RANCHI: रिम्स के आसपास समेत राजधानी में रहने वाले लोगों के लिए गुड न्यूज है। उन्हें रिम्स के बायोमेडिकल वेस्ट डिस्पोजल से होने वाले नुकसान से छुटकारा मिलने वाला है। जी हां, रिम्स में सालों से चल रहा इंसीनरेटर हटाया जाएगा फिर हॉस्पिटल से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट को डिस्पोजल के लिए लोहरदगा भेजने की तैयारी है। यह निर्णय बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल ना‌र्म्स में संशोधन के बाद लिया गया है। इसके तहत इंसीनरेटर के 500 मीटर दायरे में कोई भी बिल्डिंग नहीं होनी चाहिए। वहीं वेस्ट का डिस्पोजल भी अच्छे ढंग से किया जाना चाहिए ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। गौरतलब हो कि लोहरदगा में स्टेट का बड़ा डिस्पोजल प्लांट है, जिसकी क्षमता 25 हजार बेड के बायो वेस्ट को डिस्पोज करने की है।

खुले में नहीं फेंक सकेंगे बायो वेस्ट

मालूम हो कि रिम्स हॉस्पिटल में 1500-1600 मरीज इलाज करा रहे हैं। ऐसे में हर दिन सैकड़ों किलो बायो मेडिकल वेस्ट निकलता है, जिसे डिस्पोजल के लिए इंसीनरेटर में भेजा जाता है। लेकिन स्टाफ आधा कचरा जहां-तहां खुले में फेंक देते थे, जिससे आसपास के लोगों को इंफेक्शन होने का डर सताता रहता था। वहीं मैदान में घूमने वाले पशुओं को भी कई बीमारियां होने का खतरा रहता है। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद वेस्ट को कहीं भी फेंकना आसान नहीं होगा।

इंसीनरेटर हटने से मिलेगी राहत

जब हॉस्पिटल की शुरुआत हुई थी तो आसपास में खुला मैदान था। ऐसे में वेस्ट डिस्पोजल के लिए हॉस्पिटल के पीछे ही खाली जगह पर इंसीनरेटर लगा दिया गया। लेकिन धीरे-धीरे आसपास में कई बिल्डिंग बन गई। वहीं हॉस्पिटल कैंपस में भी बिल्डिंग बना दी गई। ऐसे में इंसीनरेटर से निकलने वाला धुआं लोगों के सेहत को नुकसान पहुंचा रहा था। वहीं कई लोग इस धुएं की वजह से बीमार भी हो चुके हैं। अब इंसीनरेटर बंद होने से लोगों को राहत मिलेगी।

वर्जन

ना‌र्म्स में कुछ संशोधन किया गया है। अब हमलोग विचार कर रहे हैं कि कैसे वेस्ट का डिस्पोजल हो। फिलहाल इंसीनरेटर को हटाने को लेकर बैठक होगी। इसके बाद डिस्पोजल के लिए बायो वेस्ट ले जाने वाली एजेंसी से भी संपर्क किया जाएगा। लोहरदगा में काम करने वाली एजेंसी की कैपासिटी 25 हजार बेड की है। ऐसे में हमलोगों को कोई परेशानी नहीं होगी।

डॉ। विवेक कश्यप, सुपरिंटेंडेंट, रिम्स

Posted By: Inextlive