-डीआरटी मुंबई के कोर्ट रिसीवर भी पहुंचे, जमकर हुआ विरोध

-कर्मचारी बोले बिना बकाया दिए नहीं होने देंगे मूल्यांकन

>BAREILLY : फतेहगंज पश्चिमी में बंद पड़ी रबर फैक्ट्री को लेकर एक बार फिर से विरोध शुरू हो गया है। सैटरडे को रबर फैक्ट्री के मूल्यांकन के लिए मुंबई डीआरटी के कोर्ट रिसीवर और मूल्यांकनकर्ता पहुंचे। जैसे ही रबर फैक्ट्री के कर्मचारियों को इसकी खबर लगी तो कर्मचारी यूनियन पदाधिकारियों के साथ फैक्ट्री गेट पर पहुंच गए और विरोध शुरू कर दिया, जिसके चलते टीम को बैरंग लौटना पड़ गया। विरोध करने वालों की मांग है कि जब तक उन्हें मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक जमीन का मूल्यांकन नहीं होने ि1दया जाएगा।

बैंक अफसर भी थे मौजूद

18 वर्ष से बंद चल रही रबर फैक्ट्री की जमीन के मालिकाना हक और कर्मचारियों के मुआवजे को लेकर लगातार विरोध चल रहा है। रबर फैक्ट्री की जमीन सरकार ने लीज पर मालिकों को दी थी। लीज के मुताबिक जब तक फैक्ट्री चलेगी तब तक ही मालिकाना हक रहेगा, उसके बाद जमीन सरकार के पास वापस आ जाएगी लेकिन इस मामले में मालिकों ने करोड़ों की कीमती जमीन को नीलाम कर दिया। इसी पैसे से मुआवजा देने की बात कही। करीब एक वर्ष पहले जब बॉम्बे डीआरटी की ओर से फैक्ट्री का मूल्यांकन करने के लिए टीम आयी थी तो तत्कालीन डीएम आर विक्रम ने इसको लेकर बांबे और लखनऊ डीआरटी में केबिएट दाखिल कर सरकार का पक्ष रखा था। उसके बाद से मामला कोर्ट में चल रहा है।

पुर्नमूल्यांकन की डाली थी रिट

अल्केमिस्ट कंपनी के महेश कुमार ने बताया कि कंपनी की तरफ से मुंबई हाईकोर्ट में पुर्नमूल्यांकन को लेकर एक रिट दायर की थी। उसी रिट पर कोर्ट ने दोबारा से पुर्नमूल्यांकन के लिए ऑर्डर कर दिया है। कोर्ट के आदेश पर मुंबई हाईकोर्ट के रिसीवर एनवी कक्कड़ के निर्देश पर मुंबई हाईकोर्ट रिसीवर कदम सिंह और मूल्यांकनकर्ता मुंबई हाईकोर्ट और फाइनेंस करने वाली बैंक के अधिकारी भी साथ में आए हैं। जैसे ही ये अधिकारी रबर फैक्ट्री गेट पर पहुंचे कि तभी विरोध शुरू हो गया। पता लगने पर सैकड़ों कर्मचारी भी रबर फैक्ट्री गेट पर पहुंच गए और विरोध जताने लगे। विरोध करने वालों में प्रमोद कुमार, कैलाश अग्रवाल, ठाकुर सत्येंद्र सिंह, प्रेम प्रकाश गर्ग, निसार खान आदि रहे।

Posted By: Inextlive