केरल में आज शनिवार सुबह हुई संघ परिवार की वरिष्ठ महिला नेता की गिरफ्तारी के विरोध में राइटविंग हिंदू संगठनों ने हड़ताल बुलार्इ है। वहीं बता दें कि कल सबरीमाला मंदिर के दर्शन करने पहुंची भूमाता ब्रिगेड की प्रमुख तृप्ति देसाई को भी एयरपोर्ट पर रोक दिया गया था।


कोच्चि (पीटीआई)।  केरल के सबरीमाला  मंदिर में महिलाओं के प्रवेश काे लेकर विराेध के सुर थमने का नाम नहीं ले रहे हैं।  आज हिन्दू अइक्या वेदी की प्रसिडेंट केपी शशिकला की शनिवार तड़के गिरफ्तार की गई। इसके बाद से मामला और ज्यादा गर्मा गया।  इस संबंध में वीएचपी स्टेट अध्यक्ष एस जे आर कुमार का कहना है कि शशिकला प्रार्थना करने के लिए इरुमुद्दीकेटु (पवित्र प्रसाद ले जाने वाला बंडल) लेकर पहाड़ी के रास्ते मंदिर जा रही थीं। तभी सुबह 2.30 बजे के करीब उन्हेें व उनके साथ साथ कुछ अन्य कार्यकर्ताओं को मारक्कुत्तमम के पास पुलिस ने गिरफ्तार किया है। उनका कहना है कि सरकार  सबरीमाला मंदिर को नष्ट करने की कोशिश कर रही है। ऐसे में राइटविंग हिंदू संगठनों ने आज राज्य में बंद का आह्वान किया है। सुबह छह बजे से 12 घंटे के घंटे के लिए बंद का ऐलान हुआ है।  इससे सबरीमाला अाने वाले श्रद्धालुओं पर भी असर पड़ेगा। गुरिल्ला रणनीति अपनाएंगे


वहीं कल सबरीमाला मंदिर में दर्शन के लिए शुक्रवार भूमाता ब्रिगेड की संस्थापक तृप्ति देसाई पुणे से कोच्चि पहुंचीं। इस दौरान उन्हें एयरपोर्ट पर ही रोक लिया गया था । करीब 14 घंटे तक कोच्चि एयरपोर्ट पर रुकने के बाद उन्हें मुंबई वापस लौटना पड़ा। इस संबंध में तृप्ति देसाई ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि हमें एयरपोर्ट पर रोका गया था। अगर वह लोग विरोध ही करना चाहते थे तो निलक्कल में भी विरोध कर सकते थे, लेकिन वहां नहीं किया क्योंकि वह जानते थे कि यदि हम निलक्कल पहुंचे तो बिना दर्शन के नहीं लौटेंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विरोध करने वाले लोग हिंसा पर अमादा हाे रहे थे।  वे खुद को भगवान अयप्पा का भक्त कह रहे थे, लेकिन मुझे नहीं लगता। वहीं पुलिस ने हमें भरोसा दिलाया है कि अगली बार सुरक्षा देंगे। इसलिए हम वापस लाैटेे हैं क्योंकि हम अपनी वजह से हिंसा नहीं चाहते थे। हालांकि अगली बार हम बिना घोषणा के जाएंगे और गुरिल्ला रणनीति अपनाएंगे।यह है पूरा मामला

बता दें कि 28 सितंबर को पूर्व मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशीय संविधान खंडपीठ ने अपने 4-1 के बहुमत से फैसला सुनाया गया था। फैसले में कहा गया था कि महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाना एक लैंगिक भेदभाव है और यह हिंदू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करता है। वहीं मंदिर प्रशासन की हमेशा से ये दलील रही है कि कि सबरीमामला भगवान अयप्पा का मंदिर है और वो उम्र भर अविवाहित थे। ऐसे में सैकड़ों वर्षों से महिलाओं के प्रवेश पर बैन था। हालांकि कुछ लोग अभी भी सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। कुछ धार्मिक संगठनों ने ऐलान किया है कि वे महिलाओं को मंदिर परिसर में प्रवेश नहीं करने देंगे। यह मंदिर के नियमों के खिलाफ है। ऐसे में यहां बरकरार तनाव को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इतंजाम किए हैं। यहां चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा कर्मी तैनात है।

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Posted By: Shweta Mishra