Rain and romance go hand-in-hand since time immemorial. There's something about the drizzle that evokes our senses in a magical way. So once again just please your senses for a few moments with some lovey-dovey talks of monsoon and a lot more...


मॉनसून अपने साथ ढेर सारे इमोशंस की बौछार लेकर आता है. झमाझम बारिश में अपने बि-लवेड के साथ बाहों में बाहें डाल एक ही छाते के नीचे लम्बी सी वॉक पर निकल जाना और सडक़ के किनारे लगे चाट के ठेले में चटपटी चाट का मजा लेना. इन पलों को जीने के लिए हर कोई सालभर बेसब्री से इंतजार करता है. इस बार हमने जानने की कोशिश की उन लोगों की दास्तां जिनके प्यार का सफर मॉनसून से ही शुरू हुआ.‘Rain made me romantic that evening’


आईसीआरए ऑनलाइन में सॉफ्टवेयर डेवलपर के तौर पर काम कर रहीं सपना शुक्ला का कहना है, ‘पता नहीं क्यों मैं रोहन से यह बात कहने में इतना डरती थी. मैं उसे कॉलेज के दिनों से पसंद करती थी और मन ही मन वह भी मुझे लाइक करता था. एमसीए की ड्रिगी लेने के बाद हम दोनों का प्लेसमेंट अलग-अलग कम्पनीज में हो गया लेकिन शहर कॉमन था. हम मुम्बई में रहने लगे. अक्सर ऑफ के दिन एक-दूसरे से मिलने का प्लान बना लेते थे. एक-दूसरे के साथ समय बिताना हम दोनों को अच्छा लगता था. बस अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस करने से डरते थे. जून का महीना था और मुम्बई की बारिश अपने पूरे मूड में थी. हम दोनों ने एक-दूसरे के साथ एक पूरा दिन मुम्बई के इस मौसम को एंज्वॉय करने का प्लान बनाया. पूरा दिन मौज-मस्ती करने के बाद हम शाम को वॉक पर निकल गए. हमें खुद भी नहीं पता था कि हम चलते-चलते कहां पहुंच गए तभी जोर से बारिश होने लगी और हम वहीं खड़े रह गए. बारिश में भीगते वक्त मेरे अंदर पता नहीं कहां से कांफिडेंस आ गया और मैंने चिल्लाते हुए अपनी फीलिंग्स एक्सप्रेस कीं. रोहन भी चौंक गया और उसने अपने दिल की बात बोली. खुशी-खुशी हम वापस लौटे. उस रात खुशी के मारे मैं सो भी नहीं पाई.’‘Monsoon melted me’

दिल्ली में गार्मेंट्स के बिजनेस में इंवॉल्व संदीप छाछरा का एक्सपीरियंस कुछ यूं है, ‘मैं कभी शादी नहीं करना चाहता था. 31 साल का हुआ तब घर वालों के दबाव में आकर मुझे शादी करनी पड़ी. मैंने शादी कर तो ली पर कभी उस रिश्ते से खुश नहीं रहा. मेरी वाइफ ने कई बार मेरे रूखेपन को दूर करने की कोशिश की लेकिन पता नहीं मैं क्या चाहता था. शादी के करीब दो साल बाद मॉनसून ने मेरे अंदर के पत्थर को पिघला दिया. उस साल बारिश ने जल्दी दस्तख दे दी. मैं खिडक़ी के पास बैठा था. 15-20 मिनट बाद अचानक मुझे अंदर से कुछ हुआ. ऐसा लगा मानो मेरा दिल मुझसे ढेर सार सवाल कर रहा है. कुछ समय के लिए मैं अपने होश खो बैठा. फिर एकदम से उठा अपनी वाइफ को आवाज लगाई, उसको अपने बगल में बैठने के लिए कहा और अपनी गलती की माफी मांगी. धीरे-धीरे हमारे बीच प्यार भरी बातों का सिलसिला शुरू हो गया. उस दिन अपनी वाइफ को मैंने पहली बार इतना खुश देखा था और दिल से मैं भी बहुत अच्छा महसूस कर रहा था.

 

Posted By: Surabhi Yadav