GORAKHPUR: शहर के चौराहों और गलियों में डेली शाम को फर्राटा भरते हुए बाइकर्स निकलते हैं तो मोहल्लों से एक ही आवाज आती है- भगवान इन बच्चों को बचाएं और इनके गार्जियन को सद्बुद्धि दें. यह सीन शहर के लगभग सभी गलियों और चौराहों दिख जाता है. स्थिति यह है कि शहर की अधिकांश गलियों में इन्हीं टीनएजर्स के कारण लोग ब्रेकर्स बनवा लिए हैं. कई बार मोहल्लों में लोग किसी के घर जाकर कहते हैं कि देखिए भाई साहब आपका बच्चा शहर में खतरा पैदा कर रहा हैं. उसकी वजह से कभी भी एक्सीडेंट हो सकता है. यह सच भी है क्योंकि ट्रैफिक पुलिस के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो शाम को बाइक चेकिंग में सबसे अधिक टीएनजर्स ही पकड़े जाते हैं. आई नेक्स्ट ने ऐसे ही टीएनजर्स बाइकर्स और उनके गार्जियन को जागरूक करने के लिए कैंपेन 'लाडलों को संभालोÓ शुरू किया है.


नहीं दें बच्चों को बाइकबच्चों को बाइक देना सही नहीं है। यदि बहुत जरूरी हो तो गार्जियन खुद ही बच्चों को अपनी बाइक से पिक करें। इससे परिवार के सदस्यों को तो चिंता नहीं ही रहेगी, साथ ही साथ शहर में भी कई तरह की प्रॉब्लम नहीं होगी। - अलका शाही, गार्जियनशहर में जाम के कारणों की गिनती की जाए तो सबसे बड़ा कारण ऐसे ही बाइकर्स होते हैं। गार्जियन को एक बार अपने बच्चों को बाइक देते समय भावनात्मक रूपप से भी जरूर सोचना चाहिए। देना ही है तो अच्छी साइकिल दें जिससे बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ रहे और शहर को भी जाम व प्रदूषण से राहत मिल सके।  - रीमा श्रीवास्तव, गार्जियन


किसी को भी अपने बच्चों को बाइक नहीं देनी चाहिए। टीनएजर्स बच्चों का मन बहुत ही चंचल होता है। वह बाइक पाते ही फर्राटा भरने लगते हैं। जिससे कई बार एक्सीडेंट के कारण बनते हैं। इससे उनका ही नुकसान होता है। - मुन्नी देवी, गार्जियन

गार्जियन को अपने बच्चों के भविष्य के बारे में अधिक सतर्क रहना चाहिए। किसी भी घर के बच्चे हों वह आधुनिकता की दौड़ को लेकर अपनी मांग तो रखते ही हैं। ऐसे में बच्चों को समझा कर उन्हें बाइक की जगह साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

- श्यामा देवी, गार्जियन

Posted By: Inextlive