- संक्रामक बीमारियों से जानवरों को बचाने के लिए चिडि़याघर प्रशासन ने बढ़ाया कदम

- दोपहर में दोनों गेटों पर किया गया चूने का छिड़काव

LUCKNOW:

चिडि़याघर में दरियाई घोड़े की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मौत से भय का माहौल है। मौत के कारण का पता लगाने के लिए टीम गठित की गई है। साथ ही जानवरों को बीमारियों से बचाने के लिए जू के दोनों मेन गेटों पर चूने का छिड़काव किया गया है।

आधा दर्जन से अधिक जानवरों की मौत

चिडि़याघर में इस साल साल अब तक आधा दर्जन से अधिक जानवर मौत के मुंह में समां चुके हैं। हालांकि जू प्रशासन का दावा है कि इनमें से कई अपनी औसत उम्र पार कर चुके थे। लेकिन दस साल के दरियाई घोड़े की मौत से जू प्रशासन सतर्क हो गया है। इस जवान दरियाई घोड़े ने सुबह खाना खाया और दोपहर में इसकी हार्टअटैक से मौत हो गई।

दागदार 2012

कुछ इसी तरह सन 2012 में चिडि़याघर में एक के बाद एक तीन दिन के अंदर तीन दर्जन से अधिक ब्लैक बक ने दम तोड़ दिया था। जांच में बाद में पाया गया कि इन्हें खाने में वरसीम के साथ जहरीले पौधे भी खाने में दे दिए गए थे।

इन पर भी मंडरा रहा खतरा

चिडि़याघर का सुपर स्टार हुक्को बंदर, चिम्पांजी मेल जेसन और फीमेल जेसन, फीमेल टाइगर इप्शिता के स्वास्थ्य को लेकर चिडि़याघर प्रशासन परेशान है। यह सभी अपनी उम्र के अंतिम पड़ाव में हैं और किसी ना किसी रोग से ग्रसित हैं।

कहीं मिलावट तो नहीं की गई

जू अधिकारियों के अनुसार खाने में दरियाई घोड़े को चोकर और फल दिया जाता था। ऐसे में देखा जा रहा है कि कहीं खाने में मिलावट तो नहीं की गई है। लेकिन चोकर बाकी कई जानवरों को भी दिया जाता है लेकिन किसी अन्य जानवर को कोई समस्या नहीं हुई है। चिडि़याघर निदेशक आरके सिंह के अनुसार मृत दरियाई घोड़े के परिवार की हिस्ट्री को भी देखा जा रहा है।

हिप्पो की मौत के कारणों का पता नहीं लग पा रहा है। टीम गठित की गई है। इसके साथ ही हिप्पो को दिए जाने वाले खाने, बाड़े की मिट्टी, वहां का पानी और बिसरा जांच के लिए लिया गया है।

डॉ। आरके सिंह, डायरेक्टर

नवाब वाजिद अली शाह

इस साल इन्होंने तोड़ा दम

लॉयन प्रिंस

व्हाइट टाइगर आर्यन

टाइगर शिशिर

गैंडा लोहित

लेपर्ड दिया

दो मगरमच्छ

जांच के लिए बनी टीम

1. डॉ। एएम पावडे़, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, सर्जरी डिवीजन, आईवीआरआई, बरेली।

2. डॉ। हीरा राम, सीनियर साइंटिस्ट, पैरासिटोलॉजी डिवीजन, आईवीआरआई, बरेली

3. डॉ। के। महेंद्रन, साइंटिस्ट मेडसिन डिवीजन, आईवीआरआई, बरेली।

4. डॉ। एम करिकलन, साइंटिस्ट सीडब्लूएल, आईवीआरआई, बरेली।

5. डॉ। आरकेसिंह, पशु चिकित्साधिकारी, कानपुर प्राणि उद्यान, कानपुर।

6. डॉ। उत्कर्ष शुक्ला, डिप्टी डायरेक्टर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ।

आज से नहीं देख सकेंगे आदित्य को

दस साल के दरियाई घोड़े के परिवार में अब उसका पुत्र आदित्य ही बचा है। जांच में जुटी टीम ने फिलहाल आदित्य के बाड़े को चारो ओर से ग्रीन कर्टेन से कवर करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही आदित्य के बाड़े के पानी को सुखाने के साथ ही साफ-सफाई के निर्देश दिए गए हैं।

Posted By: Inextlive