-तीन महीने पहले ही बगुले दिखने बंद हो गए थे, फिर भी नहींचेता प्रशासन

-योगी ने कमिश्नर, डीएम और एसएसपी को लिखा पत्र, ठोस कदम उठाने को कहा

-400 गांवों के लाखों लोगों पर आ सकता है संकट, प्रभावित हो सकती है सिंचाई

GORAKHPUR: कहते हैं नदियां धरती का श्रृंगार हैं और धरती पर मानव सभ्यता का आधार मानी जाती हैं। आज नदियां लुप्त हो रही हैं। इसका कारण है प्रदूषण। अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब नदियां, जो मानव को सभ्यता और संस्कृति से मिलवाती हैं, नहींरहेंगी तो धरती पर जीवन का क्या होगा? ऐसा कुछ गोरखपुर में हो रहा है। अगर अब भी हम और जिम्मेदार नहींचेते तो गोरखपुर और महराजगंज अपनी धरोहर को खो देंगे। मामला रोहिन और राप्ती नदी से जुड़ा है। मामला क्भ् जनवरी को प्रकाश में आया था। उसी समय से यह चर्चा होने लगी थी कि कहींरोहिन नदी का अस्तित्व तो खत्म नहींहो जाए। आई नेक्स्ट टीम जब पूरे मामले की हकीकत जानने रोहिन नदी के तट पर गई तो वहां कई चौंकाने वाली जानकारियां मिली। कुल मिलाकर यही समझ आया कि यह पूरी तरह प्रशासनिक अमले की लापरवाही है। रोहिन नदी के प्रदूषित होने का आभास तीन महीने पहले ही हो गया था। उस वक्त नदी के किनारे के बगुले दिखना लगभग बंद हो गए थे। क्भ् जनवरी को तो नदी की मछलियां भी मरकर सतह पर आ गई। इसके बाद लोग तरह तरह की आशंकाओं से परेशान है। सबसे ज्यादा संकट उसके आसपास के सैकड़ों गांवों पर खतरा मंडरा रहा है।

क्भ् जनवरी को मामला आया था प्रकाश में

क्ब् जनवरी की रात अचानक मानीराम पुल के पास बहुत बड़ी मात्रा में मछलियां पानी के ऊपर आ गई। क्भ् जनवरी की सुबह आस-पास के लोगों ने मछलियां देखी और मछलियों को पकड़ने के लिए नदी में उतर गए। क्म् जनवरी को महंत योगी आदित्यनाथ मानीराम दौर पर ही थे। उन्होंने मामले को देखा और प्रशासन को इसकी सूचना दी।

ब्00 गांवों में छाए संकट का बादल

महराजगंज जिले के नवलपरासी में यह नदी भारत में प्रवेश करती है। वहां से आगे यह नदी महराजगंज के निचलौल से होते हुए करमैनी घाट से थोड़ा आगे गोरखपुर जिले में प्रवेश करती है। यहां से कैंपियरगंज, अकटहवा, नरकटहवा, बढ़नी, भौराबारी, सरहरी, महेसरा होते हुए डोमिनगढ़ में रोहिन राप्ती में मिल जाती है। इस दौरान रोहिन नदी गोरखपुर और महाराजगंज की दस तहसीलों और ब्00 गांवों को छूती हैं। ब्00 गांवों से गुजरने वाली रोहिन प्रदूषण के चलते संकट में है। इन गांवों की पूरी दिनचर्या रोहिन नदी पर ही आधारित है। मछली मारने के साथ ही साथ बड़ी मात्रा में लोगों ने अपने मवेशी रोहिन नदी के भरोसे ही पाल रखे हैं। सुबह वे अपने मवेशियों को नदी के किनारे छोड़ देते हैं। वे नदी के किनारे दिनभर चरती हैं और रोहिन नदी से अपनी प्यास भी बुझाती हैं।

क्या होगा इनके जीवन का?

महराजगंज और गोरखपुर के लाखों लोगों का जीवन रोहिन नदी के भरोसे चल रहा है। रोहिन की मछली का व्यापार करना, रोहिन नदी के पानी से क् लाख हेक्टयर से अधिक की जमीन की सिंचाई और लाखों की संख्या में जानवर वहां चरते और पानी पीते हैं। रोहिन के प्रदूषित होने का सबसे अधिक असर गोरखपुर के मानीराम, महराजगंज के निचलौल एरिया के लोगों पर पड़ेगा। डोमिनगढ़ के रघुवर यादव का कहना है कि क्भ् जनवरी को रोहिन नदी से सिंचाई के लिए पंपिग लगाया गया। जब पंपिग सेट चालू किया गया तो काला पानी आने लगा। पानी का रंग देखकर पंपिग सेट बंद कर दिया। उन्हें डर था कि कहींयह पानी खेती खराब न कर दे। यह केवल रघुवर की नहींपूरे गांव की पीड़ा है।

नेपाल के सोनवल में डाला जा रहा गंदा पानी

गोरखपुर सदर सांसद योगी आदित्यनाथ ने बताया कि क्म् जनवरी को मानीराम जाते हुए उन्होंने देखा कि पुल और नदी के किनारे काफी खड़े थे। लोगों को देखकर वे रुके। वहां जाने पर पता चला कि नदी का पानी इतना अधिक प्रदूषित हो गया है कि मछलियां सतह पर आ जा रही हैं और लोग डंडे से मार रहे हैं। नदी का पानी काला हो गया था। उसके बाद कमिश्नर, डीएम गोरखपुर, महराजगंज और एसएसपी गोरखपुर को पत्र लिखकर रोहिन नदी के मामले की जानकारी दी। उसी दिन गोरखपुर के डीएम ने फोन पर बताया कि रोहिन नदी में नेपाल के सोनवल में लगी चीनी मिल और डिस्टलरी का गंदा पानी रोजाना रोहिन नदी में गिराया जा रहा है। वहीं नवलपरासी और निचलौल में भी लगी कुछ और फैक्ट्रियों का भी पानी रोहिन को प्रदूषित कर रहा है। उन्होंने मामले में प्रशासन को अल्टीमेटम दिया है कि रोहिन प्रदूषित हुई तो अफसर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें।

रोहिन नदी गोरखपुर और महराजगंज की जीवन रेखा है। जिस तरह अफसरों की लापरवाही से यह नदी प्रदूषित हो रही है। यह मानवता और सभ्यता के साथ खिलवाड़ है। प्रशासन को मामले को गंभीरता से लेने की जरूरत है।

महंत योगी आदित्यनाथ, सदर सांसद गोरखपुर

ख्00क् में ही हमने कमिश्नर के सामने आमी, रोहिन और राप्ती नदी के प्रदूषण का मुद्दा उठाया था। उस समय कमिश्नर से माना भी था कि तीनों नदियां प्रदूषित हुई तो इसका सीधा असर घाघरा पर पड़ेगा। अब यह असर दिखने लगा है। मामले को लेकर प्रदूषण बोर्ड को पत्र लिखने के बाद फरवरी में विधान सभा सत्र में इसे मुद्दा बनाया जाएगा।

राजेश त्रिपाठी, विधायक, चिल्लुपार

प्राचीन में पूर्वी उत्तर प्रदेश में नदियों का जाल बिछा हुआ था। इसलिए यहां घनी आबादी मानव सभ्यता के समय से ही पायी जाती रही है। गोरखपुर और महराजगंज के तराई का क्षेत्र के लोग आज भी रोहिन नदी के भरोसे अपनी दिनचर्या जीते हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पूंजीपतियों की सांठगांठ का सीधा असर नदियों पर पड़ रहा है। यही हाल रहा तो रोहिन के बाद इस प्रदूषित पानी की असर मानव जीवन पर भी पड़ेगा।

विश्वविजय सिंह,

अध्यक्ष आमी बचाओ संघर्ष समिति व कांग्रेस नेता

हमारे गांव की पूरी सिंचाई रोहिन नदी से ही होती है। अगर इस नदी का पानी प्रदूषित हो गया तो सबसे अधिक प्रभाव हम लोगों पर ही पड़ेगा। पूरा गांव के लोगों का जीवन जीने का आधार ही छीन जाएगा।

रामनारायण, कैंपियरगंज

रोहिन नदी में प्रदूषण से गोरखपुर और महराजगंज के तराई एरिया के जीवन पर संकट छा जाएगा। जिस तरह आमी नदी आज अपने अस्तीत्व की अंतिम लड़ाई लड़ रही है, वही हाल रोहिन का भी हो जाएगा।

उमेश चंद, सरहरी

Posted By: Inextlive