RANCHI: बंगाल का सिंगूर हिंसा के लिए चर्चा में रहा है लेकिन इसी सिंगूर से इंडिया को आलंपिक में मेडल भी मिलने की उम्मीद जग रही है. यह उम्मीद जगा रही है यहां की एक बेटी आशा रॉय जिसने अभी हाल ही में एशियन ट्रैक एंड फील्ड चैैंपियनशिप की 200 मीटर रेस में इतिहास रच दिया है. आशा ईस्टर्न रेलवे की ओर से रांची में खेलगांव में चल रहे 53वें नेशनल ओपेन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने के लिए आई हुई हैैं. आशा यहां पर ऐसी अकेली एथलीट नहीं है बल्कि इनकी जैसे दर्जनों एथलीट्स आज कल सिटी में आयोजित चैैंपियनशिप में भाग लेने के लिए आए हुए हैैं. सबके मन में सिर्फ एक सपना इंडिया को अगले ओलंपिक में मेडल दिलाना है.

लांग जंप में उम्मीद जगाते प्रेम  
हाल ही में प्रेम कुमार ने लांग जंप में रिकॉर्ड बनाया है। इन्होंने इसके पहले एशियन चैंपियनशिप में सिल्वर और चाइना में हुए एशियन इनडोर चैैंपियनशिप में ब्रांज मेडल जीतकर एक नई उम्मीद जगा दी है। तमिलनाडू के रहनेवाले और रेलवे की ओर से खेल रहे प्रेम कुमार 22 साल हैं। साल 2014 में स्कॉटलैंड के शहर ग्लास्गो और साउथ कोरिया के इंचियोन सिटी में होनेवाले एशियन गेम्स में प्रेम कुमार मेडल दिला सकते हैं। लेकिन प्रेम कुमार की लगन और मेहनत इस बात की ओर इशारा कर रही है कि साल 2016 में ब्राजील के रियो डी जेनिरियो में होने जा रहे ओलंपिक में भी इंडिया को एथलीट इवेंट में मेडल आ सकता है।

अब्दुल दिलाएंगे मेडल
इंडिया के स्टार एथलीट अब्दुल नजीम कुरैशी नेशनल रिकॉर्डधारी हैं। दिल्ली में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भी अब्दुल नजीम कुरैशी अपना जौहर दिखाकर इंडिया को 400 इन टू 100 मीटर रिले में ब्रांज मेडल दिला चुके हैं। ओएनजीसी की ओर से रांची में चल रहे नेशनल ओपेन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में पार्टिसिपेट करने आए अब्दुल के हौसले बुलंद हैैं.  अब्दुल कहते हैं कि अगर इंडियन एथलीट को इंटरनेशनल लेवल की फैसिलिटीज मिले  तो ओलंपिक में भी इंडिया को मेडल मिलेगा।

कनार्टक की बेटी भी जगा रही
कनार्टक निवासी और ओएनजीसी की ओर से पार्टिसिपेट कर रहीं एम.आर। पोम्पा ने एशियन चैंपियनशिप में 400 इन टू 400 मीटर रिले रेस और 400 मीटर रेस में गोल्ड मेडल जीता था। इन्होंने अपने इरादों से जता दिया है कि आनेवाला कल इनका है। कॉमनवेल्थ से लेकर एशियन गेम्स और उसके बाद ओलंपिक में देश को मेडल दिलाना पोम्पा का सपना है। इसके लिए वह मेहनत भी कर रही हैैं। ओएनजीसी की चर्चा करते हुए वह कहती हैं कि उन्हें बेहतर फैसिलिटीज मिल रही हैं। लेकिन अगर विदेश में जाकर विदेशी कोच की देखरेख में ट्रेनिंग होती है, तो मेडल पक्का हो जाएगा।

आशा से है काफी 'आशा Ó
पश्चिम बंगाल के सिंगूर जिले की बेटी आशा रॉय अपनी मेहनत और लगन से इंटरनेशनल एथलीट बन चुकी हैं। आशा आज इंडिया की इंटरनेशनल एथलीट बन चुकी हैैं.  आशा कहती हैं कि अगर इन्हें फैसिलिटीज मिलेंगी, तो वह और मेहनत करेंगी और मेडल जीतेंगी।

Posted By: Inextlive