PRAYAGRAJ: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि यदि विभागीय अपील व पुनरीक्षण मेरिट पर तय न कर तकनीकी आधार पर निरस्त हुई हो और इसके खिलाफ हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश को विशेष अपील में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने ऐसे मामले में विशेष अपील पोषणीय माना है। सामान्यतौर पर विभागीय अपील या पुरीक्षण निर्णय के खिलाफ एकलपीठ के आदेश के विरुद्ध विशेष अपील पोषणीय नहीं होती ऐसे आदेश को सुप्रीमकोर्ट में ही चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यदि अपील या पुनरीक्षण मेरिट पर तय नहीं की गयी है तो एकलपीठ के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में ही विशेष अपील पोषणीय होगी। कोर्ट ने विशेष अपील को पुनस्र्थापित करते हुए पुनर्विचार अर्जी स्वीकार कर ली है।

यह आदेश न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति संगीता चन्द्रा की खण्डपीठ ने रामाधार यादव की पुनर्विचार अर्जी को स्वीकार करते हुए दिया है। अपीलार्थी अधिवक्ता अदील अहमद खां का कहना है कि 24 अप्रेल 17 को विशेष अपील खारिज हो गयी। कोर्ट ने हुकुमदार तिवारी बनाम आई.जी। पुलिस केस का हवाला देते हुए कहा कि एकलपीठ के आदेश के खिलाफ विशेष अपील पोषणीय नहीं है। याची अपीलार्थी का कहना था कि विभागीय कार्यवाही के खिलाफ अपील पोषणीय न मानते हुए डी.आई.जी। ने खारिज कर दी। इसके खिलाफ पुनरीक्षण भी ग्राह्य न मानते हुए खारिज हो गयी। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी। याची का कहना था कि पुलिस दण्ड एवं अपील नियमावली 1991 के तहत उसे विभागीय कार्यवाही के खिलाफ अपील दाखिल करने का वैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा अपील, पुनरीक्षण पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। तकनीकी आधार पर खारिज कर दी गयी। ऐसे में एकलपीठ के आदेश को इसी कोर्ट में विशेष अपील में चुनौती दी जा सकती है। कोर्ट ने अपील को पोषणीय मानते हुए अपील को सुनवाई हेतु पेश करने का आदेश दिया है।

Posted By: Inextlive