Meeurt: भगवान शिव को रुद्राक्ष बेहद प्रिय है. कहते हैं कि भगवान शिव के नेत्रों से बहे आंसू रुद्राक्ष बने. शिव स्वयं रुद्राक्ष धारण करते हैं. आज की मॉडर्न सोसायटी में भी रुद्राक्ष के महत्व को समझा जाता है. आइए सावन के बहाने डालते हैं रुद्राक्ष पर नजर.

कितने मुखी रुद्राक्ष
रुद्राक्ष कितने मुखी है इसी से उसकी कीमत तय होती है। अधिकतर रुद्राक्ष नेपाल से आयात किया जाता है। तीन मुखी से लेकर आठ मुखी तक के रुद्राक्ष आसानी से मिल जाते हैं। अगर कीमत की बात करें तो इनकी कीमत पचास रुपये से लेकर पैंतीस लाख रुपये तक है। नेपाल से आयात होने वाला रुद्राक्ष 20 मुखी तक होता है जबकि इंडोनेशिया में 36 मुखी रुद्राक्ष भी पैदा होता है।

नकली रुद्राक्ष का मार्केट
- मार्केट में प्लास्टिक और फाइबर के रुद्राक्ष भी हैं।
- आरी की मदद से रुद्राक्ष को काट कर उसके मुख बढ़ा दिए जाते हैं। सबसे ज्यादा गड़बड़ी 12 और 14 मुखी रुद्राक्ष में होती है, क्योंकि दोनों की कीमत काफी ज्यादा है।
- लोगों को भ्रमित करने के लिए चाइनीज रुद्राक्ष भी बाजार में हैं।
- एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है जबकि बायोलॉजिकली एक मुखी रुद्राक्ष हो ही नहीं सकता। प्राकृतिक रूप से उसके ऊपर एक लाइन होती है, मगर उसमें तीन या चार सीड होते हैं।

फायदे रुद्राक्ष के
एक मुखी - इसमें शिव का वास माना जाता है जो सुख, शांति, तरक्की, भाग्य, मुक्ति प्रदान करने वाला होता है।

दो मुखी - इसे अर्ध नारीश्वर रूप का प्रतीक माना जाता है। आपसी संबंध मजबूत करने, आत्मविश्वास बढऩे, गुस्सा कम करने के लिए।

तीन मुखी - ये अग्नि का प्रतीक है। दुर्बलता, पाचन क्रिया की कमी, डायबिटीज, बीपी, स्त्री रोग आदि गड़बडिय़ों को दूर करता है।

चार मुखी - इससे मानसिक स्थिरता, तर्कशक्ति, संपत्ति, नेतृत्व गुण, आंखों में तेज और वाणी में मधुरता आती है।

पांच मुखी - ये शांतिदायक है। डायबिटीज, बीपी, हड्डियों की कमजोरी, पैंक्रियाज और किडनी रोग में सहायक है।

छह मुखी - सकारात्मक सोच, प्रखर बुद्धि, आपसी मेल सौहार्द, सदगुणी शैली लाता है।

सात मुखी - महालक्ष्मी का प्रतीक। धन, अच्छी सेहत, व्यापार में फायदा, लंबी बीमारी, पेट व आंतों की तकलीफ में मददगार।

आठ मुखी - श्री गणेश का प्रतीक। बाधाओं को दूर कर उन्नति और मानसिक शक्ति बढ़ाता है।

नौ मुखी - देवी दुर्गा का प्रतीक, भय को दूर करता है। बुखार, आंखों में दर्द, त्वचा, पेट संबंधी बीमारियों में लाभ पहुंचाता है।

दस मुखी - नव ग्रहों का स्वामी और भगवान विष्णु का प्रतीक। जीवन में बाधाओं को दूर कर यश दिलाता है।

ग्यारह मुखी - रुद्रावतार हनुमान जी का प्रतीक। भूतप्रेत से रक्षा करता है।

बारह मुखी - चिंताओं से मुक्ति प्रदान करता है। धारक को चुंबकीय शक्ति, आत्म निर्भरता, प्रशासनिक संचालन में मदद करता है।

तेरह मुखी - भगवान इंद्र का प्रतीक। सुख सुविधाएं प्रदान करता है। इसे धारण करने वाले अच्छे वक्ता होते हैं।

चौदह मुखी - इसे देवमणि माना जाता है। इसे सभी को धारण करना चाहिए। इसे धारण करने से शुभ संकेत मिलने लगते हैं।

पंद्रह मुखी - पशुपति नाथ का प्रतीक है। मस्तिष्क में रचनात्मक-ठोस और क्रियात्मक विचार आते हैं।

सोलह मुखी - इसे जय रुद्राक्ष कहा जाता है। धारक को हर स्तर पर विजय दिलाता है। शत्रु से रक्षा करता है और सम्मान दिलाता है।

सत्रह मुखी - विश्वकर्मा का प्रतीक। आकस्मिक धन प्राप्ति, अचानक कीमत बढ़ जाना, भूमि, मकान और याद्दाश्त में वृद्धि कर आलस व कार्य के प्रति अनिच्छा को दूर करता है।

अठारह मुखी - मां पृथ्वी का प्रतीक। इससे पृथ्वी का आशीर्वाद मिलता है। ये जमीन जायदाद से जुड़े लोगों को लाभ और अकाल मत्यु के भय से दूर रखता है।

उन्नीस मुखी - भगवान विष्णु का प्रतीक। सभी भौतिक इच्छाओं की पूर्ति और व्यवसाय में वृद्धि करता है। मानसिक शांति, रक्त व स्नायु तंत्र संबंधी रोगों से रक्षा करता है।

बीस मुखी - ब्रह्मा का प्रतीक। दूरदर्शिता और कल्पना शक्ति को बढ़ाता है।

इक्कीस मुखी - कुबेर का प्रतीक और अत्यंत दुर्लभ भी। ये आज्ञा चक्र व कुंडलिनी जागृत करने वाला माना जाता है।

'मैं पिछले आठ सालों से रुद्राक्ष का बिजनेस कर रही हूं। रुद्राक्ष पहनने से पॉजिटिव एनर्जी आती है। इसे पीले, लाल या सफेद धागे में धारण करना चाहिए.'
-तनुजा गुप्ता, ओनर रुद्राक्ष वल्र्ड

 

Posted By: Inextlive