-मीजल्स-रूबेला वैक्सीनेशन अभियान में फंसा नया पेंच

-टीकाकरण को लेकर प्राइवेट स्कूल नहीं लेना चाह रहे रिस्क

-पेरेंट्स से हामी के लिए जारी किया प्रोफार्मा, हां के बाद ही बच्चों को लगवा रहे टीका

-अभियान के तय समय में होने पर संशय, 14.5 लाख बच्चों को लगना है वैक्सीन

VARANASI

मीजल्स-रूबेला वैक्सीनेशन अभियान शुरू हुए अभी चार दिन भी नहीं हुए कि इसमें एक नया पेंच आ फंसा है। अभियान से पहले टीके को लेकर वायरल हुए एक वीडियो ने भ्रम पैदा कर दिया है। ऐसे में प्राइवेट स्कूल्स बच्चों के हेल्थ को लेकर परेशान होने लगे हैं। इस वैक्सीन से कहीं उनके यहां के बच्चों की तबीयत बिगड़ ने जाए इसलिए उन्हें यह टीका लगवाने से पहले वे बच्चों के पेरेंट्स से परमिशन लेने के लिए लेटर जारी करने लगे हैं। यह हाल तब है जबकि स्वास्थ विभाग ने इस अभियान को शुरू होने से पहले शहर के कई स्कूल्स मैनेजमेंट के साथ मीटिंग कर इसकी पूरी जानकारी शेयर की थी। इसके बाद भी स्कूलों की ओर से लिए गए इस फैसले से स्वास्थ विभाग के अभियान पर पानी फिरने लगा है। अधिकारियों का कहना है कि अगर किसी स्कूल को कोई शंका है तो वह सीधे सीएमओ से संपर्क कर उसे दूर कर ले, न कि बच्चों को इस टीकाकरण अभियान में शामिल होने से रोके।

14.5 लाख को लगना है टीका

डिस्ट्रिक्ट में एमआर टीकाकरण अभियान के तहत नौ महीने से 15 साल तक के14.5 लाख बच्चों को कवर किया जाना है। लेकिन अभियान शुरू होने से पहले मोबाइल पर एक वीडियो वायरल हुआ है। जिसमें कहा गया कि यह वैक्सीन बच्चों को नपुंसक बना देता है। बहुत से देशों में इस दवा पर बैन है। लेकिन कंपनी सरकार के थ्रू इसे यहां भेज रही है। वहीं वीडियो वायरल होने के बाद से पेरेंट्स व पब्लिक में हड़कंप मचा हुआ है। जिसे देखते हुए इंग्लिश स्कूल्स ने अपने यहां के बच्चों को यह टीका लगाने से पहले उनके पेरेंट्स से परमिशन मांगना शुरू कर दिया है। जबकि उन्होंने स्वास्थ विभाग से यह जानना मुनासिब नहीं समझा कि क्या वायरल हुआ वीडियो सही है या नहीं। और खुद ही फैसला कर बच्चों के पेरेंट्स को एक प्रोफार्मा जारी कर टीका लगवाने के लिए उनसे एनओसी ले रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि 17 जनवरी 2019 को खत्म होने वाले वैक्सीनेशन अभियान के पूरा होने को लेकर अब संशय भी होने लगा है। यानी कि परमिशन के चक्कर में वैक्सीनेशन अभियान कहीं बीच में ही फंस न जाए, इसको लेकर भी सवाल उठने लगा है।

सरकारी स्कूल्स में पकड़ रहा जोर

मीजल्स-रूबेला वैक्सीनेशन की शुरुआत डिस्ट्रिक्ट में बड़े धूमधाम से 10 दिसंबर को हो गयी थी। हालांकि कैंपेन की शुरुआत में कुछ सरकारी स्कूल्स इसमें एंट्रेस्ट नहीं ले रहे थे। चिरईगांव के एक प्राइमरी स्कूल में तो प्रिंसिपल ने बच्चों को वैक्सीन लगाने पहुंची टीम को देखते ही स्कूल से बच्चों को भगा दिया था। जिसकी शिकायत टीम ने एडमिनिस्ट्रेशन से की, जिसके बाद आनन फानन में सभी प्राइमरी, जूनियर, प्राइवेट इंग्लिश स्कूल व इंटर कॉलेज को टीकाकरण में सहयोग का ऑर्डर जारी किया गया। ऑर्डर मिलते ही सरकारी स्कूल्स में यह कैंपेन जोर पकड़ने लगा, लेकिन प्राइवेट स्कूल्स ने अपने ऊपर आरोप से बचने के लिए उसका रास्ता ढूंढ निकाला। बच्चों को टीका लगाने के लिए उनके पेरेंट्स से एनओसी लेने के लिए एक लेटर जारी कर दिया। अब पेरेंट्स की अनुमति पर ही उनके बच्चों को टीका लगाया जा रहा है। ऐसे में अभियान की हकीकत को आसानी से समझा जा सकता है।

1500 टीचर्स को दी गई है ट्रेनिंग

पोलियो की तरह ही मीजल्स-रूबेला टीकाकरण भी बड़ा अभियान है, जिसमें नौ माह से 15 साल तक के 14.5 लाख बच्चों को एमआर वैक्सीन मुफ्त दिया जाना है। अभियान से पहले हेल्थ विभाग के स्टाफ व 1500 टीचर्स के साथ पहले डीएम ने मीटिंग कर एमआर के कंफ्यूजन को दूर किया था। फ‌र्स्ट फेज में स्कूल्स में व सेकेंड फेज में आउटरीच अभियान चलाया जाना है। वहीं सभी स्कूल्स को निबंध, चित्रकला प्रदर्शनी, वाद विवाद, नुक्कड़ नाटकों व रैली आदि के माध्यम से जनजागरूकता अभियान चलाने व टीकाकरण के लिए संकल्प अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। लेकिन ये सब सिर्फ कागजों तक ही सीमित है।

अपील का असर नहीं

जिले में मीजल्स-रूबेला अभियान 10 दिसंबर से शुरू हुआ है जिसे अगले पांच हफ्तों तक चलाया जाएगा, इस दौरान 15 साल तक के सभी बच्चों को मीजल्स-रूबेला का टीकाकरण किया जाना है। यह टीका सभी स्कूल्स, आंगनबाड़ी केंद्र व सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर लगाया जाएगा। वहीं सभी प्रिंसिपल और टीचर्स से अपील की गई है कि मीजल्स-रूबेला अभियान को सफल बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चों और उनके परिवार के सदस्यों को प्रेरित करें। इसके बाद भी यह अभियान नये पेंच के आ फंसने से जोर नहीं पकड़ पा रहा है।

वैक्सीन को लेकर डरें नहीं

जिला प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ। वीएस राय ने कहा कि मीजल्स औए रूबेला दो ऐसी वायरल बीमारियां हैं जो हर साल करीब 38 हजार बच्चों की मौत का कारण बनते हैं, वहीं बहुत सारे बच्चों में अपंगता का भी कारण बनते हैं। सन् 2020 तक मीजल्स को खत्म करना और रूबेला को नियंत्रित करना ही मेन लक्ष्य है। इसीलिए यह टीकाकरण अभियान चलाया जा रहा है। जिले में 14.05 लाख बच्चों के सापेक्ष 80 परसेंट बच्चे स्कूलों में मौजूद हैं, जिनके टीकाकरण के लिए तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। बताया कि इस वैक्सीन को लेकर डरने की आवश्यकता नहीं है।

कागज से बाहर निकले अभियान

मीजल्स-रूबेला टीकाकरण जागरूकता अभियान को जिस तरह से चलाया जाना चाहिए वैसा आयोजित नहीं किया जा रहा है। इसकी वजह से लोग इस टीके से डर रहे हैं। बेहतर हो कि बच्चों सहित पब्लिक को मीजल्स और रूबेला के लक्षण, बचाव और टीकाकरण से लाभ के बारे में बताया जाए। तभी इस कैंपेन का मकसद पूरा हो सकेगा।

एमआर वैक्सीनेशन को लेकर सभी स्कूल्स को निर्देश दिया गया है। टीकाकरण से पहले प्रिंसिपल, टीचर्स व धर्मगुरुओं को इससे जुड़ी जानकारी भी दी गयी थी। अगर किसी को शंका है तो सीधे मुझसे बात कर सकता है।

डॉ। वीबी सिंह, सीएमओ

Posted By: Inextlive