रांची: आज हम आपको एक ऐसे इलाके से रूबरू करा रहे हैं जो राजधानी का कमर्शियल इलाका होने के साथ ही काफी रिहायशी भी है. यहां लाखों लोग रहते हैं, प्रतिदिन 50 हजार से ज्यादा लोगों का आवागमन होता है साथ ही 20 हजार से ऊपर गाडि़यां भी चलती हैं. लेकिन यहां सड़क दिन पर दिन गायब होती जा रही है. बाजार फैलकर सड़क को कब्जे में लेता जा रहा है. पूरा बाजार ही सड़क पर आ चुका है. कब्जेदार बेखौफ होकर अपना दायरा बढ़ाते जा रहे हैं. अतिक्रमण से पूरा एरिया कराह रहा है. अब तो सड़क के दोनों तरफ तेजी से अवैध निर्माण भी खड़े किए जा रहे हैं. यह हाल अपर बाजार के सोनार पट्टी इलाके का है. छानबीन में पता चला कि सोनारपट्टी में 100 से ज्यादा ऐसे घर, मकान व दुकान बने हैं जिनका नक्शा तक नहीं बनवाया गया, पास कराना तो दूर की बात है. अवैध निर्माण से पटे इस इलाके को लेकर नगर निगम की नींद तब टूटी है जब हाल ही में गुजरात में लगी भयंकर आग में कई मौतें होने की खबर सामने आई. जिसके बाद यहां अवैध रूप से बिल्डिंग बनाने वालें 21 लोगों को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है.

गर लगी आग तो..

गुजरात में लगी आग ने रांची नगर निगम की नींद खोली है. इस घटना के बाद एक बार फिर राजधानी के बाजारों और बहुमंजिली इमारतों में सुरक्षा इंतजामों को लेकर सवाल उठने लगे हैं. अधिकारियों को लग रहा है कि थोड़ी सी लापरवाही बड़े हादसे का सबब बन सकती है. शहर के सबसे बिजी इलाकों में शुमार अपर बाजार में बिल्डिंग्स तो कई बन चुकी हैं लेकिन इनमें न तो फायर फाइटिंग की व्यवस्था है न ही इनका नक्शा पास कराया गया है.

सड़कें हुई काफी सकरी

अपर बाजार के सोनार पट्टी स्थित किसी प्रतिष्ठान में अगर आग लग गयी, तो कई लोगों की जान जाना तय है. उस स्थिति में लोगों को भागने तक की जगह नहीं मिलेगी. ऐसा इसलिए, क्योंकि इस बाजार में दुकानें एक-दूसरे सटी हुई हैं. साथ ही यहां की सड़क पतली होकर गायब होने के कगार पर है. सड़कें काफी सकरी हैं. यहां पूरे दिन खरीदारों और दुकानदारों की भीड़ लगी रहती है. इसके अलावा अपर बाजार की रंगरेज गली इससे सटा पेपर मार्केट, रणधीर वर्मा स्ट्रीट (सोनार पट्टी), लोहा पट्टी, मौलाना आजाद कॉलेज वाली रोड, महावीर चौक, श्रद्धानंद रोड इतना सकरी है कि आग लगने पर वहां फायर ब्रिगेड का वाहन नहीं पहुंच पायेगा. जुगत लगाते-लगाते यहां जान माल का काफी नुकसान हो जायेगा. बाजार में पार्किग की व्यवस्था नहीं है, इसलिए ज्यादातर दुकानदार और खरीदार सड़क पर ही गाड़ी खड़ी करते हैं. इससे सड़कें और सकरी हो जाती हैं.

प्रतिदिन 30 हजार का आना-जाना

सोनार पट्टी के बाशिंदों ने बताया कि यहां के दुकानदारों के चलते ही उन्हें परेशानी होती है. रोड 12 फीट चौड़ी है और यहां प्रतिदिन 25 से 30 हजार लोगों का आना-जाना होता है. सभी दुकानदारों ने अपनी दुकानों को छह से सात फीट तक आगे बढ़ा लिया है. दुकान के सामने उन्हीं की बाइक पार्क रहती है. दोनों और पार्किग किये जाने के कारण रोड मात्र दो से तीन फीट ही बची रह जाती है. तब लोगों का पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है. यदि आग लगी तो पूरा बाजार प्रभावित हो जायेगा.

ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट की जांच नहीं

इलाके में बने नए भवनों के आक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को न तो चेक किया जाता है और न ही कोई कार्रवाई होती है जिसके कारण कई और लोग भी बिना नक्शा पास कराए ही मल्टीस्टोरी बिल्डिंग बनवा रहे हैं. जब भवन बन कर तैयार हो जाता है तो बिल्डर निगम को पत्र लिखता है कि उसने नक्शे के अनुरूप भवन का निर्माण कराया है. इसलिए भवन की जांच कर ऑक्यूपेंसी सट्रिफिकेट जारी किया जाए. बिल्डर के आवेदन पर निगम के अभियंता उस भवन की फिर से जांच करते हैं. इसमें यह देखा जाता है कि संबंधित भवन का निर्माण नक्शे के अनुरूप हुआ है कि नहीं. भवन में फायर फाइटिंग, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, तडि़त चालक, पार्किग आदि की प्रॉपर व्यवस्था है या नहीं. सब कुछ नक्शे के अनुसार होने के बाद निगम ऐसे भवन को ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है. लेकिन इसके बाद इसकी जांच नहीं होने का मतलब है कि कई गंभीर मामलों की जांच में लापरवाही बरती जा रही है.

महज 29 बिल्डिंग को एनओसी

राजधानी में 3050 बहुमंजिली इमारतें हैं, लेकिन इनमें से महज 29 इमारतों को ही रांची नगर निगम से ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट मिला हुआ है. यानी ये 29 भवन ही सुरक्षा मानकों का पूरी तरह से पालन करते हैं. इन भवनों का निर्माण भी निगम से पास नक्शे के अनुरूप हुआ है. ऐसे में शेष 3,021 बहुमंजिली इमारतों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठना लाजिमी है. केवल सोनारपट्टी और रंगरेज गली में 300 से अधिक अवैध निर्माण होने की बात सामने आई है.

अब 21 पर केस की तैयारी

अपर बाजार के रंगरेज गली और सोनारपट्टी में अवैध रूप से बिल्डिंग बनाने वाले 21 लोगों पर निगम केस करेगा. इस संबंध में झारखंड हाईकोर्ट में मामला भी चल रहा है. कोर्ट के आदेश के बादं निगम ने अपर बाजार में अनधिकृत निर्माण की जांच की थी. इस दौरान किसी के पास नगर निगम द्वारा स्वीकृत नक्शा नहीं पाया गया. अब इन सभी 21 लोगों को नोटिस भेजकर निगम कोर्ट में अपना पक्ष रखने को कहेगा,

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वर्जन

किसी मॉल या कॉम्प्लेक्स के सामने 12 फीट जगह छोड़ देना चाहिए. ताकि भीषण आग लगे तो बचाव कार्य करने में या हाइड्रोलिक प्लेटफार्म को लगाने में परेशानी नहीं हो.

आरके ठाकुर, स्टेट फायर ऑफिसर

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शहर में बनने वाले सभी भवन सुरक्षित हों, इसके लिए ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट को अनिवार्य किया गया है. सभी भवन निर्माताओं को यह सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है.

उदय शंकर सहाय, टाउन प्लानर

नगर निगम

Posted By: Prabhat Gopal Jha