- हिंदी संस्थान में सम्मान -2017 का आयोजन

- रमेश चंद्र शर्मा समेत दो दर्जन से ज्यादा साहित्यकार सम्मानित

LUCKNOW : उप्र हिंदी संस्थान में आयोजित सम्मान समारोह-2017 में साहित्यकारों का सम्मान हुआ तो पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि दुनिया की सभी भाषाओं में साहित्य सृजन हुआ, लेकिन जो हिंदी और उसकी सभी बहनों जैसी भाषा में जो प्रकट रूप है वही हमारा धर्म भाग्य भी बना है। कविता हमारा मार्ग दर्शन करती है, हमारे मूल्य-बोध को जगाती है। कविता संस्कृति के पीछे-पीछे चलती है। आज भारत के सामने एक विशेष प्रकार की चुनौती है हमें अपने पर अपनी भाषा पर गर्व होना चाहिए। पुरस्कार दायित्व देते हैं। समारोह की अध्यक्षता हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ। सदानंद प्रसाद गुप्त ने की।

दो पुस्तकों का लोकार्पण

इस अवसर पर संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका 'साहित्य भारती' के विस्थापन की त्रासदी: संदर्भ कश्मीर विशेषांक एवं केजीएमयू के डॉ। ए.के। त्रिपाठी की पुस्तक 'प्लेट्लेट्स की कमी' (भ्रांतियां एवं समाधान) का लोकार्पण भी मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। समारोह में सदानंद प्रसाद ने कहा कि आज का दिन लीला पुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण के महारास की स्मृति दिलाता है। यह मान्यता है कि आज के दिन ही चंद्रमा धरती पर अमृत की वर्षा करते हैं। हिंदी संस्थान के लिए यह प्रसन्नता का विषय है कि कार्यक्रमों के सुचारू संचालन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर वर्तमान वित्तीय वर्ष के बजट में उल्लेखनीय वृद्धि की गयी है। आज साहित्य भूषण सम्मान की संख्या दस से बीस हो गयी है। वहीं संस्थान के निदेशक शिशिर ने कहा कि मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में संस्थान निरंतर सक्रिय रहता है।

इन्हें किया गया सम्मानित

कार्यक्रम में डॉ। रमेश चंद्र शाह को भारती भारती पुरस्कार दिया गया। उन्हें पांच लाख रुपये, प्रतिमा और ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया गया। इसके अलावा लोहिया साहित्य सम्मान डॉ। जयप्रकाश कर्दम के प्रतिनिधि को चार लाख रुपये का चेक, ताम्रपत्र देकर सौंपा गया। हिंदी गौरव सम्मान डॉ। रामदेव शुक्ल, महात्मा गांधी साहित्य सम्मान डॉ। रामगोपाल शर्मा 'दिनेश', पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान डॉ। धर्मपाल मैनी, अवंतीबाई सम्मान शत्रुघ्न प्रसाद और राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन सम्मान कोलकाता के बाजार कुमारसभा पुस्तकालय को प्रदान किया गया।

इन्हें मिला साहित्य भूषण सम्मान

कार्यक्रम में साहित्य भूषण सम्मान डॉ। रमेश चंद्र शर्मा, हरिमोहन मालवीय, सत्यधर शुक्ल, मथुरेश नंदन कुलश्रेष्ठ, डॉ। चंद्रकिशोर पांडे 'निशांतकेतु', डॉ। देवीसहाय पांडे 'दीप', डॉ। अमरनाथ सिन्हा, डॉ। नंदलाल मेहता 'वागीश', डॉ। रामबोध पांडे, रामनरेश सिंह, 'मंजुल', रामसहाय मिश्र 'कोमलशास्त्री', डॉ। चमनलाल गुप्त, डॉ। मिथिलेश दीक्षित, डॉ। पशुपति नाथ उपाध्याय, डॉ। ओमप्रकाश सिंह, डॉ। अनुज प्रताप सिंह, चंद्र किशोर सिंह एवं दयानंद पांडेय को प्रदान किया गया। लोक भूषण सम्मान से रवींद्र नाथ श्रीवास्तव 'जुगानी भाई', कला भूषण सम्मान से डॉ। क्षेत्रपाल गंगवार, विद्या भूषण सम्मान से डॉ। कैलाश देवी सिंह, विज्ञान भूषण सम्मान से डॉ। गणेश शंकर पालीवाल, पत्रकारिता भूषण सम्मान से रमेश नैयर, प्रवासी भारतीय हिंदी भूषण सम्मान से डॉ। मृदुल कीर्ति, हिंदी विदेश प्रसार सम्मान से डॉ। अनिल प्रभा कुमार, मधुलिमये साहित्य सम्मान से डॉ। सुधाकर सिंह, पं। श्रीनारायण चतुर्वेदी साहित्य सम्मान से डॉ। गोविंद व्यास, विधि भूषण सम्मान से डॉ। विष्णु गिरि गोस्वामी, सौहार्द सम्मान से डॉ। अशोक प्रभाकर कामत, डॉ। टीवी कट्टीमनी, डॉ। बनारसी त्रिपाठी, डॉ। पी माणिक्यांबा 'मणि', विनोद बब्बर, डॉ। देवकी एनजी, डॉ। एबी साई प्रसाद, डॉ। विनोद कुमार गुप्त 'निर्मल विनोद', मेयार सनेही 'शब्बीर हुसैन', पं। मदन मोहन मालवीय विश्वविद्यालयस्तरीय सम्मान से डॉ। वागीश दिनकर एवं डॉ। अशोक कुमार दुबे, पं। कृष्ण बिहारी वाजपेयी पुरस्कार से इंटरमीडियट में साहित्यिक हिंदी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए फूलन गौतम एवं अमित कुमार, हाईस्कूल की परीक्षा में हिंदी विषय में सर्वाधिक अंक के लिए शहनाज खातून एवं गनेश्वर सिंह को सम्मानित एवं पुरस्कृत किया गया।

बॉक्स

50 साल से कर रहे साहित्य की सेवा

साहित्य भूषण सम्मान से सम्मानित किए गये डॉ। रमेश चंद्र शर्मा पिछले 50 वर्षो से हिंदी साहित्य की सेवा कर रहे हैं। डॉ। शर्मा को पहली बार सरकारी पुरस्कार मिला है। कानपुर निवासी डॉ। शर्मा कानपुर विश्वविद्यालय की हिंदी पाठ्यक्रम समिति तथा हिंदी शोध विकास समिति के कन्वीनर रह चुके हैं और अब तक उनकी 18 किताबें प्रकाशित हो चुकी है। उन्होंने वर्ष 1968 में साहित्य के क्षेत्र में कदम रखा और निबंध में विशेष विधा हासिल कर ली। मोहन अवस्थी जैसे विद्वान साहित्यकारों ने उनकी लेखनी की प्रशंसा की। प्रताप नारायण मिश्र ने भी अपनी पुस्तक में उनका उल्लेख किया है।

Posted By: Inextlive