PATNA : ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद जितना उपद्रव हुआ था श्राद्धकर्म के दौरान उतनी ही खामोशी दिखी. बुधवार को मुखिया के गांव खोपिरा में शांतिपूर्वक श्राद्धकर्म संपन्न हो गया. आरा से लेकर खोपिरा गांव तक पुलिस की तैनाती थी.


सुबह के 11 बजे गांव के बाहर बने पंडाल में शोक सभा हुई। इसमें करीब पांच हजार लोगों ने हिस्सा लिया। इसके बाद दिन भर श्रद्धांजलि का कार्यक्रम चलता रहा। भाग लेनेवालों में कई मिनिस्टर के अलावा तमाम राजनीतिक पार्टियों के एमएलए व एमपी शामिल थे.  एमपी ललन सिंह, फॉर्मर यूनियन मिनिस्टर अखिलेश सिंह, एमपी मीना देवी, डॉ सीपी ठाकुर समेत भाजपा, जदयू, राजद और कांग्रेस के कई नेता भी दिन भर खोपिरा में डटे रहे।इंदू भूषण को मिला ताज
ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद उनके उत्तराधिकारी की घोषणा भी बुधवार को हो गई। शोकसभा के तुरंत बाद ही मुखिया के छोटे बेटे और खोपिरा पंचायत के मुखिया इंदूभूषण को राष्ट्रवादी किसान महासभा का अध्यक्ष घोषित किया गया। आरा जेल से रिहा होने के बाद मुखिया ने किसान महासभा का गठन किया था। पूरे राज्य के खेतिहर किसानों को महासभा के बैनर तले एकजुट करने की मुहिम में मुखिया जी-जान से जुट गए थे। 3000 पुलिस फोर्स थे तैनात


अनहोनी की आशंका देखते हुए स्टेट गवर्नमेंट ने यहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे थे। 3000 पुलिस फोर्स को श्राद्धकर्म के दौरान ड्यूटी पर लगाया गया था। मंगलवार को आगलगी की घटना के बाद फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां भी तैनात थी। वहां मेडिकल टीम को भी लगाया गया था। श्राद्ध में 50 हजार लोगों के लिए प्रसाद (भोजन)क्र का इंतजाम किया गया था। एक स्टॉल लगाकर मुखिया के फोटोग्राफ भी बेचे जा रहे थे। उसे खरीदने वालों में नेताजी भी पीछे नहीं थे। बदल गया था खोपिराब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या के बाद से पिछले 13 दिनों में खोपिरा का सीन बदल गया। आजादी के बाद से जिस गांव तक कोई परमानेंट एप्रोच रोड नहीं था, जहां बिजली नहीं थी, जिस नहर में पानी नहीं था, बुधवार को सबकुछ बदला-बदला दिख रहा था। गांव में बिजली आपूर्ति बहाल हो चुकी थी। नहर में पानी आ गया था। गांव तक आने के लिए पक्की सड़क बन गई थी। इतना ही नहीं, खोपिरा में एमपी-एमएलए के इलेक्शन के दौरान भी नेता जी नहीं जा पाते थे। बुधवार को मिनिस्टर से लेकर एमएलए तक का जमावड़ा लगा हुआ था। हालांकि यह सिलसिला घटना के दिन से ही चल रहा था।

Posted By: Inextlive