गुड न्यूज : मोदी सरकार के नेतृत्व में बढ़ी भारत की क्रेडिट रेटिंग
सुधार की उम्मीदों के चलते हुआ रेटिंग में बदलाव
अप्रैल तथा जून, 2014 के बीच भारत ने पिछली नौ तिमाहियों की तुलना में सबसे तेज़ वृद्धि दर्ज की है. इतना ही नहीं बीजेपी नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नई सरकार वित्तीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.1 प्रतिशत से नीचे ही नियंत्रित रखने के लिए प्रतिबद्ध है. विश्लेषकों के अनुसार, मजबूत सरकार, स्थिर मुद्रा तथा तेज़ गति से आर्थिक सुधार होने की उम्मीदों के चलते रेटिंग में बदलाव किया गया.
'2013 से पहले भारत की स्थिति डावांडोल थी'
येस बैंक की वरिष्ठ अध्यक्ष (Senior President) तथा मुख्य अर्थशास्त्री (Chief Economist) डॉ. शुभदा राव ने कहा कि एसएंडपी की ओर से रेटिंग में किया गया यह संशोधन पिछले एक वर्ष के दौरान मोटे तौर पर आई स्थिरता को स्वीकार करना है. उन्होंने कहा कि सितंबर 2013 से पहले का समय ऐसा था, जब भारत पूरी तरह से डावांडोल स्थिति में था, और मुद्रा भी कतई स्थिर नहीं थी. इनमें से अधिकतर मुद्दों का इलाज कर दिया गया है और वृद्धि के आसार बेहतर दिखने लगे हैं.
रुपये में भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले हुई रिकवरी
वर्ष 2012 में एसएंडपी और फिच रेटिंग्स ने भारत के क्रेडिट आउटलुक को घटाकर 'ऋणात्मक' कर दिया था और चेतावनी दी थी कि इसे और घटाकर 'जंक' किया जा सकता है. हालांकि फिच रेटिंग्स ने पिछले ही साल भारत के संप्रभु आउटलुक को वापस 'स्थिर' कर दिया था. इस खबर के बाद भारतीय रुपये में भी अमेरिकी डॉलर के मुकाबले शानदार रिकवरी देखने को मिल रही है और वह एक डॉलर की तुलना में 50 पैसे की जोरदार उछाल के साथ 61.62 के स्थान पर 61.12 पर आ गया है, तथा शेयर बाज़ारों में भी तेजी दर्ज की गई.