खामोशी है. साल में दो-चार बार जब रुखसार यहां आती हैं तो खामोशी टूटती है. पर सिसकियां सी सुनाई देने लगती हैं. वह कमाल अमरोही की बेटी हैं, इस पर उन्हें फख्र है, लेकिन मीना कुमारी, उनकी छोटी अम्मा थीं, इस पर अफसोस है. कहती हैं, बड़ी भूल की मेरे पिता ने. मीना कुमारी ने न सिर्फ उनका कद छोटा कर दिया, बल्कि उन्हीं के कारण कमाल साहब की छवि खलनायक वाली बन गई. काश, वह मीना से शादी न करते तो बड़ा मुकाम हासिल करते. इसलिए अब मीना कुमारी से जुड़ी यादों को वह भूल जाना चाहती हैं.


मामूली बात पर हो गए थे अलग

रुखसार बताती हैं कि कमाल अमरोही और मीना कुमारी एक मामूली सी बात पर अलग तो हो गए थे, लेकिन कभी उनका तलाक नहीं हुआ. कोई तलाकनामा किसी के पास नहीं है. न ही कमाल साहब के कारण उन्हें शराब की लत लगी थी, बल्कि फिल्म वालों ने मीना को बर्बाद करने के लिए यह लत लगाई थी. यही वजह है कि कमाल साहब से अलग होने के बाद वह एक भी हिट फिल्म नहीं दे पाईं. यह किस्सा भी खत्म हो गया था, लेकिन ‘साहब, बीवी और गुलाम’ में एक शराबी महिला के किरदार को मीना कुमारी की रियल जिंदगी से जोड़ दिया गया. इसके बाद से मीना कुमारी की जन्म तिथि हो या बरसी, उनके बारे में मनगढ़ंत किस्से बना दिए जाते हैं. उनके बारे में बताया जा रहा हर किस्सा झूठा है.Report by: Ajay Yadav (Dainik Jagran)

Posted By: Satyendra Kumar Singh