क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : चौंकना लाजिमी है. जी हां, ये सच्चाई रिम्स के पोस्टमार्टम हाउस की है. यहां आने वाली लाशों को रखे जाने के लिए दो साल पहले लाखों खर्च कर नया मॉच्र्युअरी बनाया गया. इसमें 50 बॉडी रखे जाने को बड़ा फ्रीजर लगाया गया, लेकिन यह आज तक चालू ही नहीं हुआ. और तो और मॉच्र्युअरी तक पहुंचने के लिए सड़क भी आज तक नहीं बनी. फ्रीजर चालू न होने से यहां आ रही लाशों की बेकदरी हो रही है. मॉच्र्युअरी में रखी डेढ़ दर्जन लाशें 41 डिग्री टेंपरेचर में सड़ रही हैं. एक हफ्ते से अधिक समय से यहां लाशों की यह स्थिति बनी हुई है. वहीं दुर्गध के कारण आसपास में लोगों का खड़े रहना भी मुश्किल हो रहा है. इसके बाद भी डायरेक्टर साहब यहां व्यवस्था फ‌र्स्ट क्लास होने के दावे कर रहे हैं.

नहीं हो सकेगी शवों की पहचान

रिम्स के पोस्टमार्टम हाउस में हर महीने 100 से अधिक शवों का पोस्टमॉर्टम होता है. इनमें से कई लावारिस शव होते हैं. इनको भी यहां लाकर छोड़ दिया जाता है. जिनकी पहचान के लिए परिजन देरी से पहुंचते हैं. लेकिन फ्रीजर फेल होने से शवों की स्थिति खराब होती जा रही है. कई लाशें तो गर्मी की वजह से गलने लगी हैं. ऐसे में अब शवों की पहचान भी मुश्किल हो जाएगी.

सीएम से कराया था उद्घाटन

दो साल पहले रिम्स में बने नए माच्र्युअरी हाउस का उद्घाटन तो सीएम रघुवर दास के हाथों करा दिया गया. लेकिन वहां आजतक एक भी शव को नहीं रखा गया. वही तब से पड़ी पड़ी मशीनों का मेंटीनेंस पीरियड भी खत्म हो गया. जबकि नए मॉर्ग में एक साथ 50 शवों को रखने के लिए व्यवस्था होने की बात कही गई थी. वहीं कुछ महीने पहले डॉक्टरों की टीम ने इसे चालू कराने के लिए अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी. इसके बावजूद मॉर्ग तक पहुंचने के लिए 200 मीटर की सड़क भी आज तक बनवाई नहीं जा सकी है.

गुड्डू बाबा लड़ रहे मुकदमा

कई सालों से अज्ञात लाशों के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ रहे गुड्डू बाबा ने 12 अप्रैल 2017 को रिम्स का दौरा किया था. उन्होंने कहा था कि रिम्स की बदहाल व्यवस्था से उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय को भी अवगत कराने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि लावारिश लाशों को सम्मानजनक रूप से अंतिम संस्कार कराने की लड़ाई लड़ रहे हैं. उनकी याचिका पर ही सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी बनाई है, उन्होंने मांग की थी कि केंद्रीय गृह मंत्रालय लावारिश लाशों के लिए एक पोर्टल तैयार करे, जिसमें सभी राज्यों से डेटा फीड कर लाशों की अद्यतन स्थिति की जानकारी दी जाए. इसके अलावा हर लाश पर कुछ पैसे खर्च किए जाएं.

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वर्जन

रोड बनाने के चक्कर में नए मार्ग को चालू नहीं किया जा सका है. इसलिए थोड़ी परेशानी तो है. फिलहाल मैं बाहर हूं आते ही मामले को देखता हूं.

डॉ.डीके सिंह, डायरेक्टर, रिम्स

Posted By: Prabhat Gopal Jha