जापान की तरह बनें देशभक्त
आरएसएस के युवा संकल्प शिविर के अंतिम दिन उमड़ा युवाओं का सैलाब
सरसंघचालक मोहन भागवत को सुनने के लिए पहुंची लोगों की अपार भीड़ आगरा। रोज एक घंटा निकालें देश के लिए। क्या मिलेगा ये मत पूछो। संघ धन्यवाद नहीं करता। सांस बची है तो एक और स्वयं सेवक बनाने के लिए कहेगा। उन्होंने हिंदुत्व को सबको जोड़ने का सूत्र बताया। यह कहना था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत का। युवा संकल्प शिविर के अंतिम दिन मोहन भागवत ने देश सेवा को जिंदगी का मंत्र बनाने का आह्वान किया। भारत पुत्रों के साथ एक घंटामोहन भागवत ने कहा कि जात-पात नहीं पूछिए। भगवा झंडा है। भारत की संस्कृति का। भारत पुत्रों के साथ एक घंटा बिताना है। हिंद केसरी बनने के लिए रोज खुराक खानी पड़ती है। हर रोज दांव-पेच सीखने पड़ते हैं। तब हिंद केसरी बनते हैं। एक दिन में नहीं। देश के योग्य बनना है तो मिलकर काम करो।
शाखा आइए, एक घंटा दीजिएसरसंघचालक मोहन भागवत ने संघ के बारे में कहा कि संघ चाहता है कि संघ समाजव्यापी बने। संघ क्या होता है, ये आप देख रहे हैं। संघ के कार्यो को समझना है तो प्रत्यक्ष अनुभव लेना पड़ता है। उन्होंने कहा कि संपूर्ण हिन्दू समाज को संगठित करने के लिए संघ का कार्यक्रम चलता है। शाखा में आइए। 24 में से एक घंटा दीजिए।
घर-गली को साफ करें पहले तकरीबन एक घंटे के भाषण में भागवत ने कहा कि देश को दुनिया का सिरमौर बनाने के लिए छोटी-छोटी बातों का सुधार करना होगा। बिना नाम लिए मोदी और मनमोहन सरकार की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि बातें बड़ी-बड़ी और आचरण विपरीत करने की वजह से देश की ऐसी हालत हुई है। पीएम के स्वच्छता अभियान का जिक्र छेड़ते हुए कहा कि ऐसे काम नहीं चलेगा कि सारी दुनिया को साफ जीवन का संदेश और अपने घर-गली में कचरा भरा है। म्युनिसिपल कॉरपोरेशन को गाली दे रहे हैं। जापान के लोग देशभक्त हैंयुवाओं और उपस्थित श्रोताओं को भारत का गौरवशाली इतिहास की याद दिलाते हुए कहा कि भारत सोने की चिडि़या कहलाता था। ऐसा भारत वर्ष खड़ा करना है। ये करना आसान नहीं। करना किसे है। नेताओं को, पार्टियों को नहीं। ये सहायक हैं। करना हमको है। उन्होंने देशभक्ति के लिए जापान का उदाहरण देते हुए कहा एटमी हमलों से बर्बाद हुए जापान के शहर हिरोशिमा और नागासाकी विकसित हो चुके हैं। 30 सालों में दुनिया के बाजार में जापान का राजा बन गया। 'अविश्वसनीय जापान' नामक पुस्तक के हवाले से कहा कि पुस्तक में नौ निष्कर्ष हैं। इसमें सबसे पहले निष्कर्ष है कि जापान इसलिए बड़ा बना कि जापान के लोग देशभक्त हैं।
सुरक्षा है तो खुशहाल है उन्होंने कहा कि देश सुरक्षित है तो खुशहाल है। अगर अपना देश सुरक्षित और प्रतिष्ठित नहीं है तो दुनिया में कहीं भी सुरक्षा और प्रतिष्ठा नहीं मिलेगी। भागवत ने कहा कि जब तक देश की चिंता नहीं करते तो सुख और चैन की नींद नहीं आएगी। उन्होंने कहा अपने लिए कितना भी विचार करें, देश के लिए विचार करना पड़ता है। एकता चाहिए। दुनिया में एकता के जो प्रचलित आधार हैं, भारत में एक भी लागू नहीं है। एक ही हिंदी भाषा है। लेकिन एक से दूसरी जगह समझ में नहीं आती है। बढ़ गए हैं देवी-देवताभागवत ने धर्म पर चर्चा करते हुए कहा कि पहले 33 करोड़ देवी-देवता थे। अब तो और भी बढ़ गए हैं। बाहर से आक्रमण हुआ तो बाहर से भी देवी-देवता आए। भीड़-भड़क्का है यहां। यहां विदेश से जो आता है, वह चकरा जाता है। लेकिन हम पूरी दुनिया को कुटुम्ब मानते हैं। हम भारत माता के पुत्र हैं। वैदिक काल से अनेक धाराओं के मानने वालों का देश है। इसलिए उदार है। सोमवार को समापन के अवसर पर ब्रज प्रांत संचालक एपी सिंह, मेरठ, उत्तरांचल क्षेत्र के क्षेत्र संचालक दर्शन लाला अरोड़ा शिविराधिकारी डॉ। दुर्ग सिंह चौहान आदि उपस्थित रहे।
नन्हें स्वयंसेवक सोमवार को समापन वाले दिन आयोजन स्थल पर स्वयं सेवक ही स्वयंसेवक दिखाई दे रहे थे, लेकिन इन सबसे जुदा जोड़ी भी थी। ये दो भाई थे। तीन साल के प्ले ग्रुप के स्टूडेंट गोपाल और उनके यूकेजी में पढ़ने वाले बड़े भाई पांच साल के कृष्ण गणवेश में थे। दोनों को देखकर हर कोई सराहना कर रहा था। दोनों नन्हें स्वयंसेवक आरएसएस से बचपन से जुड़े हुए श्याम भदौरिया के सुपुत्र हैं।