हरियाणा में 10 हजार 618 करोड़ रुपये के टैक्स घोटाले में नया मोड़ आ गया है. विशेष जांच दल एसआइटी द्वारा लोकायुक्त को सौंपी जांच रिपोर्ट के तुरंत बाद यह लीक हो गई जिसे लोकायुक्त ने गंभीरता से लिया है. एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर किसी तरह की कार्रवाई से पहले लोकायुक्त जस्टिस प्रीतम पाल सिंह पहले यह जांच कराएंगे कि यह लीक कैसे हुई है.

सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई
वहीं इस मामले में दूसरी तरफ कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी ने किसी भी तरह के टैक्स चोरी में शामिल होने से साफ इनकार किया है. वाड्रा की कंपनी ने साफ कर दिया कि उसके पास राज्य सरकार अथवा आबकारी एवं कराधान विभाग का कोई बकाया नहीं है और न ही किसी तरह के बकाया की कभी कोई मांग की गई है. लोकायुक्त के निर्देश पर आइपीएस अधिकारी श्रीकांत जाधव ने टैक्स घोटाले की जांच करने के बाद रिपोर्ट दाखिल की थी. इस रिपोर्ट में आधा दर्जन से अधिक कंपनियों को गलत ढंग से वैट रिफंड हासिल करने, वैट का भुगतान नहीं करने और सेल्स टैक्स की गलत रिपोर्ट दाखिल करने का आरोपी माना गया था तथा पूरे मामले की जांच के लिए सीबीआइ जांच की सिफारिश की गई थी. इस मामले में पांच वरिष्ठ अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर भी अंगुली उठाई गई थी.

रिपोर्ट का लीक होना गंभीर मामला
लोकायुक्त ने अभी इस रिपोर्ट पर आधिकारिक तौर पर कोई फैसला नहीं लिया है, लेकिन उन्होंने आज कहा कि उनके कार्यालय से किसी भी गोपनीय दस्तावेज या रिपोर्ट का लीक होना गंभीर मामला है और वह इसकी जांच करवाएंगे.जस्टिस प्रीतमपाल सिंह का कहना है कि जब तक लोकायुक्त कार्यालय जांच रिपोर्ट की स्टडी नहीं कर लेता, उसे लीक नहीं किया जा सकता. लोकायुक्त के संविधान में साफ है कि जांच रिपोर्ट की स्टडी होने के बाद ही उसे वेबसाइट पर अपलोड किया जाता है. लोकायुक्त ने पूछने पर कहा कि वैट घोटाले में जो रिपोर्ट एसआइटी ने सौंपी है, उस पर कोई भी फैसला तब तक नहीं लिया जा सकता, जब तक कि कानूनी पेंचों को नहीं समझा जाता.

एसआइटी की जांच रिपोर्ट का दावा
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी के कानूनी अधिकारियों ने किसी भी तरह की टैक्स चोरी अथवा घोटाले में शामिल होने से साफ इनकार किया है. राबर्ट वाड्रा ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से कहा कि उन्होंने कभी कोई टैक्स की चोरी नहीं की है और न ही राज्य सरकार, टैक्स अथारिटी अथवा आबकारी एवं कराधान विभाग का कंपनी पर किसी तरह का कोई टैक्स बकाया है. जिस एसआइटी की जांच रिपोर्ट का दावा किया जा रहा है, उसने अथवा लोकायुक्त कार्यालय की ओर से कभी कंपनी को यह जानकारी नहीं दी गई कि ऐसी कोई जांच की भी जा रही है. न ही इस बारे में उन्हें या उनकी कंपनी को कभी कोई नोटिस मिला है. कंपनी को कभी जांच में शामिल होने अथवा अपनी बात कहने के लिए भी नहीं बुलाया गया है. वाड्रा का कहना है कि कंपनी ने जो भी जमीन खरीदी, उसकी स्टांप ड्यूटी का भुगतान किया गया.

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Posted By: Satyendra Kumar Singh