- दून में किराए की बाइक संचालित करने वाली मात्र एक ही फर्म

- शहर में कई अवैध संचालक बेखौफ चला रहे हैं अपना कारोबार

-वेबसाइट पर अपना प्रचार कर ग्राहकों को खींच रहे हैं अपनी ओर

>DEHRADUN: न किसी का डर और न सरकार की तरफ से अधिकृत लाइसेंस। कानून के सौदागर बेखौफ दून की सड़कों पर किराए की बाइक्स जरूरतमंद को देकर सरकार के राजस्व में चूना लगाने के साथ ही कइयों की जिंदगी से खेल रहे हैं। वहीं संबंधित विभाग को इसकी जानकारी तक नहीं। महकमा मामला सामने आने पर कार्रवाई की बात कह रहा है।

फल-फूल रहा काला कारोबार

मोटर साइकिल किराया योजना 1997 के तहत दून में रोजाना कई मोटर साइकिल किराए पर चल रही हैं। लेकिन किराए पर दी जाने वाली इन मोटरसाइकिलों को चलाने वालों में दून में केवल एक ही लाइसेंस स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी से जारी है। ऐसे ही पूरे प्रदेश में चार लाइसेंस जारी किए गए हैं, जिनको रेंट पर बाइक चलवाने का अधिकार प्राप्त है। लेकिन अकेले दून की बात की जाए तो शहर में कई ऐसे कारोबारी हैं, जिन्होंने किराए पर बाइक देने का धंधा शुरू कर दिया है। जबकि उन्होंने अधिकृत तौर पर इसके लिए विभाग से लाइसेंस भी नहीं लिया है। बाकायदा ऐसे कारोबारी वेबसाइट पर आसानी से अपना प्रचार-प्रसार भी कर रहे हैं। साथ ही किराए पर बाइक लेने वाले उन तक पहुंच रहे हैं और वे विभाग के आंखों में धूल झोंकर अपनी मोटी कमाई कर रहे हैं।

हर साल लग रहा सरकार को चूना

जानकारों की मानें तो इसके लिए न केवल विभाग के राजस्व में हर साल हजारों का चूना लग रहा है। बल्कि किराए पर बाइक लेने वाले के जिंदगी से भी खिलवाड़ कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि बाइक दुर्घटना होने व किराए की बाइक चलाने वाले व्यक्ति की अकस्मात मृत्यु पर इंश्योरेंस दिया जाता है, जिसके लिए लाइसेंसधारी रेंटल बाइक संचालक पहले ही इंश्योरेंस भरता है। लेकिन जो रेंटल बाइक संचालक अवैध रूप से चल रहे हैं, उनके पास यह सुविधा नहीं है। सूत्र बताते हैं कि कई ऐसे भी हैं, जो बाइक मिस्त्री का काम कर रहे हैं और उनके पास मौजूद बाइक को वे किराए पर दे देते हैं।

रेंटल बाइक के लिए हैं कुछ नियम

किराए की बाइक लेने वाले चालक को बाइक लेने से पहले विभाग के नियमानुसार डीएल व आईडी प्रूफ देना जरूरी होगा। इसके अलावा सुबह सात बजे से रात्रि 10 बजे तक ही किराए पर बाइक दी जा सकती है। ईधन खुद बाइक चालक को देना होगा और एक्सीडेंट में बाइक डैमेज होने का हर्जाना चालक को ही देना होगा।

सूबे में चार लाइसेंसधारी

जानकारी के अनुसार राज्य में रेंटल बाइक चलाने के लिए केवल चार लाइसेंसधारी ही हैं। जिसमें एक दून, दूसरा मसूरी, तीसरा नैनीताल व चौथा ऋषिकेश में है। किराए की बाइक की डिमांड सबसे ज्यादा मसूरी, नैनीताल व ऋषिकेश में बतायी जा रही है।

सरकार को देनी होती है फीस

रेंटल बाइक लाइसेंसधारियों को साढ़े तीन हजार रुपए एसटीए (स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी), दो हजार तक आरटीओ व तीन हजार तक कामर्शियल टैक्स देना पड़ता है। नियमानुसार इसके लिए अपनी बिल्डिंग, पानी व टॉयलेट व पार्किंग की सुविधा होने चाहिए।

लेते हैं मनमाफिक किराया

लाइसेंसधारी संचालक बाइकों को ब्0 रुपए से लेकर 9भ् रुपए प्रति घंटे की दर से देते हैं। जबकि रोजाना का किराया भ्00 से लेकर क्क्भ्0 तक दून में निर्धारित है। लेकिन अवैध रूप से बाइक किराए पर देने वालों का किराया तो क्भ्00 रुपए प्रतिदिन तक वसूला जाता है। इतनी वसूली के बाद भी सरकार के खजाने में कुछ नहीं जाता है।

इस प्रकार को मामला अभी विभाग के सामने नहीं आया है। जांच की जाएगी, ऐसा मामला संज्ञान में आता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। आरसी भी जब्त कर दी जाएगी।

सुधांशु गर्ग, आरटीओ।

Posted By: Inextlive