- परिवहन नीर बंद होने के बाद नहीं हुई पानी की व्यवस्था

- रोडवेज की लापरवाही से बढ़ा नकली पानी का कारोबार

- आरओ प्लांट नहीं होने से यात्रियों का पानी खरीदना मजबूरी

GORAKHPUR: रोडवेज बसों से सफर करने वाले पैसेंजर्स को पानी के लिए भी अब तरसना पड़ रहा है। सुविधाओं के नाम पर बस स्टेशन पर पानी तक नहीं है। इससे जो लोग पानी खरीद सकते हैं, उन्हें भी इन दिनों यहां के रोडवेज बस स्टेशनों पर लोकल पानी की बोतल खरीदकर प्यास बुझानी पड़ रही है। हैरानी वाली बात तो यह है कि बस स्टेशन पर बिकने वाले पानी के बोतल भी अधिकांश नकली या फिर लोकल ब्रांड की हैं। ऐसी कंडीशन में रोडवेज प्रशासन जाने-अनजाने में खुद ही नकली पानी के कारोबार को बढ़ावा दे रहा है। जो लोग नहीं खरीद सकते उन्हें प्यासा ही लौटना पड़ेगा। जबकि रोडवेज को यात्री सुविधा के मद में करीब 5.5 लाख रुपए की कमाई होती है।

रोजाना एक लाख के पानी की खपत

जानकारों के मुताबिक ब्रांडेड कंपनियों के पानी की बोतलें और लोकल पानी का रेट तो बराबर होता है, लेकिन लोकल व नकली पानी की बोतलों में वेंडर्स को अधिक प्रॉफिट होने की वजह से वे इसी को बेचते हैं। ऐसे में अब पैसेंजर्स के सामने मजबूरी है कि वे पानी के लिए या तो बस स्टेशन के बाहर जाएं या फिर जो मिल रहा है, उसे ही खरीद लें। लोकल ब्रांड के पानी की बोतलों की खपत एक लाख रुपए रोजाना की है। सोर्सेज की मानें तो यही वजह है कि रोडवेज के जिम्मेदार आरओ प्लांट या फिर पीने के पानी की व्यवस्था नहीं कराते, ताकि अवैध वेंडर्स की कमाई पर इसका कोई असर न पड़े।

परिवहन नीर भी हो गया बंद

गौरतलब है कि इससे पहले रेल नीर की तर्ज पर रोडवेज ने भी परिवहन नीर शुरू कराई थी। लेकिन परिवहन नीर के लिए रोडवेज ने जिस कंपनी से संबद्धता की थी, उसका अनुबंध निरस्त कर दिया गया। टाइअप खत्म होते ही प्रदेश भर के बस स्टेशनों से परिवहन नीर के पानी को बंद करा दिया गया। लिहाजा इसका फायदा उठाते हुए इन दिनों बस स्टेशन के वेंडर्स पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं, और नकली पानी की बोतलें खुलेआम बेचने में लगे हुए हैं।

लंबे समय से खराब है आरओ

कहने को पैसेंजर्स के पानी की व्यवस्था करने के लिए रोडवेज ने आरओ भी लगवाया है, लेकिन कई साल से खराब पड़े इस आरओ सिस्टम को आज तक सही कराने की रोडवेज अधिकारियों ने जहमत नहीं उठाई। पानी भी कहीं आता है तो कहीं नहीं। ऐसे में यहां पैसेंजर्स को टंकी का गंदा पानी पीना मजबूरी बन गया है।

स्टैटिस्टिक -

एसी बसें - 30

जनरल बस - 1150

पैसेंजर्स - 15000

यात्री सुविधा मद में कमाई - 5.5 लाख

पीने के लिए यहां पानी ही नहीं आ रहा है। पूरे स्टेशन पर किसी भी ब्रांडेड कंपनी की बोतल नहीं है। जो मिल भी रहा है, वे लोकल कंपनी की बोतल है। ऐसे में टंकी का गंदा पानी ही लोग पी रहे हैं।

अंकित श्रीवास्तव, पैसेंजर

इतने बड़े बस स्टेशन पर पीने के पानी तक की व्यवस्था नहीं है। एक जगह पानी आ भी रहा है, तो उस जगह इतनी गंदी है कि वहां का पानी कोई पी नहीं सकता। ऐसे में पानी का बोतल खरीदकर पीना हम लोगों की मजबूरी है।

जाकिर बेग, पैसेंजर

Posted By: Inextlive