- अब तक दो सौ रिसर्च पेपर लिख चुका है सानू

- पटना में रह कर रहा है आईआईटी की तैयारी

अब तक दो सौ रिसर्च पेपर लिख चुका है सानू

- पटना में रह कर रहा है आईआईटी की तैयारी

PATNA: patna@inext.co.in

PATNA: दुबला-पतला और बिखरे हुए बालों वाला सानू अक्सर अपने स्मार्ट फोन पर बिजी दिखता है। पहली नजर में उसे देखकर लोगों को यही लगता है कि लड़का सोशल साइट्स का बीमार है, लेकिन उससे बात करने पर यह भ्रम दूर हो जाता है। सत्रह साल का सानू कुमार सहरसा का रहने वाला है। वह पटना में रहकर आईआईटी की तैयारी कर रहा है और यहीं के एक निजी कोचिंग संस्थान में पढ़ता है, लेकिन इससे भी बड़ी खास बात तो यह है कि हाल ही में एक इंटरनेशनल और चार नेशनल लेवल के रिसर्च जर्नल में उसके रिसर्च पेपर छपने वाले हैं। चारो जर्नल से इसकी स्वीकृति भी मिल चुकी है।

सानू की उत्सुकता ने कराया रिसर्च

सानू के पिता गंगा प्रसाद मधेपुरा में बीएसएनएल में कार्यरत हैं। सानू ने टेंथ सहरसा से ही किया और अपने माता पिता का इकलौता संतान है। सानू ने अबतक साइंस, सोशल साइंस, मैथ सहित अन्य विषयों पर दो सौ के आसपास रिसर्च पेपर तैयार कर चुका है। ऐसा नहीं है कि उसने अपनी सारी उर्जा इसी में लगा दी है। सानू अपने क्लास का भी बेहतर स्टूडेंट है। उसने टेंथ में भी बेहतर परफॉर्म किया है। सानू ने बताया कि वह बचपन से ही हर क्वेश्चन में क्यों और कैसे जरूर पूछता था। बचपन में उसे यह बात बहुत परेशान करती थी कि रेलगाड़ी पटरी पर कैसे दौड़ती है। कौन सा फार्मूला उसमें अप्लाई होता है। इस तरह के कई सवाल उसके जहन में आता रहता था। जैसे-जैसे वो बड़ा हुआ मौजूद साधनों का इस्तेमाल करके कई रिसर्च पेपर लिख डाले।

क्यों और कैसे होता है पिंपल

सानू ने सबसे पहले पिंपल पर काम करना शुरू किया। स्टूडेंट जिस क्लास में मानव शरीर के बारे में पढ़ता है उस कक्षा में उसे पिंपल होने के कारण परेशान कर रहे थे। आखिर उसने उपलब्ध किताबों और इंटरनेट की मदद से यह जानने में उर्जा लगायी कि पिंपल होने के कारण क्या है ओर इसके उपचार क्या हैं। उसने तमाम स्टडी और एक्स्पेरिमेंट के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि हमारा इंवायरमेंटल कंडीशन हमारे स्कीन पर एक्सटर्नल फोर्स बनाती है जिससे सेल नष्ट होते हैं और पिंपल का निर्माण होता है। सानू ने बताया कि एक्यूरेट न्यूट्रीशन लेने वालेां में इसका इलाज बॉडी अपने आप कर लेती है, लेकिन अन्य केसेज में लोगों को दवा भी लेना पड़ता है। अपने रिसर्च में उसने मेडिसीन के बारे में भी बताया है जिससे पिंपल का इलाज और आसान हो जाएगा। इस रिसर्च पेपर को नासा से संबद्ध जर्नल आईओएसआर पब्लिश करने जा रही है।

तीन और जर्नल होंगे पब्लिश

सानू जब नौवीं कक्षा में था तब उसने अपनी हिस्ट्री की बुक में ज्यूज के बारे में पढ़ा था। उस बुक में ज्यूईश पीपल के बारे में जानकारी कम थी। सानू की उत्सुकता इसे जानने में बढ़ती गयी। मोबाइल और इंटरनेट के जरिए उसने ज्यूज पीपल के बारे में कई शोध पत्र पढ़े, इतनी कम उम्र में उसने लिखा कि ज्यूज की उत्पत्ती कैसे हुई, इस जाति की संस्कृति क्या हैं और कैसे इस जाति ने विभिन्न देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करायी है। अपना थर्ड रिसर्च पेपर उसने इफेक्ट ऑफ इनएक्यूरेट न्यूट्रीशन ऑन लिविंग बॉडी पर लिखा है। इस पेपर को ऑल सब्जेक्ट जर्नल पब्लिश कर रही है।

जर्नल की वेबसाइट्स

Posted By: Inextlive