- वेस्ट यूपी में लगातार घट रहा है दूध उत्पादन

- दूधारू पशुओं का कटान होने से बढ़ी दूध की किल्लत

- दूध की कमी से मिलावटखोरों की आई मौज

- शहर वासियों को परोसा जा रहा है जहरीला दूध

- बड़ों के साथ बच्चों की सेहत पर भी भारी पड़ रहा है मिलावटी दूध

Meerut। वेस्ट यूपी को कभी दूध का कटौरा कहा जाता था। किसान भी दुधारु पशुओं का पालन मन से करते थे। समय बदला और किसानों का पशुओं से मोहभंग हुआ। उधर, रही सही कसर पशुओं के कटान ने पूरी कर दी। एक बार सरकार ने पशुओं के कटान की अनुमति क्या दी, वेस्ट यूपी के तमाम जिलों में दूध की किल्लत शुरू हो गई। अब हाल ऐसा है कि प्रदेश के बाहर से दूध खरीदना मजबूर बन रहा है। अब अपने शहर की हालत देखिए, यहां दूध की किल्लत बढ़ी तो मिलावट खोरों की भी मौज हो गई। शहर को सप्लाई होने वाले दूध में मिलावट भरपूर है। अभिभावक जहां अपने बच्चों की अच्छी सेहत के लिए तमाम जतन कर उन्हें दूध पिलाने के लिए तैयार करते हैं वहीं दूध उनके बच्चों की सेहत पर भी भारी पड़ रहा है।

छलक गया कटौरा

साल क्997 के बाद प्रदेश में छोटे स्तर पर पशुओं के कटान की अनुमति देनी सरकार ने शुरू की। इसके बाद आई सरकारों ने बडे़ स्लाटर हाउसों को शुरू करा दिया। इसका परिणाम अब सामने आना शुरू हुआ है। पिछले कुछ समय में पशुओं के कटान इतना बढ़ गया कि अपने लाभ के लिए स्लाटर हाउसों में दुधारू पशुओं को भी बिना किसी अनुमति के काटा जाने लगा। पशुओं की लगातार संख्या कम होने से दूध का उत्पादन भी कम हो गया। मेरठ में पिछले वर्ष फ्ब् लाख टन दूध का उत्पादन हुआ, लेकिन इस बार यह घटकर ख्भ् लाख टन रह गया है।

पशुपालन से मोह हुआ भंग

सरकारी उपेक्षा और अच्छी नस्ल के अभाव में किसानों का मोह भी पशुपालन से भंग हो रहा है। साल ख्00क् में जहां मेरठ क्षेत्र में दूधारू पशुओं की संख्या म् लाख से अधिक थी। वहीं ठीक दस साल बाद दूधारू पशुओं की संख्या ब् लाख रह गई। पशुओं की संख्या कम होने से दूध का उत्पादन तो प्रभावित हुआ ही, साथ ही किसानों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ा। पशु पालकों के अनुसार पहले गांव में हर घर में दूध देने वाले पशु होते थे, लेकिन अब देहात में रहने वाली ख्भ् प्रतिशत आबादी अपनी जरूरत का दूध ही खरीदती है।

बिगड़ रहा घर का बजट

दूध की कमी का असर पब्लिक के घर के बजट को भी प्रभावित कर रहा है। पिछले तीन सालों में दूध के दामों में भारी वृद्धि हुई साल ख्0क्ख् में दूध के दाम फ्0 से फ्भ् रूपए प्रति लीटर थे, साल ख्0क्फ् में दुध के दाम फ्भ् से ब्0 रूपए प्रति लीटर पर पहुंचे और अब ख्0क्ब् में दुध के दाम ब्भ् से भ्0 रूपए प्रति लीटर पर पहुंचे चुके हैं। जानकार मानते हैं कि गरमी के मौसम में दूध की किल्लत अधिक होती है, ऐसे में अभी दूध की कीमत में अभी ओर वृद्धि संभव है।

सामने आया सिंथेटिक दूध

दुधारू पशुओं की कमी होने से दूध कास उत्पादन भी खतरनाक स्तर तक गिरा। दूध की कमी होने से जहां इसके दाम काफी बढ़ गए वहीं मिलावट खोरी का भी बाजार सज गया। अपने लाभ के लिए मिलावट माफिया ने सिंथेटिक दूध बनाने के लिए यूरिया, कास्टिक सोडा, अरंडी का तेल, लिक्विड डिटर्जेट व पानी का इस्तेमाल कर दूध का तैयार करना शुरू किया। कई बार त्यौहारों के मौसम में खाद्य विभाग की ओर से चलाई जाने वाली छापेमारी में मिलावट की पोल खुल चुकी है।

सेहत पर भारी

सिंथेटिक दूध का कारोबार करने वालों पर लगाम के लिए प्रशासन और खाद्य विभाग आदि समय-समय छापेमारी अभियान चलाते हैं, लेकिन उसके बाद भी सिंथेटिक दूध बाजार में उपलब्ध है। बात अपने शहर की करें तो सिटी में ज्यादा मिलावटी दूध देहात के गांवों से तैयार होकर शहर में पहुंचता है। सिंथेटिक दूध माफिया का पूरा सिस्टम इसमें काम करता है, कई बार अभियान में मिलावटी दूध पकड़ा भी जाता है, लेकिन कार्रवाई शायद ही किसी पर होती हो। सुप्रीम कोर्ट ने मिलावट पर सख्त कदम उठाते हुए आरोपी को उम्रकैद की सजा तक का प्रावधान किया है। लेकिन तंत्र की मिलीभगत पब्लिक की सेहत का मजाक बना रही है।

दूध की किल्लत को देखते हुए शासन ने कामधेनू योजना शुरू की गई है। पशु पालन को बढ़ावा देने के लिए अन्य योजनाएं भी शुरू की जा रही है। आने वाले कुछ समय में दूध की कमी पर काफी हद तक नियंत्रण संभव होगा।

- डॉ। हरपाल सिंह, पशु चिकित्साधिकारी

सिंथेटिक दूध का कारोबार करने वालों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है, शहर में कहीं भी सिंथेटिक दूध की सप्लाई होने नहीं दी जाएगी।

- वीके राठी, जिला खाद्य निरीक्षक

पशु पालन के प्रति सरकार का रवैया अच्छा नहीं है, अच्छी नस्ल के पशु नहीं होने से दूध उत्पादन गिरा है, सरकार को चाहिए कि अच्छी नस्ल के पशु किसानों को उपलब्ध कराए और लोन की प्रक्रिया को भी आसान बनाएं।

- दीपक कुमार, एनएनडी गाय फार्म के प्रबंधक

दूध की कमी के परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। सिंथेटिक दूध के असर से पेट की बीमारियों तो बढ़ ही रही है, साथ ही अन्य रोगों से लड़ने की प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर हो रही है। डॉक्टर सुभाष सिंह के अनुसार सिंथेटिक दूध का असर सेहत को काफी नुकसान पहुंचाता है। पाचन तंत्र को बूरी तरह से प्रभावित करता है। त्वचा रोग से लेकर कैंसर तक सिंथेटिक दूध के कारण हो सकता है। मिलावटी दूध के असर से बच्चों की सेहत अधिक प्रभावित होती है।

कैसे लगेगी लगाम

Posted By: Inextlive