RANCHI: रिम्स में मशीन और इक्विपमेंट्स खरीदने के लिए प्रबंधन के पास फंड नहीं है। जिससे कि मरीजों के साथ ही डॉक्टरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मरीजों को तो इसके लिए पैसे भी खर्च करने पड़ रहे हैं। लेकिन प्रबंधन इस ओर ध्यान देने के बजाय वार्डो में फ्लोर तोड़कर टाइल्स लगाने के लिए 8 करोड़ रुपए का टेंडर कर दिया। इससे वार्डो की व्यवस्था तो दुरुस्त नहीं हुई। उल्टे डॉक्टरों और मरीजों के लिए परेशानी बढ़ गई है। ये बातें शनिवार को रिम्स डॉक्टर्स एसोसिएशन की बैठक में डॉक्टरों ने कहीं। इसके अलावा एनपीए टाइम से नहीं मिलने का मुद्दा भी गरमाया रहा।

महीने भर भी नहीं टिक रही टाइल्स

60 साल पहले की गई रिम्स की फ्लोरिंग में आजतक कहीं टूटने की शिकायत नहीं मिली थी। इसके बावजूद प्रबंधन ने हर वार्ड में फ्लोरिंग को तोड़कर टाइल्स लगाने का आदेश दे दिया है। कई वार्डो में तो टाइल्स लगे एक महीने भी नहीं बीते हैं और जगह-जगह से ये टूटने भी लगी हैं। जिससे कि काम की क्वालिटी पर भी सवाल उठने लगे हैं। इसे लेकर डॉक्टरों ने भी डायरेक्टर से कंप्लेन की पर डायरेक्टर भी इसे लेकर गंभीर नहीं हैं।

प्रशासनिक अधिकारियों की हो एसीबी जांच

डॉक्टर्स एसोसिएशन की बैठक के बाद डॉक्टरों ने डायरेक्टर के कई निर्णय पर आपत्ति जताई। साथ ही कहा कि डॉक्टरों को मिलने वाले नॉन प्रैक्टिस अलाउंस ढंग से नहीं मिल रहा है। वहीं 7वां वेतनमान लागू होने के बाद भी कभी एनपीए को लेकर सही जानकारी नहीं दी गई। वहीं सरकारी डॉक्टरों को टीचिंग अलाउंस नहीं मिल रहा है। डायरेक्टर ने कहा कि डिपार्टमेंट की मशीन बनवाने का जिम्मा एचओडी का है। हमलोग मशीन बनवाएंगे या फिर मरीजों का इलाज करेंगे। इसके अलावा डॉक्टरों ने एम्स का ड्यूटी रोस्टर फॉलो करने की बात कहीं। जिसमें बताया गया कि 9 से 5 ड्यूटी टाइम होता है और 50 मिनट लंच। वहीं सरकार के द्वारा एसीबी जांच कराये जाने पर सभी ने कहा कि क्या डॉक्टरों के बीच इतना करप्शन है जिसकी जांच एसीबी से कराने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि रिम्स में लगातार कई काम हो रहे है। जिसमें भ्रष्टाचार साफ दिख रहा है। सरकार को सबसे पहले तो प्रशासनिक पदाधिकारियों की एसीबी जांच करानी चाहिए।

वर्जन

ऐसी जानकारी तो मिली है। संबंधित ठेकेदारों से बुलाकर पूछताछ की गई है। साथ ही उन्हें कई निर्देश भी दिए गए है।

डॉ। डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Inextlive